Electric vs Solar Heater: इलेक्ट्रिक हीटर से होगी छुट्टी! सर्दियों के लिए क्यों है Solar Water Heater सबसे बेस्ट? जानें

इलेक्ट्रिक हीटर को कहें अलविदा इस सर्दी अपनाएं सोलर वॉटर हीटर और पाएं लगातार गर्म पानी के साथ बड़ी बिजली बचत। जानें क्यों यह पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हर घर के लिए सबसे बेहतर साबित हो रहा है।

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Written by Rohit Kumar

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Electric vs Solar Heater: इलेक्ट्रिक हीटर से होगी छुट्टी! सर्दियों के लिए क्यों है Solar Water Heater सबसे बेस्ट? जानें
Electric vs Solar Heater: इलेक्ट्रिक हीटर से होगी छुट्टी! सर्दियों के लिए क्यों है Solar Water Heater सबसे बेस्ट? जानें

सर्दियां आते ही गर्म पानी की जरूरत बढ़ जाती है, लेकिन बिजली का बिल भी साथ बढ़ जाता है। ऐसे में सोलर वाटर हीटर एक समझदारी भरा विकल्प हो सकता है। यह उपकरण सूर्य की ऊर्जा से पानी गर्म करता है, जिससे बिजली की खपत लगभग खत्म हो जाती है। जानें यह कैसे काम करता है, किसे किस मॉडल का चयन करना चाहिए, और किस कीमत पर यह घर में लग सकता है।

सोलर वाटर हीटर क्या है और कैसे काम करता है

सोलर वाटर हीटर वह उपकरण है जो सूर्य की ऊर्जा को सीधे उपयोग में लाकर पानी को गर्म करता है। इसके ऊपरी हिस्से में लगे कलेक्टर सूर्य की किरणों को अवशोषित करते हैं। इन्हीं कलेक्टर ट्यूबों से गुजरता पानी धीरे-धीरे गर्म होता जाता है और फिर एक स्टोरेज टैंक में इकट्ठा हो जाता है। बाद में यही गर्म पानी नहाने, बर्तन या कपड़े धोने जैसे कामों के लिए घर में सप्लाई किया जाता है।

इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी तरह की बिजली या गैस की जरूरत नहीं होती। यानी एक बार इंस्टॉल करने के बाद यह सिस्टम प्राकृतिक ऊर्जा से चलता है। ग्रामीण इलाकों में जहां बिजली की आपूर्ति सीमित होती है, वहां यह समाधान और भी उपयोगी साबित होता है।

क्यों जरूरी है सोलर वाटर हीटर अपनाना

भारत जैसे देश में जहां साल के अधिकांश दिन सूर्य निकलता है, वहां सौर ऊर्जा का उपयोग काफी आसान और किफायती है। ठंडे मौसम में पारंपरिक गीजर या हीटिंग रॉड बिजली की भारी खपत करते हैं। एक औसत परिवार सिर्फ पानी गर्म करने के लिए महीने में 300–500 यूनिट बिजली खर्च कर देता है।

सोलर वाटर हीटर लगाने से यह खर्च लगभग शून्य के बराबर हो सकता है। यह न सिर्फ बिजली बिल कम करता है बल्कि कार्बन उत्सर्जन घटाकर पर्यावरण को भी सुरक्षित रखता है। यही नहीं, लंबे समय तक चलने वाला यह सिस्टम आने वाले वर्षों में ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में एक अहम कदम माना जाता है।

सोलर वाटर हीटर के मुख्य प्रकार

बाजार में फिलहाल दो प्रमुख तकनीकें उपलब्ध हैं, जिन्हें उपयोगकर्ता अपनी जलवायु और जरूरत के अनुसार चुन सकता है:

  1. FPC (Flat Plate Collector) सोलर वाटर हीटर:
    यह सिस्टम एक फ्लैट प्लेट में लगे कॉपर ट्यूब्स से बना होता है। इसमें ग्लास कवर और इन्सुलेशन लेयर होती है, जिससे गर्मी का नुकसान बहुत कम होता है। यह मॉडल विशेष रूप से गर्म या मध्यम जलवायु वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
  2. ETC (Evacuated Tube Collector) सोलर वाटर हीटर:
    इस सिस्टम में कांच की कई वैक्यूम ट्यूब्स होती हैं जो सूर्य की ऊष्मा को अवशोषित कर पानी गर्म करती हैं। ठंडे इलाकों में जहां तापमान काफी नीचे चला जाता है, वहां यह तकनीक तेजी से और कुशलता से काम करती है।

दोनों मॉडलों का रखरखाव कम है, लेकिन चुनी गई तकनीक स्थानीय तापमान और परिवार की दैनिक जरूरत के हिसाब से चुनना बेहतर होता है।

सोलर वाटर हीटर के लाभ

सोलर वाटर हीटर केवल बिजली बचाने का साधन नहीं बल्कि एक दीर्घकालिक निवेश है। इसके कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं –

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  • बिजली बचत: पानी गर्म करने की पूरी प्रक्रिया सूर्य की ऊर्जा पर आधारित है।
  • कम रखरखाव: इसे स्थापित करने के बाद नियमित सर्विसिंग की खास जरूरत नहीं पड़ती।
  • लंबी उम्र: सही रखरखाव के साथ ये सिस्टम 15 से 20 साल तक चल सकते हैं।
  • पर्यावरण हितैषी: बिजली आधारित गीजरों की तुलना में यह कार्बन उत्सर्जन लगभग समाप्त कर देता है।
  • सरकारी सब्सिडी: कुछ राज्यों में रिन्यूएबल एनर्जी प्रमोशन स्कीम के तहत सोलर वाटर हीटर पर सब्सिडी भी दी जाती है।

कीमत और बाजार विकल्प

भारत में सोलर वाटर हीटर की कीमत उसकी क्षमता और ब्रांड के अनुसार अलग-अलग होती है। औसतन 100 से 200 लीटर क्षमता वाले घरेलू मॉडल्स की लागत 18,000 से 30,000 रुपये के बीच रहती है। बड़े घरों या वाणिज्यिक उपयोग के लिए उच्च क्षमता वाले मॉडल्स की कीमत 50,000 रुपये तक जा सकती है।

प्रसिद्ध ब्रांड्स जैसे Havells, Racold, V-Guard, और Tata Solar के मॉडल्स भारतीय बाजार में लोकप्रिय हैं। खरीदारी करते समय वारंटी, इंस्टॉलेशन सर्विस और रिप्लेसमेंट सपोर्ट जैसे पहलुओं की जांच जरूर करनी चाहिए।

कितनी जगह की जरूरत होती है

सोलर वाटर हीटर इंस्टॉलेशन के लिए सबसे आदर्श स्थान घर की छत है। इसे ऐसी जगह लगाया जाता है जहां दिन के समय धूप अबाध रूप से पहुंच सके। औसतन 200 लीटर क्षमता वाले मॉडल के लिए लगभग 2.5 से 3 वर्ग मीटर क्षेत्र आवश्यक होता है।

छोटे घरों या अपार्टमेंट में फ्लैट-रूफ वाले मॉडल्स या वॉल-माउंटेड विकल्प भी उपलब्ध हैं। इंस्टॉलेशन से पहले किसी सर्टिफाइड टेक्नीशियन की सलाह लेना हमेशा फायदेमंद होता है ताकि सिस्टम की कार्यक्षमता अधिकतम रहे।

रखरखाव और कार्यक्षमता बढ़ाने के उपाय

  1. हर छह महीने में कलेक्टर ट्यूब्स की सफाई करें ताकि धूल और मलबा न जमे।
  2. साल में एक बार पाइपलाइन और टैंक का निरीक्षण करें।
  3. वर्षा या अत्यधिक बादल वाले मौसम में सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए वैकल्पिक हीटिंग विकल्प तैयार रखें।
  4. यदि जल कठोर है, तो एंटी-स्केलिंग कोटिंग या नर्म जल फिल्टर का उपयोग करें ताकि ट्यूब की कार्यक्षमता बनी रहे।

इन छोटे उपायों से सोलर वाटर हीटर की आयु और गर्मी उत्पादन क्षमता दोनों में वृद्धि होती है।

क्या यह हर परिवार के लिए उपयोगी है

यदि घर में रोजाना 3 से 5 लोगों की गर्म पानी की आवश्यकता होती है, तो सोलर वाटर हीटर सबसे उपयुक्त विकल्प बन सकता है। बड़े परिवारों में जहां एक साथ कई वॉशरूम का उपयोग होता है, वहां यह सिस्टम बिजली बिल में प्रति माह 1,000–1,500 रुपये तक की बचत कर सकता है। छोटे परिवारों, स्टूडेंट्स या किराये के मकानों के लिए छोटे क्षमता वाले मॉडल्स लाभदायक रहते हैं। हालांकि, जिन इलाकों में लगातार बादल या कम धूप रहती है, वहां इसे बैकअप इलेक्ट्रिक हीटर से जोड़ा जा सकता है।

Author
Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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