
लद्दाख प्रशासन द्वारा वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए शुरू की गई नई कमर्शियल सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना (2025) का केंद्र शासित प्रदेश के व्यापारियों और होटल मालिकों ने तहे दिल से स्वागत किया है, हालांकि, योजना के पूर्ण लाभ को लेकर व्यापारिक समुदायों ने लद्दाख पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (LPDD) के सामने ‘जीरो मीटरिंग’ नियम में संशोधन की एक बड़ी मांग रखी है।
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क्या है योजना और व्यापारियों का रुख?
दिसंबर 2025 की ताजा रिपोर्टों के अनुसार, लद्दाख के होटल और गेस्ट हाउस मालिकों ने बिजली बिलों में कटौती और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा की दिशा में इस योजना को एक क्रांतिकारी कदम बताया है, प्रशासन इस योजना के तहत वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को ₹15,000 प्रति किलोवाट (अधिकतम ₹6 लाख तक) की सब्सिडी प्रदान कर रहा है, जो 1 किलोवाट से 40 किलोवाट तक के प्रोजेक्ट्स पर लागू है।
‘जीरो मीटरिंग’ बना चिंता का विषय
व्यापारियों का मुख्य विरोध ‘जीरो मीटरिंग’ (Zero Metering) नीति को लेकर है, वर्तमान नियमों के तहत, एक वित्तीय वर्ष (31 मार्च) के अंत में उपभोक्ता द्वारा ग्रिड को दी गई अतिरिक्त बिजली का क्रेडिट ‘जीरो’ यानी शून्य कर दिया जाता है।
व्यापारियों का तर्क
- लद्दाख में सर्दियों के दौरान पर्यटन गतिविधियां थम जाती हैं, जिससे सौर ऊर्जा का उत्पादन तो होता है लेकिन खपत न्यूनतम रहती है।
- मौजूदा नियम के कारण सर्दियों में इकट्ठा किया गया बिजली का सरप्लस क्रेडिट मार्च के बाद खत्म हो जाता है, जिससे व्यापारियों को वित्तीय लाभ नहीं मिल पाता।
- व्यापारियों ने मांग की है कि इस सरप्लस क्रेडिट को अगले 3 वर्षों तक आगे (Carry Forward) ले जाने की अनुमति दी जाए ताकि वे गर्मियों के पीक सीजन में इसका उपयोग कर सकें।
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बुनियादी ढांचे में सुधार की जरुरत
न्यूज रिपोर्टों के अनुसार, व्यापारियों ने ज़ांस्कर, नुब्रा और चांगथांग जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में ग्रिड कनेक्टिविटी और स्टेबलाइजेशन को बेहतर बनाने की भी अपील की है, उनका कहना है कि इन क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण सोलर फीड-इन का लाभ उठाना चुनौतीपूर्ण है।
प्रशासन का लक्ष्य
लद्दाख में वर्तमान में लगभग 10,800 वाणिज्यिक उपभोक्ता हैं, सरकार का लक्ष्य डीजल जनरेटरों पर निर्भरता कम करना और लद्दाख को ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना है, यदि व्यापारियों की मांगों पर विचार किया जाता है, तो इस योजना के तहत सौर ऊर्जा अपनाने वालों की संख्या में बड़ा उछाल आने की संभावना है।







