भारत ने अपनी ऊर्जा रणनीति में एक प्रभावशाली बदलाव लाते हुए सौर ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन के संयोजन से स्वच्छ और किफायती ऊर्जा उत्पादन की दिशा में तेज कदम बढ़ाए हैं। ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जिसे पानी को तोड़कर सौर ऊर्जा के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जिससे पर्यावरण में कोई प्रदूषण नहीं होता।

सौर ऊर्जा का कम लागत वाला विकल्प
भारत की विशेषता है कि यहाँ सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत विश्व में सबसे कम है। राजस्थान, गुजरात और अन्य सोलर पावर से समृद्ध राज्यों में उत्पादन लागत बेहद कम है, जो ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को भी आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाती है। यह सस्ती सौर ऊर्जा ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन मूल्य को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है। इसका लक्ष्य 2030 तक देश में बड़ी मात्रा में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। इसके तहत नीतिगत प्रोत्साहन और निवेश के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा को स्थायी एवं सामरिक ऊर्जा के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
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उद्योगों में नए अवसर
ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की बढ़ती मांग के कारण भारत में इस क्षेत्र में बड़े उद्योग निवेश कर रहे हैं। इससे न केवल ऊर्जा क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत हो रही है। आयात पर निर्भरता घटकर भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है।
भविष्य की दिशा
आने वाले वर्षों में भारत अपनी सौर ऊर्जा की अतिरिक्त क्षमता का उपयोग ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में करेगा। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा बाजार में भारत की स्थिति को सुदृढ़ करेगा। इस मिश्रण से भारत विश्व में स्वच्छ ऊर्जा के एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरेगा।







