सोलर सेटअप के लिए बैटरी कितने Ah की होनी चाहिए? आसान कैलकुलेशन

घर या दुकान में सोलर लगवाने का सोच रहे हैं? सही बैटरी की कैपेसिटी जानना है बेहद जरूरी! यहां जानिए एक आसान कैलकुलेशन जो आपके पैसे और बिजली दोनों बचाएगा – शुरुआत करने से पहले यह जरूर पढ़ें!

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Written by Rohit Kumar

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सोलर सेटअप के लिए बैटरी कितने Ah की होनी चाहिए? आसान कैलकुलेशन
सोलर सेटअप के लिए बैटरी कितने Ah की होनी चाहिए? आसान कैलकुलेशन

भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जैसे-जैसे बिजली की कीमतें बढ़ रही हैं और पावर कट्स आम होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे लोग सोलर सिस्टम की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन सोलर पैनल लगाने के बाद भी कई लोग एक बड़ी गलती कर बैठते हैं – वे बैटरी की क्षमता को लेकर भ्रमित रहते हैं। सोलर सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा बैटरी होती है, जो तब काम आती है जब सूरज छिप जाता है या मौसम खराब होने की वजह से पर्याप्त सोलर एनर्जी नहीं मिल पाती।

ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आपके सोलर सिस्टम के लिए कितनी क्षमता की बैटरी चाहिए, यानी कितने Ampere Hour (Ah) की बैटरी होगी जो आपकी जरूरतों को पूरा कर सके। अगर यह कैलकुलेशन गलत हुआ, तो या तो बैकअप कम मिलेगा या फिर आप ज्यादा पैसा खर्च कर देंगे। इसलिए जरूरी है कि एक सटीक और आसान फार्मूला अपनाकर सही बैटरी चयन किया जाए।

बैटरी क्षमता निकालने का सरल और सटीक फार्मूला

आपकी बैटरी कितनी ऊर्जा स्टोर कर सकती है, इसे Ah (Ampere Hour) में मापा जाता है। इस गणना के लिए एक आसान सा फार्मूला है जिसे अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत की बैटरी क्षमता तय कर सकता है। फार्मूला है:

बैटरी क्षमता (Ah) = (दैनिक ऊर्जा खपत × बैकअप दिनों की संख्या) / (सिस्टम वोल्टेज × बैटरी की डिस्चार्ज गहराई)

इस फार्मूले में चार महत्वपूर्ण घटक होते हैं – दैनिक ऊर्जा खपत (Wh), बैकअप दिनों की संख्या, सिस्टम वोल्टेज (V) और डिस्चार्ज गहराई (DoD)।

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उदाहरण से करें समझदारी से कैलकुलेशन

मान लीजिए आपकी दैनिक ऊर्जा खपत 2000 Wh है और आप चाहते हैं कि बैटरी कम से कम 1 दिन का बैकअप दे सके। यदि आपने 24V का सिस्टम लगाया है और आप लीड-एसिड बैटरी इस्तेमाल कर रहे हैं जिसकी डिस्चार्ज गहराई 0.5 (50%) है, तो फार्मूला कुछ इस प्रकार होगा:

बैटरी क्षमता (Ah) = (2000 × 1) / (24 × 0.5) = 2000 / 12 = 166.67 Ah

इस हिसाब से आपको कम से कम 167 Ah की बैटरी की जरूरत होगी। लेकिन बाजार में स्टैंडर्ड बैटरियां जैसे 180 Ah या 200 Ah आसानी से उपलब्ध होती हैं, तो आप थोड़ी ज्यादा क्षमता की बैटरी चुन सकते हैं ताकि अतिरिक्त बैकअप मिल सके।

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बैटरी की सटीक क्षमता क्यों है जरूरी?

अगर आप गलत Ah की बैटरी का चयन करते हैं, तो सोलर सिस्टम की पूरी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। कम क्षमता की बैटरी जल्दी डिस्चार्ज हो जाती है और आपकी बिजली की जरूरतें अधूरी रह जाती हैं। वहीं अगर आप जरूरत से ज्यादा क्षमता वाली बैटरी चुनते हैं, तो आपकी लागत और जगह की जरूरत दोनों बढ़ जाती हैं। साथ ही सिस्टम की डिजाइन भी जटिल हो जाती है। इसलिए बैलेंस बनाना जरूरी है ताकि बैटरी आपकी जरूरत के अनुसार पर्याप्त बैकअप दे सके।

डिस्चार्ज गहराई (DoD) का मतलब और बैटरी प्रकार का असर

बैटरी की डिस्चार्ज गहराई बताती है कि आप बैटरी की कुल क्षमता का कितना हिस्सा उपयोग कर सकते हैं। भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली लीड-एसिड बैटरी की डिस्चार्ज गहराई 50% होती है। इसका मतलब है कि यदि आपकी बैटरी 200 Ah की है, तो आप सिर्फ 100 Ah ही उपयोग में ला सकते हैं, उससे ज्यादा डिस्चार्ज करने पर बैटरी जल्दी खराब हो सकती है।

इसके उलट, लिथियम-आयन बैटरियाँ 80% से 90% तक डिस्चार्ज की जा सकती हैं। यानी ये ज्यादा कुशल होती हैं, लंबे समय तक चलती हैं और कम मेंटेनेंस की जरूरत होती है। हालांकि इनकी कीमत लीड-एसिड बैटरी से ज्यादा होती है, लेकिन लंबे समय में यह फायदेमंद साबित हो सकती हैं।

बैटरी क्षमता बढ़ाने से मिलेगा ज्यादा बैकअप?

जी हां, अगर आप ज्यादा क्षमता वाली बैटरी लगाते हैं, तो आपको ज्यादा समय तक बैकअप मिलेगा। इसका मतलब यह है कि अगर धूप नहीं निकली या सोलर पैनल पर्याप्त ऊर्जा नहीं दे पाए, तब भी आप बैटरी की मदद से अपने घर या ऑफिस को बिजली दे सकेंगे।

लेकिन ध्यान रखें, बैटरी की क्षमता बढ़ाने से लागत भी बढ़ेगी, साथ ही अधिक जगह और मजबूत सिस्टम डिजाइन की जरूरत पड़ेगी। इसलिए अंधाधुंध बैटरी क्षमता बढ़ाने की बजाय अपनी जरूरतों और बजट का संतुलन बनाकर सही निर्णय लेना ही समझदारी होगी।

क्या सिर्फ यही फार्मूला काफी है सोलर सिस्टम डिजाइन करने के लिए?

बैटरी की क्षमता निकालने के लिए यह फार्मूला बहुत उपयोगी और सटीक है, लेकिन एक सम्पूर्ण सोलर सिस्टम डिजाइन करते समय केवल इतना काफी नहीं होता। आपको और भी चीजों पर ध्यान देना होता है, जैसे – आपके सोलर पैनल की कुल क्षमता (kW), कौन सा चार्ज कंट्रोलर इस्तेमाल हो रहा है, इनवर्टर की क्षमता, आपके क्षेत्र की मौसम की स्थिति, धूप मिलने का औसत समय आदि।

यदि आप चाहते हैं कि पूरा सिस्टम बिना किसी बाधा के काम करे और आप पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर हो सकें, तो बेहतर होगा कि आप किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें और पूरे सिस्टम की प्लानिंग प्रोफेशनल तरीके से करवाएं।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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