
बिजली की बढ़ती कीमतों और जलवायु परिवर्तन को देखते हुए, घर की छतों पर सोलर पैनल लगवाना एक लोकप्रिय और फायदेमंद विकल्प बनता जा रहा है, सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं के कारण भी आवासीय सोलर सिस्टम की मांग में तेजी आई है।
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सोलर पैनल लगवाने की अनुमानित लागत
भारत में आवासीय सोलर सिस्टम की औसत लागत लगभग ₹45,000 से ₹75,000 प्रति किलोवाट (kW) है, यह कीमत सिस्टम के प्रकार (ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड), ब्रांड, उपकरण की गुणवत्ता और स्थापना (इंस्टॉलेशन) के स्थान पर निर्भर करती है।
सरकारी सब्सिडी: लागत में बड़ी राहत
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी PM Surya Ghar Yojana (पीएम सूर्य घर योजना) के तहत, उपभोक्ताओं को आकर्षक सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे कुल लागत काफी कम हो जाती है:
- 3kW तक की क्षमता के लिए: लागत पर 40% तक की भारी सब्सिडी उपलब्ध है।
- 3kW से 10kW तक की क्षमता के लिए: पहले 3kW के लिए 40% और अतिरिक्त क्षमता (3kW से ऊपर) के लिए 20% सब्सिडी का प्रावधान है।
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कितनी होगी बचत और कितने समय में वापस मिलेगा पैसा?
सोलर सिस्टम से होने वाली बचत मुख्य रूप से आपके दैनिक बिजली उपभोग और स्थानीय बिजली टैरिफ पर निर्भर करती है।
बिजली उत्पादन क्षमता:
भारत जैसे देश में, औसतन, 1kW का सोलर सिस्टम प्रतिदिन लगभग 4 यूनिट (kWh) बिजली का उत्पादन करता है।
- 1kW सिस्टम: लगभग 4 यूनिट/दिन
- 3kW सिस्टम: लगभग 12 यूनिट/दिन
- 5kW सिस्टम: लगभग 20 यूनिट/दिन (मासिक लगभग 600 यूनिट)
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पैसा वापस मिलने का समय
सोलर पैनल में किया गया निवेश एक दीर्घकालिक पूंजीगत व्यय है, आमतौर पर, सब्सिडी प्राप्त करने के बाद, सिस्टम की कुल लागत और बिजली बिल में होने वाली वार्षिक बचत के आधार पर, पेबैक अवधि (ब्रेक-ईवन पॉइंट) 4 से 8 साल के बीच होती है।
चूंकि सोलर पैनल की जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) आमतौर पर 25 वर्ष या उससे अधिक होती है, पेबैक अवधि के बाद अगले 15-20 वर्षों तक उपभोक्ता को लगभग मुफ्त बिजली मिलती है। यह निवेश न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि आर्थिक रूप से भी एक मजबूत निर्णय है।







