
देश में बढ़ती बिजली की कीमतों और लगातार हो रही कटौती के बीच एक स्थायी समाधान के रूप में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की मांग तेजी से बढ़ रही है। खासकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में जहां बिजली की आपूर्ति अनियमित रहती है, वहां 500W Solar Panel, 200AH Battery और एक Inverter का संयोजन एक सस्ता और भरोसेमंद विकल्प बनकर उभर रहा है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यह सिस्टम कैसे काम करता है, इसके लिए कितनी लागत आती है और यह दिन-रात बिजली की जरूरतें कैसे पूरी करता है।
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क्या होता है यह सोलर सिस्टम और इसके मुख्य घटक?
यह सिस्टम मुख्य रूप से तीन हिस्सों में बंटा होता है:
1. 500 वॉट सोलर पैनल (Solar Panel)
2. 200AH बैटरी (Battery)
3. एक इन्वर्टर (Inverter)
सौर पैनल सूरज की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं। यह ऊर्जा बैटरी में संग्रहित होती है और जरूरत पड़ने पर इन्वर्टर के जरिए उपयोग में लाई जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में ग्रिड की कोई आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह सिस्टम पूरी तरह आत्मनिर्भर बन जाता है।
500W Solar Panel की क्षमता और कार्यप्रणाली
500 वॉट के सोलर पैनल प्रतिदिन औसतन 4 से 5 यूनिट बिजली पैदा कर सकते हैं, अगर धूप अच्छी हो तो। यानी लगभग 2,000 से 2,500 वॉट-ऑवर (Wh) की ऊर्जा हर दिन उपलब्ध हो सकती है। यह ऊर्जा दिन के समय सीधे उपकरणों को चला सकती है या फिर बैटरी में स्टोर की जा सकती है।
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200AH Battery का रोल
200AH की बैटरी लगभग 2400Wh (12V x 200AH) की ऊर्जा स्टोर कर सकती है। यानी अगर एक बार बैटरी फुल चार्ज हो जाए तो यह कई घंटे तक बिजली प्रदान कर सकती है, खासकर तब जब सूरज ना हो या रात का समय हो। यह बैटरी गीले सेल (Lead Acid) या फिर लिथियम-आयन (Lithium-ion) हो सकती है। लिथियम बैटरी महंगी होती है लेकिन ज्यादा टिकाऊ और मेंटेनेंस-फ्री होती है।
Inverter की भूमिका
इन्वर्टर DC (Direct Current) को AC (Alternating Current) में बदलता है, ताकि आप टीवी, पंखा, मोबाइल चार्जर, लाइट आदि घरेलू उपकरण चला सकें। सामान्य घरेलू उपयोग के लिए 800VA से 1000VA का इन्वर्टर इस सिस्टम के लिए पर्याप्त होता है।
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कितना खर्च आता है इस सिस्टम को लगाने में?
इस सिस्टम को लगाने में कुल मिलाकर लगभग ₹45,000 से ₹65,000 तक की लागत आती है, जिसमें शामिल हैं:
- 500W सोलर पैनल: ₹12,000 से ₹15,000
- 200AH बैटरी: ₹15,000 से ₹22,000
- इन्वर्टर: ₹5,000 से ₹8,000
- इंस्टॉलेशन व अन्य एक्सेसरीज: ₹5,000 से ₹10,000
हालांकि यह शुरुआती निवेश थोड़ा अधिक हो सकता है, लेकिन यह 4-5 वर्षों में पूरी तरह रिकवर हो सकता है, क्योंकि इस दौरान बिजली बिल लगभग शून्य हो जाता है।
किन उपकरणों को चला सकता है यह सिस्टम?
यह सिस्टम निम्नलिखित उपकरणों को आराम से चला सकता है:
- 3-4 LED बल्ब
- 2-3 पंखे
- 1 टीवी
- मोबाइल/लैपटॉप चार्जर
- वाई-फाई राउटर
ध्यान रहे, बिजली की खपत करने वाले भारी उपकरण जैसे कि फ्रिज, वॉशिंग मशीन या गीजर इसके साथ नहीं चलाए जा सकते जब तक कि सोलर पैनल और बैटरी की क्षमता को और न बढ़ाया जाए।
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कहां उपयोगी है यह सिस्टम?
- ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली कटौती आम बात है
- दूरस्थ स्थानों पर जहां ग्रिड से कनेक्शन नहीं है
- छोटे दुकानों, स्कूलों या क्लीनिक में
- शहरी इलाकों में बैकअप पावर के रूप में
पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद
यह सोलर सिस्टम कार्बन उत्सर्जन को कम करता है और पर्यावरण के लिए अनुकूल है। एक बार सिस्टम लग जाने के बाद यह 20 से 25 साल तक काम करता है, और मेंटेनेंस भी बहुत कम होता है।
रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy को अपनाकर न केवल आप अपने बिजली बिल को कम कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं।
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सरकार की सब्सिडी और योजनाएं
भारत सरकार और राज्य सरकारें सोलर सिस्टम पर सब्सिडी भी देती हैं। कुछ मामलों में 30% तक की सब्सिडी उपलब्ध होती है, खासकर PM-KUSUM योजना जैसी स्कीमों के तहत। इसके लिए आपको लोकल डिस्कॉम या MNRE से संपर्क करना होगा।