पर्यावरण संरक्षण और ग्रीन एनर्जी (Green Energy) को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखना है, बल्कि लोगों को स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करना है।
सौर ऊर्जा (Solar Energy) के माध्यम से विद्युत उत्पादन के सफल प्रयास अब स्वरोजगार का एक नया मार्ग बन चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में सोलर एनर्जी पॉलिसी (Solar Energy Policy) के तहत लोग अपनी बंजर भूमि पर सोलर प्लांट लगाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं।
सौर ऊर्जा स्वरोजगार की सच्ची कहानी
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शाहपुर उपमंडल की पंचायत तरखाकड़ में शिक्षा विभाग से रिटायर्ड प्रिंसिपल देशराज ने सोलर पावर पॉलिसी के तहत 1000 किलोवाट का सोलर प्लांट स्थापित किया है। उन्होंने अप्रैल 2024 में इसे शुरू किया। इस प्लांट से उन्हें प्रतिमाह 4 से 5 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि उनका सपना हमेशा ग्रामीण क्षेत्र के लिए कुछ करने का था, जिसे उन्होंने रिटायरमेंट के बाद साकार किया।
देशराज ने 50 कनाल बंजर भूमि को लीज पर लेकर सोलर प्लांट स्थापित किया। इस भूमि पर खेती करना जंगली जानवरों और अन्य कारणों से घाटे का सौदा साबित हो रहा था। लीज पर भूमि लेकर, न केवल उन्होंने अपनी आमदनी का स्रोत बनाया बल्कि भूमि मालिकों को भी प्रतिवर्ष तीन लाख रुपये की आमदनी सुनिश्चित की।
हर साल 50 से 55 लाख की कमाई
देशराज के सोलर प्लांट से हर साल 50 से 55 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। बिजली उत्पादन के बाद इसे सीधे बिजली विभाग को बेचा जाता है। विभाग के साथ 25 साल का अनुबंध किया गया है, जिसमें 3.75 रुपये प्रति यूनिट की दर तय की गई है। उत्पादन से होने वाली आय सीधे प्लांट मालिक के खाते में जमा होती है। देशराज ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की लागत को वे आठ से दस वर्षों में पूरा कर लेंगे और उसके बाद पंद्रह वर्षों तक शुद्ध मुनाफा होगा।
पर्यावरण संरक्षण और युवाओं के लिए प्रेरणा
सौर ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत (Renewable Energy Source) है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यंत लाभकारी है। देशराज ने कहा कि सोलर प्रोजेक्ट लगाने में समय कम लगता है और इसका उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जा सकता है। इस तरह के प्रोजेक्ट युवाओं के लिए आत्मनिर्भर बनने का बेहतर जरिया साबित हो सकते हैं।
गर्मियों में उत्पादन अधिक, सर्दियों में कम
देशराज के बेटे अभिषेक, जो मैकेनिकल इंजीनियर हैं, इस सोलर प्लांट की देखभाल करते हैं। उन्होंने बताया कि गर्मियों में बिजली उत्पादन 90-95 प्रतिशत तक होता है, जबकि सर्दियों में यह 55-60 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
सोलर पॉलिसी से लोगों को मिल रहा प्रोत्साहन
कांगड़ा जिले के उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि सरकार की सोलर पॉलिसी के तहत लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। सोलर प्लांट स्थापित करने के इच्छुक लोगों को विभागीय अधिकारियों द्वारा पूरा सहयोग दिया जा रहा है।
सरकार की सोलर एनर्जी पॉलिसी ने हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की एक नई राह खोली है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिला है, बल्कि यह स्वरोजगार के लिए भी मील का पत्थर साबित हो रहा है।
1. सोलर प्लांट लगाने में कितनी लागत आती है?
सोलर प्लांट लगाने की लागत प्रोजेक्ट के आकार और स्थान पर निर्भर करती है। एक 1000 किलोवाट प्लांट की लागत लगभग 4-5 करोड़ रुपये हो सकती है।
2. सोलर प्लांट से कितनी बिजली उत्पादन होती है?
गर्मियों में उत्पादन 90-95 प्रतिशत तक और सर्दियों में 55-60 प्रतिशत तक होता है।
3. क्या सोलर प्लांट लगाने के लिए लोन मिलता है?
हां, बैंक से सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए आसानी से लोन उपलब्ध हो जाता है।
4. सोलर पॉलिसी के तहत क्या फायदे हैं?
सोलर पॉलिसी के तहत भूमि लीज पर लेकर प्लांट स्थापित किया जा सकता है, और बिजली विभाग के साथ अनुबंध के माध्यम से सुनिश्चित आय प्राप्त होती है।
5. बिजली उत्पादन से आमदनी कैसे होती है?
उत्पादित बिजली को बिजली विभाग को बेचने के बाद आय सीधे खाते में जमा होती है।
6. सोलर प्लांट लगाने में कितना समय लगता है?
एक सोलर प्लांट स्थापित करने में आमतौर पर 6-12 महीने लगते हैं।
7. क्या बंजर भूमि पर सोलर प्लांट लगाया जा सकता है?
हां, बंजर भूमि पर सोलर प्लांट लगाना संभव है। इससे भूमि मालिकों को भी आमदनी होती है।
8. क्या सोलर प्लांट से पर्यावरण को नुकसान होता है?
नहीं, सौर ऊर्जा पर्यावरण के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है। यह पर्यावरण संरक्षण में मदद करता है।