सोलर पैनल का प्रयोग सौर ऊर्जा से बिजली प्राप्त करने के लिए किया जाता है, बिजली बनाने की इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है, साथ ही यह बिजली बिल को घटाने में भी सहायक होते हैं। सोलर पैनल की इन्हीं महत्वों को समझते हुए सरकार द्वारा नागरिकों को सोलर सब्सिडी के माध्यम से नागरिकों को प्रेरित किया जाता है। 3 kW Solar System को सब्सिडी के साथ कम खर्चे में लगा सकते हैं।
3 kW Solar System से कितनी बिजली बनती है?
3 kW Solar System में लगाए गए सोलर पैनल से हर दिन 15 यूनिट तक बिजली प्राप्त की जाती है, ज्यादातर घरों में 3kW का सोलर सिस्टम ही इंस्टाल रहता है। इस सिस्टम से महीने में 450 यूनिट तक बिजली बनाई जा सकती है, ऐसे में यूजर को बिजली का बिल भी कम प्राप्त होता है। यदि आपके घर में 450 यूनिट तक औसतन बिजली का मासिक लोड रहता है तो आप इस सिस्टम को स्थापित कर सकते हैं।
कैसे सोलर सिस्टम पर मिलेगी सब्सिडी?
केंद्र सरकार द्वारा सोलर सिस्टम को ऑनग्रिड लगाने पर सब्सिडी दी जाती है, ऐसे सिस्टम में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है, एवं ग्रिड की बिजली का उपयोग ही यूजर द्वारा किया जाता है। इस प्रकार के सिस्टम में शेयर होने वाली बिजली की गणना नेट मीटर से की जाती है। ऐसे सिस्टम में सोलर पैनल, इंवर्टर और नेट मीटर मुख्य उपकरण होते हैं। सोलर सिस्टम के स्थापित हो जाने के बाद ही सब्सिडी का लाभ आवेदक को प्राप्त होता है।
3 kW Solar System को सब्सिडी के साथ लगाने का खर्चा
3kW ऑनग्रिड सोलर सिस्टम को लगाने पर केंद्र की पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के माध्यम से आवेदक को 78 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त होती है। सब्सिडी प्राप्त करने के लिए राज्य के डिस्कॉम में पंजीकृत सोलर विक्रेता से ही सोलर उपकरणों को खरीदना चाहिए। सिस्टम को ऑनग्रिड लगाने में होने वाला कुल खर्चा इस प्रकार रहता है:-
- 3kW सोलर पैनल (मोनोक्रिस्टलाइन) की कीमत: 1.20 लाख रुपये
- 3kVA सोलर इंवर्टर की कीमत: 30 हजार रुपये
- अन्य खर्चा ( वायर, नेट मीटर, ACDB/DCDB): 20 हजार रुपये
- सोलर सब्सिडी: -78 हजार रुपये
- कुल खर्चा: 92 हजार रुपये
सोलर सिस्टम की कीमत को प्रभावित करने वाले कारक
सोलर सिस्टम में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों के प्रकार एवं क्षमता के अनुसार उनकी कीमत अलग-अलग रहती है। सोलर सिस्टम को कुशल बनाने के लिए उसमें मोनो तकनीक के सोलर पैनल लगाने चाहिए जो कि मेड इन इंडिया हों, बिजली के लोड को चलाने के लिए सही क्षमता के इंवर्टर को लगाया जाता है। उपभोक्ता की लोकेशन पर भी सिस्टम को लगाने का खर्चा निर्भर करता है।
एक बार सोलर सिस्टम स्थापित हो जाने के बाद सब्सिडी प्राप्त हो जाती है, सिस्टम पर किये गए खर्चे को आने वाले 4-5 साल में वापस प्राप्त कर सकते हैं। उसके बाद फ्री बिजली लंबे समय तक प्राप्त होती है।