बिहार के इस जिले में बन रहा देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट, जानें कब से शुरू होगा बिजली उत्पादन

लखीसराय जिले में 1232 एकड़ भूमि पर बन रहे इस सोलर प्लांट से बिहार को मिलेगी नवीकरणीय ऊर्जा की सौगात। एलएंडटी द्वारा बनाई जा रही इस बैटरी स्टोरेज प्रणाली से क्या होगा राज्य के बिजली संकट का हल? जानें पूरी जानकारी और भविष्य के लाभ!

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Written by Rohit Kumar

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बिहार के इस जिले में बन रहा देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट, जानें कब से शुरू होगा बिजली उत्पादन
बिहार के इस जिले में बन रहा देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट, जानें कब से शुरू होगा बिजली उत्पादन

बिहार के लखीसराय जिले के कजरा में एक ऐतिहासिक परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है, जो न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह परियोजना देश के सबसे बड़े बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के निर्माण का हिस्सा है। इस परियोजना का उद्देश्य हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना और भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरी तरह से नवीकरणीय स्रोतों से संतुष्ट करना है। लखीसराय में 1232 एकड़ भूमि पर बनाए जा रहे इस सोलर प्लांट (Solar Plant) का लक्ष्य 2025 के अगस्त तक बिजली उत्पादन शुरू करना है। इस परियोजना को एलएंडटी (L&T) द्वारा बनाया जा रहा है, और इसका कुल निवेश अनुमानित ₹1570 करोड़ है।

सोलर प्लांट और बैटरी स्टोरेज सिस्टम

कजरा में स्थापित होने वाला यह सोलर प्लांट और बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में 689 एकड़ भूमि पर सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन का कार्य किया जाएगा, जिसमें सोलर पैनल और बैटरी कंटेनर की स्थापना की जा चुकी है। इस चरण में 185 मेगावाट (AC) सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा और बैटरी ऊर्जा भंडारण की क्षमता 254 मेगावाट घंटे होगी। यह बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली व्यस्त समय में 45.4 मेगावाट की क्षमता के साथ चार घंटे तक विद्युत आपूर्ति को सुनिश्चित करेगी।

इस परियोजना का दूसरा चरण लगभग 400 एकड़ भूमि पर होगा, जिसमें सौर ऊर्जा से 116 मेगावाट (AC) और बैटरी भंडारण प्रणाली से 241 मेगावाट घंटे की क्षमता होगी। यह बैटरी प्रणाली व्यस्त समय में 50.5 मेगावाट की क्षमता के साथ 4 घंटे तक ऊर्जा की आपूर्ति कर सकेगी। दूसरे चरण का काम भी एलएंडटी द्वारा किया जाएगा और इसका अनुमानित खर्च ₹880.27 करोड़ है।

परियोजना की प्रगति और तकनीकी पहलू

अब तक इस परियोजना के पहले चरण में सौर पैनल और बैटरी कंटेनर की स्थापना का कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है। 2 लाख से अधिक सौर पैनल और 81 बैटरी कंटेनर स्थापित किए जा चुके हैं, और विद्युत निकासी से संबंधित कार्य भी प्रगति पर है। इस परियोजना के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो न केवल ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाएंगे, बल्कि इसमें निरंतरता और स्थिरता को भी सुनिश्चित करेंगे।

इसके अलावा, कजरा परियोजना का विशेष महत्व इस बात से भी है कि यह बिहार राज्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस परियोजना को राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उनका कहना है कि इस परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए कार्य को चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है।

परियोजना का महत्व और भविष्य की दिशा

इस सोलर प्लांट के निर्माण के साथ ही बिहार राज्य में सौर ऊर्जा का उत्पादन एक नई दिशा में अग्रसर होगा। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक हरित ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन किया जाए, ताकि राज्य के ऊर्जा संकट को दूर किया जा सके और साथ ही पर्यावरण को भी बचाया जा सके। इस परियोजना के पूरी तरह से संचालन में आने के बाद बिहार में न केवल बिजली उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि सौर ऊर्जा की खपत भी बढ़ेगी, जो राज्य को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

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इस परियोजना को बिहार राज्य ऊर्जा निगम लिमिटेड (BSPGCL) के प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार ने भी सराहा है। उनका कहना है कि परियोजना की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए खास ध्यान दिया जा रहा है और सभी कार्य मानकों के अनुरूप किए जा रहे हैं।

स्थानीय विकास में योगदान

कजरा परियोजना न केवल ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगी। इस परियोजना के निर्माण के दौरान और उसके बाद कई स्थानीय लोग रोजगार प्राप्त करेंगे, जिससे क्षेत्रीय विकास में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह परियोजना राज्य सरकार की हरित ऊर्जा नीति को भी बढ़ावा देगी, जिससे बिहार के विकास को और गति मिलेगी।

समयसीमा और अपेक्षित परिणाम

परियोजना का मुख्य लक्ष्य अगस्त 2025 तक पहले चरण में 185 मेगावाट की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता और बैटरी ऊर्जा भंडारण की क्षमता 254 मेगावाट घंटे प्राप्त करना है। दूसरे चरण में पूरी परियोजना का निर्माण कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद कजरा क्षेत्र में एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का बड़ा स्रोत बनेगा, जो न केवल राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

संभावित चुनौतियां और समाधान

कजरा सोलर प्लांट की सफलता की राह में कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं, जैसे कि मौसम की परिस्थितियां, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया, और तकनीकी पहलुओं को लागू करने में आने वाली समस्याएं। हालांकि, एलएंडटी द्वारा इन समस्याओं के समाधान के लिए तैयारियां की गई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, परियोजना को समय पर पूरा किया जा सकता है यदि सभी पक्षों द्वारा समन्वित प्रयास किए जाएं।

कुल मिलाकर, यह सोलर प्लांट परियोजना बिहार के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक नई उम्मीद और दिशा है, जो भविष्य में राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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