सोलर सिस्टम में एक नई तकनीक के तहत अब सोलर पैनल्स (Solar Panels) की उम्र को बढ़ा दिया गया है। इस नई तकनीक की बदौलत अब सोलर पैनल्स 30 साल तक बिना किसी खराबी के लगातार काम करेंगे। यह अविष्कार सौर ऊर्जा को अधिक टिकाऊ, किफायती और भरोसेमंद बनाने का वादा करता है, जिससे न केवल घरेलू उपयोग में, बल्कि औद्योगिक क्षेत्रों में भी सोलर पैनल्स का प्रयोग बढ़ेगा। राजस्थान के सोलर एनर्जी हब को इस तकनीक से और मजबूती मिली है, जिससे राज्य में सौर ऊर्जा के उपयोग को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

राजस्थान में सोलर पैनल्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, खासकर पीएम सूर्य घर योजना के तहत, जिसका उद्देश्य घर-घर Solar Panel पहुँचाना और सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करना है। अब तक यह योजना बहुत सफल रही है।और सोलर पैनल्स के उपयोग में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। लेकिन पहले सोलर पैनल्स की कार्यक्षमता और उनकी लंबी उम्र पर सवाल उठते थे। इसी समस्या का समाधान अब सोलैक्स एनर्जी लिमिटेड द्वारा पेश की गई नई तकनीक से हो गया है।
राजस्थान की जलवायु के लिए उपयुक्त सोलर पैनल
राजस्थान की गर्म जलवायु और उच्च सौर विकिरण (Solar Radiation) को ध्यान में रखते हुए सोलैक्स एनर्जी लिमिटेड ने अत्याधुनिक सोलर उत्पाद लॉन्च किए हैं। कंपनी के चेयरमैन चेतन शाह के अनुसार, राजस्थान की तेज़ गर्मी और उच्च सौर विकिरण वाले क्षेत्रों के लिए दो नए सोलर मॉड्यूल तैयार किए गए हैं। इनमें से एक भारत का पहला रेक्टेंगुलर सेल मॉड्यूल ट्रिप आर (Rectangular Cell Module Trip R) है, जो सूर्य की कम रोशनी में भी सौर ऊर्जा का उत्पादन करेगा। इस सोलर पैनल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह 30 साल तक बिना किसी गड़बड़ी के काम करेगा।
नई सोलर पैनल्स तकनीक
इन नए सोलर मॉड्यूल्स में N-Type TOPCon (N-Type Tunnel Oxide Passivated Contact) तकनीक का उपयोग किया गया है। यह तकनीक सोलर पैनल्स की कार्यक्षमता में सुधार करती है, जिससे यह मॉड्यूल 595 से 625 वाट की पावर आउटपुट रेंज और 23.14% मॉड्यूल एफिशिएंसी प्रदान करता है। इसमें 132 हाफ-कट रेक्टेंगुलर सेल्स होते हैं, जो उच्च ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ बेहतर थर्मल टोलरेन्स भी रखते हैं। इसका मतलब यह है कि कम रोशनी में भी यह सोलर पैनल अच्छी तरह से कार्य करेगा, जिससे यह अधिक ऊर्जा उत्पन्न करेगा।
वाईस चेयरमैन पीयूष चांडक ने बताया कि रेक्टेंगुलर सेल मॉड्यूल ट्रिप आर को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य राजस्थान में बढ़ती रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की मांग को पूरा करना है। यह सोलर पैनल जलवायु-प्रतिरोधी और टिकाऊ है, जिससे भविष्य में रिन्यूएबल एनर्जी के उपयोग में और वृद्धि हो सकेगी।
ड्यूल ग्लास सोलर पैनल
साथ ही, एक और सोलर मॉड्यूल N-Type ड्यूल ग्लास मॉड्यूल है, जिसकी पावर रेंज 570 से 595 वाट है। इस मॉड्यूल में 144 हाफ-कट सेल्स होते हैं ,और यह 23.03% मॉड्यूल एफिशिएंसी प्रदान करता है। इसका ड्यूल ग्लास डिज़ाइन राजस्थान की तेज़ गर्मी, धूल और UV किरणों से बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा, इसे पीआईडी रेजिस्टेंस (PID Resistance) और अधिक ताकत से लैस किया गया है, जिससे यह 30 साल तक बिना किसी खराबी के काम करता रहेगा। इस तकनीक से सोलर पैनल की लाइफ और ताकत दोनों में सुधार हुआ है, जिससे यह अधिक सौर ऊर्जा उत्पन्न करेगा।
सोलर एनर्जी की बढ़ती मांग
भारत में सोलर एनर्जी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, और राजस्थान इस दिशा में एक अहम राज्य बनकर उभरा है। यहाँ की जलवायु और सूरज की किरणों का प्रभावी उपयोग सोलर पैनल्स की कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। इन नई तकनीकों के माध्यम से न केवल घरेलू सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा, बल्कि बड़े पैमाने पर औद्योगिक सोलर एनर्जी परियोजनाओं को भी बल मिलेगा। सोलर पैनल्स की बढ़ती संख्या और कार्यक्षमता से रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग व्यापक रूप से बढ़ेगा, जो पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ बिजली की बढ़ती खपत को कम करने में भी मदद करेगा।
इस नई तकनीक से न केवल सोलर पैनल की कार्यक्षमता में सुधार हुआ है, बल्कि इसकी उम्र भी बढ़ गई है। पहले सोलर पैनल्स का जीवनकाल 10 से 15 साल तक ही सीमित था, लेकिन अब यह 30 साल तक बिना किसी गड़बड़ी के काम कर सकेंगे। इस टेक्नोलॉजी से सोलर पैनल्स का मूल्य और उपयोग दोनों बढ़ेगा, और यह सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।