Solar Income: घर की छत पर 5 किलोवाट सोलर प्लांट लगवाकर, हर महीने ₹5,000 तक की बचत! जानें रिटर्न का पूरा गणित

बिजली की बढ़ती कीमतों के बीच, घर की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करना न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर कदम है, बल्कि आर्थिक रुप से भी अत्यधिक फायदेमंद साबित हो रहा है, एक औसत 5 किलोवाट क्षमता वाला सोलर प्लांट लगाकर उपभोक्ता आसानी से अपने मासिक बिजली बिल में ₹5,000 या उससे अधिक की कटौती कर सकते हैं

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Written by Rohit Kumar

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Solar Income: घर की छत पर 5 किलोवाट सोलर प्लांट लगवाकर, हर महीने ₹5,000 तक की बचत! जानें रिटर्न का पूरा गणित
Solar Income: घर की छत पर 5 किलोवाट सोलर प्लांट लगवाकर, हर महीने ₹5,000 तक की बचत! जानें रिटर्न का पूरा गणित

बिजली की बढ़ती कीमतों के बीच, घर की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करना न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर कदम है, बल्कि आर्थिक रुप से भी अत्यधिक फायदेमंद साबित हो रहा है, एक औसत 5 किलोवाट क्षमता वाला सोलर प्लांट लगाकर उपभोक्ता आसानी से अपने मासिक बिजली बिल में ₹5,000 या उससे अधिक की कटौती कर सकते हैं।

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निवेश और सब्सिडी का गणित

भारत सरकार की ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ (PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana) ने आवासीय सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया है, 5 किलोवाट ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम की औसत लागत लगभग ₹2.5 लाख से ₹3.5 लाख के बीच होती है।

  • अनुमानित लागत: ₹3.2 लाख (बिना सब्सिडी के औसत)
  • सरकारी सब्सिडी: इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को लगभग ₹78,000 तक की सब्सिडी मिल सकती है।
  • प्रभावी लागत (सब्सिडी के बाद): ₹2 लाख से ₹2.5 लाख के बीच।

बिजली उत्पादन और बचत का विश्लेषण

एक 5 किलोवाट का सोलर प्लांट आदर्श परिस्थितियों में प्रतिदिन लगभग 20 से 25 यूनिट बिजली पैदा करता है। मासिक आधार पर यह उत्पादन 600 से 750 यूनिट तक पहुंच जाता है।

  • मासिक उत्पादन: औसतन 600 यूनिट
  • प्रति यूनिट औसत दर: ₹8 से ₹10 (राज्य टैरिफ के अनुसार)
  • मासिक वित्तीय बचत: 600 यूनिट * ₹8/यूनिट = ₹4,800 प्रति माह (जो आसानी से ₹5,000 तक जा सकती है)

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आकर्षक रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI)

यह निवेश (ROI) के दृष्टिकोण से एक मजबूत प्रस्ताव है।

  • वार्षिक बचत: लगभग ₹57,000 से ₹65,000।
  • पेबैक अवधि: सरकारी सब्सिडी और बिजली की खपत के आधार पर, सिस्टम की लागत 5 से 7 वर्षों में वसूल हो जाती है।
  • सिस्टम लाइफ: सोलर पैनल का जीवनकाल लगभग 25 वर्ष होता है, इस अवधि में कुल बचत ₹15 से ₹20 लाख के बीच हो सकती है।

नेट मीटरिंग का लाभ

अतिरिक्त उत्पादित बिजली को ‘नेट मीटरिंग’ (Net Metering) सुविधा के माध्यम से स्थानीय ग्रिड में भेजा जा सकता है। इसके बदले बिजली कंपनी बिल में क्रेडिट देती है, जिससे बचत और भी बढ़ जाती है।

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यह योजना न केवल बिजली बिल का बोझ कम करती है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) की वेबसाइट mnre.gov.in पर अधिक जानकारी और प्रमाणित विक्रेताओं की सूची उपलब्ध है।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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