
सोलर कंपनियों के शेयरों में आई तेजी के पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जिनमें सरकारी नीतियां, स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग और तकनीकी प्रगति शामिल है, यह तेजी लंबी अवधि तक बने रहने की उम्मीद है, क्योंकि भारत सरकार ने 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
सोलर सेक्टर में तेजी के 3 बड़े कारण
प्रोत्साहक सरकारी नीतियां और महत्वाकांक्षी लक्ष्य
- भारत सरकार की नीतियां, जैसे “PM-Surya Ghar Muft Bijli Yojana” (पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना), घरेलू सौर ऊर्जा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना, और 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य, इस सेक्टर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- इन योजनाओं ने कंपनियों के लिए एक अनुकूल कारोबारी माहौल बनाया है, जिससे निवेश बढ़ा है और आयात पर निर्भरता कम हुई है।
स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग
- जलवायु परिवर्तन के प्रति बढ़ती जागरूकता और पारंपरिक जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल, गैस) की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने स्वच्छ ऊर्जा की मांग को बढ़ा दिया है।
- भारत की बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने में सौर ऊर्जा एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है, जिसने कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं।
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तकनीकी प्रगति और लागत में कमी
- सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी में नवाचारों (Innovation) ने सौर पैनलों की दक्षता में सुधार किया है और लागत को काफी कम कर दिया है।
- बैटरी-आधारित ऊर्जा भंडारण (Energy Storage) जैसी संबंधित प्रौद्योगिकियों के विकास ने सौर ऊर्जा की विश्वसनीयता को बढ़ाया है, जिससे यह उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए एक अधिक आकर्षक विकल्प बन गया है।
यह तेजी कब तक रहेगी?
सौर ऊर्जा क्षेत्र में यह तेजी दीर्घकालिक रहने की उम्मीद है। इसके पीछे मुख्य कारण हैं:
- सौर ऊर्जा क्षेत्र में निरंतर वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
- भारत में सौर ऊर्जा की भारी क्षमता है (लगभग 300 धूप वाले दिन प्रति वर्ष), जिसका अभी पूरी तरह से दोहन नहीं किया गया है।
- जैसे-जैसे कार्बन तटस्थता (carbon neutrality) एक वैश्विक प्राथमिकता बनती जा रही है, इस क्षेत्र में अधिक संस्थागत और विदेशी निवेश आने की संभावना है, जिससे निरंतर विकास सुनिश्चित होगा।






