
केरल (Kerala) के अलप्पुझा ज़िले के आईएचआरडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (IHRD College of Engineering), चेंगन्नूर के छात्रों ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अनोखी पहल की है। इन छात्रों ने ऐसा सोलर-पावर्ड (Solar-powered) रोबोट विकसित किया है, जो जलाशयों और नदियों की सतह पर तैरते कचरे को प्रभावी ढंग से इकट्ठा कर सकता है। इस इनोवेशन का मुख्य उद्देश्य है जलाशयों से सतही प्रदूषकों को हटाना और पर्यावरण को संरक्षित रखना।
रोबोट की तकनीकी विशेषताएँ
यह रोबोट लगभग 30 किलोग्राम वज़न का है और इसका आकार 1.3 मीटर लंबा, 1.6 मीटर चौड़ा और 0.4 मीटर ऊँचा है। यह एक समय में 6.4 वर्ग मीटर क्षेत्र से कचरा इकट्ठा कर सकता है। रोबोट को संचालित करने के लिए रास्पबेरी पाई (Raspberry Pi) का इस्तेमाल किया गया है।
यह दो मोड में काम कर सकता है, सेमी-ऑटोनॉमस और मैनुअल। मैनुअल मोड में इसे FlySky ट्रांसमीटर रिसीवर सिस्टम से नियंत्रित किया जा सकता है, जिसकी रेंज लगभग 700 मीटर है। इसमें लगे शक्तिशाली थ्रस्टर्स पानी में इसके सुचारु संचालन को सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा इसमें लगा कैमरा रियल-टाइम विजुअल्स प्रदान करता है, जिससे वेब कंसोल के जरिए इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
सोलर चार्जिंग और Renewable Energy का उपयोग
यह रोबोट सीधे सोलर पैनल्स से संचालित हो सकता है और साथ ही इसे एक स्पेशल सोलर चार्जिंग स्टेशन से भी रिचार्ज किया जा सकता है। यह स्टेशन एक बार में इसकी बैटरी को तीन बार तक चार्ज करने की क्षमता रखता है। इसमें Mono PERC सोलर पैनल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है, जो अधिकतम ऊर्जा दक्षता सुनिश्चित करता है। इस वजह से यह रोबोट पूरी तरह से पर्यावरण-हितैषी और टिकाऊ (Sustainable) है।
डिज़ाइन और संरचना
रोबोट का ढांचा डीएनए आरसी (DNA RC) द्वारा 3D-प्रिंट किया गया है, जिसमें पीएलए (PLA) मटीरियल का इस्तेमाल हुआ है। यह मटीरियल पानी के दबाव और झटकों को सहन करने में सक्षम है, जिससे यह कचरे को सुरक्षित तरीके से इकट्ठा कर सकता है।
परीक्षण और सहयोग
इस रोबोट का सफल परीक्षण एदनाड (Edanad) में किया गया। इस प्रोजेक्ट को आईईईई (IEEE) सीई चेंगन्नूर के स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप ऑन ह्यूमैनिटेरियन टेक्नोलॉजी (SIGHT), चेंगन्नूर नगरपालिका, पंपा पुनर्जनी (Pampa Punarjani) और आईईईई साइट (IEEE SIGHT) केरल ने मिलकर आगे बढ़ाया। इस पहल को ₹4.85 लाख की फंडिंग इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इन कम्युनिटी सर्विस (EPICS) इन IEEE से मिली।
टीम और मार्गदर्शन
इस इनोवेशन के पीछे मेहनत करने वाले छात्र हैं, विजय सतीश, विग्नेश एस., जेरिन शिबु, मुहम्मद अब्नास, अनुस्री अनिल, मनस रवि चंद्रन, एनी एल्सा अनु, भावेश संजय, अमल कृष्ण एस., रवीशंकर वी. और निथिन मैथ्यू जोजी। इस प्रोजेक्ट का मार्गदर्शन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, चेंगन्नूर के प्रिंसिपल हरि वी.एस., इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष राजू एम. और पूर्व फैकल्टी सदस्य दीपा जे. ने किया।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नई उम्मीद
इस रोबोट का विकास न केवल छात्रों की तकनीकी दक्षता का उदाहरण है, बल्कि यह आने वाले समय में जलाशयों की सफाई और पर्यावरण संरक्षण में एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकता है। भारत जैसे देश में, जहाँ जलाशयों और नदियों में प्लास्टिक व अन्य कचरे की समस्या लगातार बढ़ रही है, यह इनोवेशन स्वच्छ जल और सतत विकास (Sustainable Development) की दिशा में एक बड़ा कदम है।