
उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए एक नई और महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रही है। इस योजना के अंतर्गत राज्यभर में 3,304 सोलर शॉप्स स्थापित की जाएंगी, जिनका संचालन केवल महिलाएं करेंगी। इस कदम का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है और उन्हें रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy सेक्टर से जोड़ना है। योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक महिला को “सूर्य सखी” के रूप में नामित किया जाएगा, जो न केवल सौर उत्पादों की बिक्री करेंगी बल्कि उनके प्रचार-प्रसार में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगी।
हर ग्राम पंचायत में होगी एक ‘सूर्य सखी’, मिलेगा तकनीकी प्रशिक्षण
राज्य सरकार की इस योजना में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका “सूर्य सखी” की होगी। इन महिलाओं को सौर ऊर्जा-संबंधी उपकरणों और उत्पादों की जानकारी देने के लिए विशेष तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में सोलर लाइट्स, सोलर पैनल, सोलर कुकर और अन्य उपकरणों की कार्यप्रणाली, मरम्मत और बिक्री के तरीकों पर फोकस किया जाएगा। इससे महिलाओं को न केवल तकनीकी ज्ञान मिलेगा, बल्कि उन्हें एक कुशल उद्यमी के रूप में विकसित होने का भी अवसर मिलेगा।
“सूर्य सखी” कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के उपयोग को बढ़ाने में भी सहायक होगा। ये महिलाएं समुदाय में जाकर लोगों को सौर ऊर्जा के फायदों के बारे में जागरूक करेंगी और स्वच्छ ऊर्जा की ओर स्थानांतरण को गति देंगी।
सोलर शॉप्स बनेंगी स्थायी आय का स्रोत
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित 3,304 सोलर शॉप्स महिलाओं को स्थायी आय प्रदान करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। ये शॉप्स महिलाओं को एक मंच प्रदान करेंगी जहां वे सौर उत्पादों की बिक्री कर सकेंगी और साथ ही विभिन्न सेवा-संबंधी कार्यों से भी आय अर्जित कर सकेंगी।
इन दुकानों के जरिए महिलाएं अपने गांव और आसपास के इलाकों में सोलर लाइट, सोलर पैनल, बैटरी और चार्जिंग डिवाइस जैसी वस्तुओं को बेच सकेंगी। इससे उन्हें न सिर्फ वित्तीय रूप से मजबूती मिलेगी, बल्कि वे ग्रामीण समाज में एक नई पहचान भी बना पाएंगी।
सरकार इन दुकानों को शुरू करने के लिए आवश्यक सहायता, वित्तीय सहयोग और प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएगी, ताकि महिलाएं बिना किसी रुकावट के अपने व्यवसाय की शुरुआत कर सकें।
पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव की दिशा
इस योजना का एक और महत्वपूर्ण पक्ष पर्यावरण संरक्षण है। जैसे-जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा, वैसे-वैसे गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होगी। कोयला, डीजल और पेट्रोल जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की खपत में गिरावट आएगी, जिससे प्रदूषण भी कम होगा।
“सूर्य सखी” और सोलर शॉप्स का यह नेटवर्क न केवल ऊर्जा के स्वच्छ और टिकाऊ स्रोतों की ओर समाज को मोड़ेगा, बल्कि भारत के सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया बल
यह योजना केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ी राहत साबित हो सकती है। जब ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, तो वहां से शहरी क्षेत्रों की ओर होने वाला पलायन भी कम होता है।
सोलर शॉप्स और सूर्य सखियों के माध्यम से स्थानीय लोग ऊर्जा संबंधित उत्पादों और सेवाओं को अपने गांव में ही पा सकेंगे, जिससे उनके समय और पैसों की बचत होगी। साथ ही ग्रामीण महिलाओं के पास घरेलू दायित्वों के साथ-साथ आय अर्जित करने का सशक्त माध्यम भी होगा।
सरकार का विजन: महिला सशक्तिकरण और हर घर में ऊर्जा
यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार के उस विजन को दर्शाती है जिसमें महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास तीनों को एक साथ साधने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घोषित यह योजना केवल एक रोजगार कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है जो महिलाओं को ऊर्जा क्रांति की अगुवा बना रहा है।
इस योजना की सफलता भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल प्रोजेक्ट बन सकती है। अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह न केवल लाखों महिलाओं के जीवन को बदल सकती है, बल्कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र में भी एक बड़ा बदलाव ला सकती है।