
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और अभिनव सफलता हासिल करते हुए, इलाहाबाद विश्वविद्यालय (अब प्रयागराज) के शोधकर्ताओं और छात्रों की एक टीम ने एक ऐसे विशेष पेंट का विकास किया है जो भविष्य में पारंपरिक सौर पैनलों की जगह ले सकता है, यह तकनीक ऊर्जा उत्पादन के तरीके में क्रांति लाने की क्षमता रखती है।
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क्या है यह नई तकनीक?
इस परियोजना के तहत, वैज्ञानिकों ने एक ऐसा पेंट विकसित किया है जिसमें प्रकाश-संवेदनशील सामग्री (photosensitive material) का उपयोग किया गया है। यह पेंट सामान्य पेंट की तरह ही दीवारों या किसी भी सतह पर लगाया जा सकता है, लेकिन इसका मुख्य कार्य सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करना और उसे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करना है।
कैसे काम करेगा यह ‘स्मार्ट’ पेंट?
विशेषज्ञों के अनुसार, एक बार दीवारों पर लगाए जाने के बाद, यह पेंट एक पतली सौर सेल (thin-film solar cell) की तरह काम करता है। यह सूर्य की रोशनी को पकड़कर उसे बिजली में बदलता है, जिसका उपयोग घरों को रोशन करने, छोटे उपकरण चलाने या बैटरी चार्ज करने के लिए किया जा सकता है।
परियोजना का उद्देश्य
इस अभिनव प्रयास का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा के स्थायी और सस्ते स्रोत प्रदान करना है, विशेष रूप से उन ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में जहां पारंपरिक बिजली ग्रिड पहुंचाना मुश्किल है।
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शोध टीम के सदस्यों का कहना है कि यह तकनीक अभी शुरुआती प्रायोगिक चरण में है, हालांकि, व्यावसायिक स्तर पर इसके सफल होने से सौर ऊर्जा का उपयोग अधिक सुविधाजनक, सस्ता और सर्वव्यापी हो जाएगा, जिससे हर घर की दीवारें भविष्य में ‘पावर हाउस’ बन सकेंगी, यह भारत सरकार के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।






