
क्या आपको पता है चीन देश सोलर सेक्टर में तेजी से वृद्धि कर रहा है इसके लिए वजह सोलर टेक्नोलॉजी को और विकसित कर रहा है। हाल ही में मोर्डोर इंटेलिजेन्स की नई रिपोर्ट सामने आई है जिसमें पता लगा है कि चीन अपनी सौर ऊर्जा क्षमता को वर्ष 2030 तक दोगुना करना चाहता है इसलिए वह अपनी तैयारी पर जुटा हुआ है। यानी की अभी की 1,230 गीगावाट क्षमता बढ़कर 2,500 गीगावॉट पर पार कर देगी।
चीन की सरकार अपने देश के नागरिकों नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करने के लिए कई ऊर्जा प्रोजेक्ट्स का निर्माण कर रही है। इसके लिए वह खूब पैसा खर्च कर रही है। मॉड्यूल की कीमत कम रहें और बिजली खरीद का एग्रीमेंट बढ़ता रहे इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक यह विस्तार 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत हो रहा है।
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चीन की सोलर शानदार तकनीक
चीन सरकार सोलर एनर्जी के मार्केट को बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रही है। इसके लिए सोलर फोटोवोल्टिक टेक्नोलॉजी पर अधिक जोर दे रही है। वर्ष 2030 तक सोलर मार्केट में पीवी का हिस्सा बढ़ने वाला है। बाजार में PV का 99.5 प्रतिशत हिस्सा है।
चीन रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ाने के लिए नई अलग अलग और विकसित तकनीकों का प्रयोग कर रहा है। इसमें एन टाइप TOPCon, हेट्रोजेंक्शन एवं बैक कॉन्टैक्ट सेल्स आदि शामिल है। ये नई सेल्स चीन के कुल सोलर पैनल शिपमेंट है 70% हिस्सा बन गई है।
यह एक आधुनिक तकनीकें हैं जिसमें सोलर पैनल सूरज के प्रकाश को 25.4 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा का निर्माण कर सकते हैं। इससे आपको सोलर सिस्टम लगाने पर कम खर्चा और अधिक बिजली का लाभ मिलेगा।
चीन CSP सेक्टर में भी तेजी से काम कर रहा है। झिजियांग में दिसंबर 2024 में एक न्य सीएसपी प्लांट बिजली ग्रिड से जोड़ा गया था इससे चीन का कुल सीएसपी क्षमता 1 गीगावाट से भी अधिक पहुंच गई है।
चीन की सोलर फैक्ट्रियां और चुनौती
दुनिया में चीन सबसे बड़ा देश बन गया है जो सोलर पैनल निर्माण कर रहा है। यहां पर LONGi और Trina Solar जैसी बड़ी कम्पनियाँ इस क्षेत्र में सबसे आगे है। इन्होने दुनिया के लिए बड़ी संख्या में सोलर पैनल का निर्माण करके बेचने का काम किया है।
हालाँकि इसके साथ चीन को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है यह व्यापार में होने वाले नुकसान और अन्य वजह से हुआ है। इन दिक्क्तों के बाद भी चीन अपने लक्ष्य पर तेजी से काम कर रहा है।
चीनी कंपनियां अब मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे देशों में सोलर फैक्ट्रियों का निर्माण कर रही है ताकि अमेरिकी ट्रैरिफ से बचा जा सके।
चीन ने मई से अभी तक करीबन 198 गीगावाट सोलर और 46 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता को जोड़ने का काम किया है। इतनी अधिक बिजली का निर्माण हुआ है कि तुर्की और इंडोनेशिया देश भी बिजली खरीद सकते हैं।
चीन में ऑन-ग्रिड सोलर पर जोर
चीन के सोलर बाजार में ऑन-ग्रिड परियोजनाओं को तेजी से बढ़ाया जा रहा है इन्होने पिछले साल तक लगभग 91% हिस्सा प्राप्त किया है। उम्मीद है की इस वर्ष से 2030 तक ऑन-ग्रिड सोलर 15.8% बढ़ोतरी कर देंगे। बता दें चीन में 70% सोलर बिजली का इस्तेमाल यूटिलिटी और ग्रिड कंपनियां कर रही है। कंपनियां और फैक्ट्रियां भी सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रही हैं।
भारत भी बढ़ रहा इस क्षेत्र के आगे
भारत देश भी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के उत्पादन के मामले में पीछे नहीं है। सरकार का उद्देश्य है कि 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी को क्षमता को 500 गीगावाट तक ले जाना है। जुलाई 2025 में भारत अपनी कुल बिजली क्षमता का 50% टारगेट पूरा कर चुका है जिसमें 234 गीगावाट बिजली का उत्पादन हुआ है जो कि एक बहुत बड़ी बात है। इसमें सोलर एनर्जी की अकेले ही 116.25 गीगावाट की उत्पादन क्षमता है।
वर्ष 2024 में रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन के मामले में भारत ने जर्मनी को पीछे कर दिया है और यह पवन ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा बनाने के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गया। लगता है कि अब चीन और अमेरिका के बाद भारत सबसे अधिक ऊर्जा निर्माण करने वाला तीसरा सबसे बड़ा सोलर मार्केट बनाएगा।