
भारतीय कृषि क्षेत्र में तकनीक के समावेश ने किसानों की सबसे बड़ी चिंता का समाधान ढूंढ निकाला है, फसल कटाई के बाद उचित भंडारण न होने के कारण फल और सब्जियों के सड़ने की समस्या अब बीते दिनों की बात होने वाली है, नई ‘सोलर कोल्ड स्टोरेज’ तकनीक ने बिना बिजली के फसलों को सुरक्षित रखकर किसानों के भाग्य को बदलने का काम शुरु कर दिया है।
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बिजली संकट का परमानेंट इलाज
ग्रामीण इलाकों में बिजली की अनियमित आपूर्ति और भारी बिल हमेशा से कोल्ड स्टोरेज के मार्ग में बड़ी बाधा रहे हैं, लेकिन यह नई तकनीक पूरी तरह सौर ऊर्जा पर आधारित है, इसकी सबसे बड़ी खासियत ‘थर्मल एनर्जी स्टोरेज’ सिस्टम है। यह सिस्टम दिन में सूरज की रोशनी से ऊर्जा सोख लेता है और उसे थर्मल बैकअप के रुप में सुरक्षित रखता है, जिससे रात के समय या बादल होने पर भी बिना बैटरी के तापमान स्थिर बना रहता है।
फसल खराब होने का डर खत्म
आमतौर पर टमाटर, शिमला मिर्च और हरी पत्तेदार सब्जियां 2 से 3 दिनों में खराब होने लगती हैं, जिससे किसानों को मजबूरन फसल कम दामों में बेचनी पड़ती है। इस नई तकनीक की मदद से:
- फलों और सब्जियों की शेल्फ लाइफ 15 से 30 दिनों तक बढ़ गई है।
- किसान अब बाजार में सही भाव मिलने तक अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।
- महंगी बैटरी के बिना चलने के कारण इसका रखरखाव (Maintenance) बेहद सस्ता है।
पोर्टेबल और किफायती समाधान
5 मीट्रिक टन और उससे अधिक क्षमता वाले ये कोल्ड स्टोरेज पोर्टेबल हैं, जिन्हें किसान अपनी सुविधा के अनुसार खेत या मंडी के पास स्थापित कर सकते हैं, शून्य बिजली बिल और न्यूनतम परिचालन लागत के कारण यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी एक लाभदायक सौदा साबित हो रहा है।
सरकारी सब्सिडी का उठाएं लाभ
किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भी इस दिशा में कदम बढ़ा रही है, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सौर ऊर्जा आधारित कोल्ड स्टोरेज इकाइयों पर 35% से 50% तक की सब्सिडी दी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह तकनीक देश के हर ब्लॉक तक पहुंचती है, तो न केवल किसानों की आय दोगुनी होगी, बल्कि देश में होने वाली ‘पोस्ट-हार्वेस्ट’ बर्बादी (फसल की बर्बादी) में भी भारी कमी आएगी।







