
ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव की रफ्तार तेज हो गई है, खासकर जब बात रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की हो। इसी दिशा में एक नई और अत्याधुनिक खोज के रूप में हेटरोजंक्शन टेक्नोलॉजी (HJT) सौर पैनल ने बाजार में दस्तक दी है। पारंपरिक सोलर पैनल की सीमाओं को पार करते हुए यह तकनीक अब भारत में भी लोकप्रियता हासिल कर रही है। यदि आप यह जानना चाहते हैं कि HJT सोलर पैनल क्या होता है, यह कैसे काम करता है, और यह सामान्य सोलर पैनल की तुलना में बेहतर क्यों है, तो यह लेख आपके लिए है।
HJT सोलर पैनल क्या है और यह कैसे बना होता है?
हेटरोजंक्शन टेक्नोलॉजी (Heterojunction Technology) एक उन्नत प्रकार की सोलर सेल निर्माण तकनीक है, जिसमें पारंपरिक क्रिस्टलाइन सिलिकॉन (c-Si) और अमॉर्फस सिलिकॉन (a-Si) की परतों को एक साथ जोड़ा जाता है। यह संयोजन सूर्य की रोशनी को अधिकतम अवशोषित कर उसे ऊर्जा में परिवर्तित करने में सहायता करता है। इसमें तीन मुख्य परतें होती हैं – केंद्र में एन-टाइप क्रिस्टलाइन सिलिकॉन वेफर, दोनों ओर पतली अमॉर्फस सिलिकॉन लेयर और सबसे ऊपर टीसीओ (TCO – Transparent Conductive Oxide) कोटिंग।
यह तकनीक कैसे काम करती है?
जब सूर्य की किरणें HJT सोलर पैनल पर पड़ती हैं, तो क्रिस्टलाइन वेफर प्रकाश को अवशोषित करता है और इलेक्ट्रॉनों का उत्पादन करता है। इसके बाद, अमॉर्फस लेयर इन इलेक्ट्रॉनों को जल्दी से बाहर निकालने में मदद करती है जिससे ऊर्जा की हानि बेहद कम हो जाती है। इस प्रक्रिया के कारण इन पैनलों की ऊर्जा रूपांतरण दक्षता 25% से भी अधिक हो सकती है।
पारंपरिक पैनल से कितना अलग है HJT पैनल?
HJT पैनल में सबसे बड़ी खासियत इसकी उच्च दक्षता और बेहतर प्रदर्शन है, खासकर उच्च तापमान या कम रोशनी की स्थिति में। जहां पारंपरिक पैनल 18% से 20% के बीच ही ऊर्जा रूपांतरण कर पाते हैं, वहीं HJT पैनल 24% से 26% दक्षता के साथ काम करते हैं। इसके अतिरिक्त, इन पैनलों में डिग्रेडेशन की दर भी काफी कम होती है, जिससे इनकी उम्र लंबी होती है और लंबे समय में उत्पादन में गिरावट नहीं आती।
तापमान और मौसम के प्रभाव में भी शानदार प्रदर्शन
भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देश में सोलर पैनल की परफॉर्मेंस पर तापमान का बड़ा असर पड़ता है। परंतु HJT तकनीक के कारण यह पैनल गर्मी में भी अपनी दक्षता नहीं खोते। यही नहीं, यह पैनल कम रोशनी, बादल या सुबह-शाम के समय भी प्रभावशाली ऊर्जा उत्पादन कर सकते हैं, जो इन्हें हर मौसम के लिए आदर्श बनाता है।
बाइफेशियल टेक्नोलॉजी से दोगुनी क्षमता
HJT पैनलों की एक और बड़ी खासियत है इनका बाइफेशियल डिजाइन, जिसमें पैनल की दोनों सतहें सौर ऊर्जा अवशोषित कर सकती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि एक ही पैनल से दो गुना ऊर्जा उत्पादन संभव है, खासकर जब पैनल को ऐसे स्थान पर लगाया जाए जहां परावर्तित रोशनी अच्छी मात्रा में मिल सके।
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भारत में कहां-कहां उपयोग किया जा सकता है?
HJT सोलर पैनल घरेलू छतों से लेकर बड़े-बड़े औद्योगिक प्लांट्स तक में प्रयोग किए जा सकते हैं। इनका खास उपयोग हाई टेम्परेचर ज़ोन जैसे राजस्थान, गुजरात, आदि में किया जा रहा है क्योंकि ये पैनल वहाँ के वातावरण के अनुसार टिकाऊ और प्रभावशाली सिद्ध हो रहे हैं। इसके अलावा बिजली उत्पादन फार्म्स और कमर्शियल प्रोजेक्ट्स में भी इनकी डिमांड बढ़ रही है।
भारत में HJT पैनल की उपलब्धता और कंपनियाँ
भारत में अब कई कंपनियाँ HJT सोलर पैनल निर्माण के क्षेत्र में कदम रख चुकी हैं। प्रमुख कंपनियों में शामिल हैं Waaree Energies, Adani Solar, और Servotech Power Systems। इसके अलावा, कई स्टार्टअप्स भी इस तकनीक पर काम कर रहे हैं जो भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कीमत अधिक लेकिन बचत दीर्घकालिक
यह सही है कि HJT सोलर पैनल की शुरुआती कीमत पारंपरिक पैनलों से थोड़ी अधिक है। लेकिन यदि हम दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखें तो ये पैनल अधिक लाभदायक साबित होते हैं। इनकी उच्च दक्षता, कम रखरखाव और लंबी उम्र इसे एक स्मार्ट निवेश बनाते हैं। खासकर उन क्षेत्रों में जहां बिजली की लागत अधिक है, वहां यह तकनीक लम्बे समय में भारी बचत करवा सकती है।