
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर घरेलू उपयोग के लिए सोलर पैनल-Solar Panel सिस्टम की लोकप्रियता में भारी इज़ाफा हुआ है। ऐसे में उपभोक्ताओं के सामने यह बड़ा सवाल है कि उन्हें ₹40,000 के सोलर सिस्टम में निवेश करना चाहिए या ₹1 लाख के सोलर सेटअप में। यह निर्णय पूरी तरह आपके ऊर्जा उपभोग, बजट और दीर्घकालिक बचत की योजना पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं कि दोनों विकल्पों में क्या अंतर है और आपके लिए कौन सा उपयुक्त हो सकता है।
₹40,000 का सोलर सिस्टम: सीमित उपयोग और कम खपत वाले घरों के लिए समाधान
₹40,000 की लागत वाला सोलर सिस्टम सामान्यतः 500 वॉट से 1 किलोवॉट क्षमता वाला होता है। यह ऑफ-ग्रिड सिस्टम होता है, जिसमें बैटरी स्टोरेज की सुविधा शामिल होती है। इस तरह के सिस्टम खास तौर पर उन उपभोक्ताओं के लिए डिजाइन किए गए हैं जिनकी बिजली की खपत बहुत कम है या जो केवल कुछ आवश्यक उपकरणों जैसे LED बल्ब, पंखा, मोबाइल चार्जर, और लैपटॉप जैसी चीजों को ही चलाना चाहते हैं।
यह सिस्टम प्रतिदिन औसतन 2 से 4 यूनिट बिजली पैदा करता है और इसमें एक या दो 150Ah की बैटरियाँ होती हैं जो बिजली कटौती के समय बैकअप प्रदान करती हैं।
इस सिस्टम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह कम प्रारंभिक निवेश में उपलब्ध है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों और उन घरों के लिए आदर्श है जहां ग्रिड बिजली की नियमित आपूर्ति नहीं होती।
हालांकि इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं—यह सिस्टम एसी, गीजर, वॉशिंग मशीन जैसे उच्च पावर उपकरणों को नहीं चला सकता। साथ ही इसमें सरकार की ओर से कोई विशेष सब्सिडी नहीं दी जाती, जिससे दीर्घकालिक बचत की संभावनाएँ सीमित हो जाती हैं।
यह भी पढें-3kW, 5kW और 6kW सोलर सिस्टम कितनी यूनिट बिजली बनाएंगे? जानिए सालाना सेविंग कितनी हो सकती है
₹1 लाख का सोलर सिस्टम: ऊर्जा आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक निवेश का विकल्प
अगर आप अपने घर को पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी से चलाना चाहते हैं और बिजली बिल में कटौती करना चाहते हैं, तो ₹1 लाख का सोलर सिस्टम आपके लिए उपयुक्त हो सकता है। इस दायरे के सोलर सिस्टम में सामान्यतः 1kW से 3kW तक की क्षमता होती है और यह ऑन-ग्रिड या हाइब्रिड प्रकार का होता है।
इस तरह के सिस्टम से आप केवल पंखा और बल्ब ही नहीं, बल्कि फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन, और यहां तक कि एसी जैसे उच्च खपत वाले उपकरण भी चला सकते हैं। इसकी प्रतिदिन उत्पादन क्षमता लगभग 4–5 यूनिट बिजली होती है।
सबसे खास बात यह है कि यह सिस्टम PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana के तहत ₹30,000 तक की सरकारी सब्सिडी के साथ उपलब्ध होता है, जिससे इसकी कुल लागत घट जाती है।
यह भी पढें-3kW, 5kW और 6kW सोलर सिस्टम कितनी यूनिट बिजली बनाएंगे? जानिए सालाना सेविंग कितनी हो सकती है
यह सिस्टम नेट मीटरिंग के माध्यम से अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेज सकता है, जिससे आपको बिजली कंपनियों से क्रेडिट भी मिल सकता है। इसकी रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI) अवधि भी छोटी होती है—आप 3–5 वर्षों में इसकी लागत वसूल सकते हैं और इसके बाद लगभग 25 साल तक कम रखरखाव में इसका लाभ उठा सकते हैं।
हालांकि यह ध्यान रखना जरूरी है कि इस सिस्टम में DISCOM से अनुमोदन और नेट मीटरिंग की प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो सकती है। साथ ही प्रारंभिक निवेश ₹1 लाख के आसपास होता है, जो हर उपभोक्ता के बजट में नहीं आता।
कौन सा सोलर सिस्टम आपके लिए सही?

यदि आप एक छोटे घर में रहते हैं और आपकी बिजली की खपत बहुत सीमित है, तो ₹40,000 का ऑफ-ग्रिड सिस्टम आपके लिए बेहतर हो सकता है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद है जहां बिजली की कटौती अधिक होती है और ग्रिड की पहुँच सीमित है।
दूसरी ओर, यदि आप शहरी क्षेत्र में हैं, आपके पास नियमित बिजली आपूर्ति है, और आप लंबे समय तक बिजली बिल में बचत करना चाहते हैं तो ₹1 लाख का ऑन-ग्रिड या हाइब्रिड सिस्टम बेहतर विकल्प होगा। इसके ज़रिए आप न केवल अपने घर की बिजली जरूरतों को पूरा कर सकते हैं, बल्कि ग्रीन एनर्जी के ज़रिए पर्यावरण को भी सहयोग दे सकते हैं।
सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे लें?
यदि आप ₹1 लाख का सिस्टम इंस्टॉल करने की सोच रहे हैं, तो pmsuryaghar.gov.in पर जाकर PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana के अंतर्गत सब्सिडी के लिए आवेदन करें।

साथ ही अपने स्थानीय DISCOM कार्यालय से संपर्क करके नेट मीटरिंग और इंस्टॉलेशन अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी करें।
विश्वसनीय कंपनियों जैसे LOOM Solar और Om Solar से परामर्श लेकर अपने घर के अनुसार अनुकूल सोलर सिस्टम का चुनाव करें। एक बार यह सिस्टम लग जाने के बाद, आप अगले दो से तीन दशकों तक बिना किसी बड़ी लागत के इसका लाभ उठा सकते हैं।