
बैटरी सिस्टम के चयन में अक्सर 24V और 12V के विकल्प सामने आते हैं। खासकर जब बात सोलर एनर्जी या इन्वर्टर सिस्टम की हो, तो यह सवाल आम हो जाता है कि 24V vs 12V बैटरी सिस्टम में कौन ज्यादा बैकअप देता है। यह फैसला सिर्फ वोल्टेज के आधार पर नहीं किया जा सकता, इसके लिए हमें दोनों सिस्टम की क्षमता, इस्तेमाल, लागत और एफिशिएंसी जैसे कई पहलुओं को समझना होगा।
24V vs 12V बैटरी सिस्टम के बीच फैसला आपकी ऊर्जा जरूरत, बजट, और इंस्टॉलेशन स्पेस पर निर्भर करता है। हालांकि बैकअप का सीधा संबंध वोल्टेज से नहीं होता, लेकिन 24V सिस्टम की एफिशिएंसी और लॉन्ग-टर्म परफॉर्मेंस इसे ज्यादा भरोसेमंद विकल्प बनाते हैं, खासकर उन उपयोगकर्ताओं के लिए जिनकी ऊर्जा जरूरतें अधिक हैं।
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क्या होता है वोल्टेज का मतलब बैटरी सिस्टम में?
बैटरी सिस्टम का वोल्टेज, उसकी कुल ऊर्जा आपूर्ति की क्षमता को दर्शाता है। 12V सिस्टम आमतौर पर छोटे घरेलू उपयोग के लिए उपयुक्त होता है, जबकि 24V सिस्टम को बड़ी ऊर्जा आवश्यकताओं जैसे कि सोलर पावर प्लांट्स या बड़ी बैकअप जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
24V बैटरी सिस्टम की विशेषताएं
24V बैटरी सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा इसकी हाई एफिशिएंसी है। चूंकि इसमें करंट कम होता है, इसलिए पावर लॉस भी कम होता है। इसका मतलब है कि कम हीट जनरेशन होती है और वायरिंग की जरूरत भी पतली होती है। यह सिस्टम उन स्थानों के लिए बेहतर है जहां ज्यादा ऊर्जा की खपत होती है।
24V सिस्टम में समान वॉटेज आउटपुट के लिए कम करंट की आवश्यकता होती है, जिससे सिस्टम का ओवरऑल प्रदर्शन बेहतर होता है। इसका उपयोग आमतौर पर सोलर एनर्जी-Renewable Energy इंस्टॉलेशन, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और हाई-पावर इन्वर्टर सिस्टम में किया जाता है।
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12V बैटरी सिस्टम की विशेषताएं
12V बैटरी सिस्टम परंपरागत रूप से सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, खासकर छोटे इन्वर्टर सिस्टम और वाहन बैटरियों में। इसकी उपलब्धता और इंस्टॉलेशन आसान होता है। हालांकि, ज्यादा लोड के लिए इसमें करंट की खपत अधिक होती है, जिससे पावर लॉस भी ज्यादा होता है।
यह सिस्टम छोटे घरों, कारों, कैम्पिंग, ट्रैवल ट्रेलर और पोर्टेबल डिवाइस चार्जिंग के लिए अधिक उपयुक्त है। इसके लिए वायरिंग भी मोटी चाहिए होती है, जो लंबी दूरी पर उपयोग करने पर लागत बढ़ा देती है।
बैकअप क्षमता में कौन बेहतर?
जब बात बैकअप क्षमता की आती है, तो वोल्टेज से ज्यादा अहम भूमिका बैटरी की Ampere-hour (Ah) रेटिंग निभाती है। उदाहरण के लिए, एक 12V 200Ah बैटरी और एक 24V 100Ah बैटरी दोनों 2400Wh (वाट-आवर) ऊर्जा स्टोर कर सकती हैं। यानी, वोल्टेज बढ़ने से बैकअप समय अपने आप नहीं बढ़ता, लेकिन सिस्टम की एफिशिएंसी बढ़ती है, जिससे बैकअप समय पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।
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सिस्टम एफिशिएंसी और पावर लॉस का फर्क
12V सिस्टम में करंट अधिक होता है, जिससे वायर में रेसिस्टेंस भी बढ़ता है और पावर लॉस होता है। इसके विपरीत, 24V सिस्टम में करंट कम होता है, इसलिए वायरिंग में पावर लॉस कम होता है। इसीलिए लंबे डिस्टेंस पर पावर ट्रांसमिशन के लिए 24V या उससे ऊपर के सिस्टम को प्राथमिकता दी जाती है।
लागत और इंस्टॉलेशन में फर्क
12V सिस्टम में बैटरी, इन्वर्टर और चार्ज कंट्रोलर कम कीमत पर उपलब्ध होते हैं, जो इसे बजट-फ्रेंडली बनाता है। लेकिन जैसे-जैसे ऊर्जा जरूरत बढ़ती है, इसमें ज्यादा बैटरियों और मोटी वायरिंग की जरूरत होती है, जिससे कुल लागत बढ़ सकती है।
24V सिस्टम की शुरुआती लागत थोड़ी अधिक होती है, लेकिन इसकी एफिशिएंसी और कम मेंटेनेंस इसे लंबी अवधि में किफायती बनाती है।
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कहां किस सिस्टम का करें चयन?
- अगर आपका उपयोग सीमित है (जैसे एक या दो पंखे, लाइट, मोबाइल चार्जिंग), तो 12V सिस्टम पर्याप्त है।
- अगर आप सोलर पावर सिस्टम लगा रहे हैं या 1000W से अधिक लोड चलाना चाहते हैं, तो 24V सिस्टम अधिक उपयुक्त है।
- बड़े इन्वर्टर सिस्टम या ऑफ-ग्रिड Renewable Energy इंस्टॉलेशन के लिए 24V या उससे ऊपर के विकल्प अधिक स्थिर और असरदार साबित होते हैं।