
भारत जैसे देश में बढ़ती बिजली परेशानी और बिजली की अत्यधिक मांग को देखते हुए सरकार ने खासकर रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy को बढ़ावा देने वाली योजनाओं के चलते 8kw Solar Panel सिस्टम जो अब देश के सभी आम उपभोक्ता के लिए एक व्यावहारिक और लाभकारी विकल्प बनता जा रहा है। इसी के साथ अगर बात उत्तर भारत जैसे इलाकों की करे तो इसमें जो खास बात आपको देखने के लिए मिलेगी वह यह कि इस 8kw सोलर सिस्टम में जहां साल भर अच्छी धूप मिलती है,यह सिस्टम न केवल घर की बिजली जरूरतों को पूरा कर सकता है,बल्कि लंबे समय तक मुफ़्त बिजली देने की क्षमता भी रखता है।
मौसम और लोकेशन के हिसाब से रोज 32 से 40 यूनिट बिजली उत्पादन
जैसा की आप हम सभी जानते है,भारत में जहां औसतन 4 से 5 घंटे के पीक सन ऑवर्स मिलते हैं, वहां 8kW का सोलर पैनल सिस्टम प्रतिदिन लगभग 32 से 40 यूनिट (kWh) तक बिजली उत्पन्न कर सकता है। यह आंकड़ा स्थान ,मौसम और सोलर पैनल पर निर्भर करता है।
महीने और सालाना बिजली उत्पादन की पूरी तस्वीर
8 kW का यह सिस्टम महीने में करीब 960 से 1,200 यूनिट बिजली बना सकता है। इसका सालाना आंकड़ा 11,680 से लेकर 14,600 यूनिट तक जा सकता है। Shieldenchannel जैसी तकनीकी वेबसाइटों पर उपलब्ध डाटा के अनुसार यह आंकड़े न केवल व्यावहारिक हैं बल्कि वास्तविक उपयोग में भी यही ट्रेंड देखने को मिलता है। यह घरेलू और छोटे व्यावसायिक उपयोग के लिए एक आदर्श समाधान बन जाता है।
लागत, सब्सिडी और नेट निवेश: जानिए पूरा गणित
भारत में 8 kW सोलर सिस्टम की कुल लागत ₹4.5 लाख से ₹6 लाख तक आ सकती है। लेकिन भारत सरकार की ‘पीएम सूर्य-घर योजना’ (PM Surya Ghar Yojana) के तहत मिलने वाली सब्सिडी इस लागत को काफी हद तक कम कर देती है। इस योजना के अनुसार ₹78,000 प्रति किलोवाट तक की सब्सिडी मिल सकती है। हालांकि, जमीन पर वास्तविकता देखें तो यह सब्सिडी ₹1.2 लाख से ₹2 लाख के बीच सीमित रहती है।
सब्सिडी के बाद उपभोक्ता का वास्तविक निवेश ₹3 से ₹4 लाख तक रह जाता है। यह निवेश एक बार का है लेकिन इसके फायदे कई सालों तक चलते हैं।
हर साल ₹1 लाख तक की बचत, ROI महज 3–5 साल में
अगर किसी घर में प्रतिदिन औसतन 40 यूनिट बिजली उत्पन्न होती है और स्थानीय यूनिट रेट ₹7 प्रति यूनिट है, तो रोजाना ₹280 की बचत संभव है। यह मासिक तौर पर ₹8,400 और सालाना ₹1,00,800 तक की बचत बनती है। यानी लगभग ₹3.5 से ₹4 लाख के निवेश पर 3.5 से 4 साल में पूरा निवेश वसूल हो सकता है। अगर मौसम या अन्य कारणों से उत्पादन थोड़ा कम हो जाए, तब भी ROI अधिकतम 5 वर्षों में पूरा हो जाता है।
नेट मीटरिंग से और भी बढ़ सकता है मुनाफा
अगर आप Agra या किसी ऐसे शहर में रहते हैं जहां नेट मीटरिंग की सुविधा उपलब्ध है, तो आप अतिरिक्त उत्पादित बिजली को DISCOM को भेज सकते हैं। इससे न केवल आपका बिजली बिल कम होता है, बल्कि कई राज्यों में आपको अतिरिक्त यूनिट के बदले क्रेडिट या भुगतान भी मिलता है। यानी यह सिस्टम न केवल आपकी जरूरतें पूरी करता है बल्कि कमाई का जरिया भी बन सकता है।
बैटरी जरूरी या नहीं? जानिए सही विकल्प
अधिकांश घरों के लिए Grid-Tie सोलर सिस्टम ज्यादा उपयुक्त रहता है, जिसमें बैटरी की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे सिस्टम सीधे ग्रिड से जुड़े रहते हैं और दिन में सौर ऊर्जा, जबकि रात में ग्रिड से बिजली लेते हैं। बैटरी आधारित सिस्टम महंगे होते हैं और उनकी मेंटेनेंस लागत भी अधिक होती है। इसलिए अधिकतर उपभोक्ता ग्रिड-टाई सिस्टम को ही प्राथमिकता देते हैं।
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पर्यावरण को भी मिल रहा फायदा
8 kW सोलर पैनल सिस्टम सालाना हजारों किलो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम कर सकता है। यह भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अलावा, यह देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाने और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटाने में भी मदद करता है।
क्या 8 kW सोलर सिस्टम एक फायदेमंद सौदा है?
8 kW सोलर सिस्टम एक दीर्घकालिक और लाभदायक निवेश है। ₹3–4 लाख के निवेश पर सालाना ₹1 लाख तक की बचत, नेट मीटरिंग से अतिरिक्त लाभ और सरकार की सब्सिडी इस सिस्टम को और भी किफायती बनाती है। भारत जैसे देश में, जहां साल भर अच्छी धूप मिलती है, यह सिस्टम कई वर्षों तक मुफ्त और स्वच्छ ऊर्जा देने में सक्षम है। यह न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि पर्यावरण के लिहाज़ से भी एक स्मार्ट विकल्प है।