
भारत में गर्मी के मौसम के दौरान 1.5 टन एयर कंडीशनर (AC) की मांग तेजी से बढ़ जाती है। लेकिन जैसे-जैसे बिजली की कीमतें बढ़ रही हैं और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की ओर झुकाव बढ़ रहा है, लोग अब यह जानना चाहते हैं कि क्या वे अपने 1.5 टन के AC को सोलर पावर से चला सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि एक 1.5 टन AC कितनी बिजली खपत करता है और इसे चलाने के लिए कितने सोलर पैनलों की जरूरत होती है।
इन्वर्टर बनाम नॉन-इन्वर्टर AC: बिजली खपत में फर्क
1.5 टन AC की बिजली खपत इस बात पर निर्भर करती है कि वह इन्वर्टर तकनीक वाला है या नहीं। इन्वर्टर AC अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा कुशल होते हैं और बिजली की खपत कम करते हैं। सामान्य तौर पर:
इन्वर्टर AC प्रति घंटे लगभग 1.2 से 1.5 यूनिट (kWh) बिजली खपत करता है, जबकि नॉन-इन्वर्टर AC यह खपत 1.5 से 2.0 यूनिट प्रति घंटे तक कर सकता है। यह जानकारी Bajaj Finserv और Pakwheels जैसे विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है।
अगर आप एक 5-स्टार इन्वर्टर AC का उपयोग करते हैं और इसे प्रतिदिन 8 घंटे चलाते हैं, तो आपकी औसत दैनिक बिजली खपत 9.6 यूनिट से लेकर 12 यूनिट तक हो सकती है। इसका अर्थ है कि गर्मियों के एक महीने में AC अकेले 288 से 360 यूनिट तक बिजली खर्च कर सकता है।
आगरा जैसे शहरों में सोलर पावर की संभावना
अगर आप उत्तर भारत के किसी शहर जैसे आगरा में रहते हैं, जहाँ औसतन 5 घंटे प्रतिदिन तेज धूप मिलती है, तो सोलर एनर्जी से AC चलाना संभव है। लेकिन इसके लिए आपको सही क्षमता और संख्या के सोलर पैनल चाहिए होंगे।
सोलर पैनलों की क्षमता वाट (Watt) में मापी जाती है और उनका वास्तविक उत्पादन आमतौर पर उनकी नाममात्र क्षमता का लगभग 70% होता है। उदाहरण के तौर पर, एक 440W का सोलर पैनल आमतौर पर दिनभर में लगभग 1.54 यूनिट बिजली उत्पन्न करता है यदि 5 घंटे धूप मिलती है।
कितने सोलर पैनल होंगे पर्याप्त?
यदि आपका लक्ष्य अपने 1.5 टन इन्वर्टर AC को प्रतिदिन 8 घंटे चलाना है, और आप औसतन 10 यूनिट बिजली की जरूरत मानते हैं, तो आप अलग-अलग क्षमता के पैनलों के आधार पर यह तय कर सकते हैं कि कितने पैनलों की आवश्यकता होगी।
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अगर आप 350W सोलर पैनल का उपयोग करते हैं, तो लगभग 7 पैनलों की जरूरत पड़ेगी। 440W पैनल के साथ यह संख्या घटकर 6 हो जाती है, और अगर आप 545W क्षमता वाले हाई-परफॉर्मेंस पैनल लगाते हैं, तो सिर्फ 5 पैनल से काम चल सकता है।
यह आंकड़े Neexgent Energy, Alpha Solar और Payperwatt जैसी सोलर एनर्जी कंपनियों के मूल्यांकन पर आधारित हैं।
सोलर सिस्टम की अन्य ज़रूरी चीजें
सिर्फ सोलर पैनल लगाना काफी नहीं होता। सोलर से उत्पन्न DC करंट को घर के उपयोग योग्य AC करंट में बदलने के लिए एक इन्वर्टर की आवश्यकता होती है। इस इन्वर्टर की क्षमता आपके कुल लोड के अनुसार चुनी जानी चाहिए।
इसके अलावा, अगर आप रात में AC चलाना चाहते हैं या मौसम खराब होने पर भी निर्बाध बिजली आपूर्ति चाहते हैं, तो आपको एक बैटरी स्टोरेज सिस्टम की जरूरत पड़ेगी। बैटरियों की कुल क्षमता इस बात पर निर्भर करेगी कि आप कितने समय तक बिना धूप के सोलर सिस्टम पर निर्भर रहना चाहते हैं।
स्थापना के समय यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि पैनल ऐसी जगह लगाए जाएं जहाँ उन्हें पूरा दिन बिना किसी रुकावट के सीधी धूप मिले। किसी भी प्रकार की छाया पैनलों की दक्षता को प्रभावित कर सकती है।
क्या यह निवेश फायदे का सौदा है?
शुरुआत में सोलर पैनल सिस्टम की लागत कुछ अधिक हो सकती है, लेकिन यह एक बार का निवेश होता है जो लंबे समय तक बिजली के बिल से राहत देता है। इसके अलावा, कई राज्य सरकारें और केंद्र सरकारें सोलर सिस्टम पर सब्सिडी भी देती हैं, जिससे लागत कम हो जाती है।
लंबे समय में, सोलर सिस्टम न केवल आपके बिजली बिल को कम करता है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की ओर यह एक मजबूत कदम है जो भारत को आत्मनिर्भर ऊर्जा के रास्ते पर ले जाता है।
विशेषज्ञ से परामर्श क्यों ज़रूरी है?
हालाँकि ऊपर दी गई गणनाएँ औसतन मान्यताओं पर आधारित हैं, लेकिन वास्तविक आवश्यकता आपके उपयोग के पैटर्न, स्थान, धूप के घंटे, और अन्य घरेलू लोड पर निर्भर करेगी। इसलिए किसी विशेषज्ञ सोलर कंसल्टेंट से परामर्श लेना हमेशा बेहतर होता है ताकि आपके घर के लिए सही सिस्टम डिजाइन किया जा सके।