
केंद्र सरकार ने पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। अब सोलर पंप पहले से काफी सस्ते मिलेंगे क्योंकि सरकार ने जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी है। इस बदलाव से किसानों को हजारों रुपए की सीधी बचत होगी। साथ ही, केवल 10 प्रतिशत राशि जमा करने पर खेत में सोलर पंप स्थापित करने की सुविधा भी दी जा रही है।
योजना का उद्देश्य: ऊर्जा आत्मनिर्भर किसान
प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) का उद्देश्य किसानों को पारंपरिक बिजली और डीजल पर निर्भरता से मुक्त कराना है। इसके तहत प्रत्येक किसान को अपने खेत में सौर ऊर्जा आधारित पंप संयंत्र लगाने का अवसर दिया जा रहा है। इस प्रणाली से किसान दिन में धूप के समय मुफ्त बिजली का उपयोग कर फसलें सींच सकते हैं, जिससे सिंचाई लागत में भारी कमी आती है।
सौर ऊर्जा से संचालित ये पंप पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ किसानों को स्थायी ऊर्जा का विकल्प प्रदान करते हैं। केंद्रीय और राज्य सरकारें मिलकर इस योजना को पूरे देश में फैलाने पर काम कर रही हैं ताकि हर किसान तक सौर ऊर्जा की पहुँच सुनिश्चित की जा सके।
अब सौर पंप पहले से सस्ते
2025 में सरकार ने योजना में बड़ा संशोधन करते हुए जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी है। इस कदम से सौर पंप लगाने की लागत 4,000 से 7,800 रुपए तक घटेगी। इस राहत से न केवल किसानों की प्रारंभिक लागत कम होगी, बल्कि अधिक किसानों को योजना का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों ने इस योजना में सक्रिय भागीदारी दिखाई है। इन राज्यों में किसानों को 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है, जिससे सोलर पंप अब पहले की तुलना में बहुत किफायती हो गए हैं।
किसानों के लिए सब्सिडी और वित्तीय सहायता
योजना के तहत किसानों को कुल लागत का 60 प्रतिशत तक सरकार की ओर से अनुदान मिलता है।
इसके अलावा:
- किसान केवल 10 प्रतिशत राशि स्वयं जमा करते हैं।
- शेष 30 प्रतिशत राशि बैंक ऋण के रूप में दी जाती है।
अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के किसानों को अतिरिक्त 45,000 रुपए तक की विशेष सहायता भी दी जाती है। यह पहल कमजोर वर्गों को खेती में तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ावा देती है।
जीएसटी में कटौती का असर
विशेषज्ञों के अनुसार जीएसटी दर में की गई कटौती किसानों की आर्थिक बोझ को कम करने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे सीमांत और लघु किसान, जो पहले लागत के कारण पीछे हटते थे, अब आसानी से सौर पंप लगवा पाएंगे। इस बदलाव से पंप निर्माता कंपनियों की लागत भी कम होगी, जिससे देशभर में सौर पंपों की उपलब्धता और गति दोनों बढ़ेंगी।
आवेदन प्रक्रिया: कैसे करें रजिस्ट्रेशन
कृषक वर्ग के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। राजस्थान जैसे राज्यों में किसान राज किसान पोर्टल (rajkisan.rajasthan.gov.in) या नजदीकी ई-मित्र केंद्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज इस प्रकार हैं:
- जन आधार कार्ड या आधार कार्ड
- जमीन की जमाबंदी की प्रमाणित कॉपी
- सिंचाई स्रोत का प्रमाण पत्र
- बैंक खाता विवरण
- श्रेणी प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
आवेदन के बाद पात्र किसान को विभाग की ओर से सूचना भेजी जाती है। उन्हें केवल अपनी हिस्से की राशि तय समय में जमा करनी होती है। यदि राशि समय पर जमा नहीं की जाती, तो अवसर अगले योग्य किसानों को दे दिया जाता है।
सिंचाई में समय की बचत और आय में बढ़ोतरी
सौर पंप स्थापना के बाद किसानों को बिजली कनेक्शन का इंतजार नहीं करना पड़ता। इससे दिन के समय सिंचाई पूरी की जा सकती है, जिससे फसल उत्पादन पर सीधा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डीजल और बिजली के खर्च में कमी आने से शुद्ध बचत बढ़ती है और यह सरकार के “डबल इनकम” लक्ष्य को और मजबूती प्रदान करती है।
एक औसत किसान के लिए सौर पंप लगाने से सालाना 15,000 से 25,000 रुपए तक की बचत हो सकती है, जो कुछ ही वर्षों में निवेश की भरपाई कर देती है।
पर्यावरण और भविष्य की दृष्टि से फायदेमंद
सौर पंप न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक हैं, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण कदम हैं। इनके उपयोग से डीजल जलने से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में बिजली की कमी के बावजूद सिंचाई निरंतर चलती रहती है। सरकार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में लाखों किसानों तक सौर ऊर्जा पंप पहुंचाना है, ताकि कृषि और ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो सके।







