भारत सरकार ने हाल ही में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की है, जिसमें 5,400 करोड़ रुपये की राशि बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) के विकास के लिए आवंटित की गई है। इस योजना का मकसद है सोलर बिजली को दिन के साथ-साथ रात में भी उपलब्ध कराना, जिससे ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) क्या है?
बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम यानी BESS ऐसी तकनीक है जो सौर ऊर्जा को संग्रहित करके जरूरत पड़ने पर बिजली की आपूर्ति करती है। जब दिन में सूरज की रोशनी के कारण सोलर पैनल अधिक बिजली उत्पादन करते हैं, वह अतिरिक्त ऊर्जा BESS में स्टोर हो जाती है। इस स्टोर्ड बिजली का उपयोग तब किया जाता है जब सूर्य अस्त होता है या बिजली की मांग ज्यादा होती है। इसका मुख्य लाभ यह है कि बिजली की आपूर्ति में निरंतरता बनी रहती है और बिजली कटौती की समस्या कम होती है।
योजना के व्यापक फायदे
इस योजना के तहत देश में लगभग 30 गीगावाट-घंटा बैटरी क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे न केवल बिजली के उत्पादन और खपत के बीच संतुलन बना रहेगा, बल्कि अक्षय ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी और भारत की ऊर्जा सुरक्षा भी बेहतर होगी। इससे बिजली की कीमतों में स्थिरता आएगी और बिजली की उपलब्धता 24 घंटे बनी रहेगी।
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क्या अब सच में 24 घंटे मिलेगी सोलर बिजली?
यह योजना सौर ऊर्जा को दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी उपयोगी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। बैटरी स्टोरेज की मदद से बिजली की जमा हुई मात्रा को बिना किसी रोक-टोक के 24 घंटे इस्तेमाल किया जा सकेगा। हालांकि, इसके लिए पर्याप्त ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता है, जिसके लिए सरकार ने भारी निवेश किया है। इसके परिणामस्वरूप, भविष्य में हर घर में सौर ऊर्जा से 24 घंटे बिजली मिलने की संभावना मजबूत हो गई है।







