
India overtakes Germany—इस बड़ी उपलब्धि के साथ भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विंड और सोलर पावर प्रोड्यूसर बन गया है। यह जानकारी ग्लोबल एनर्जी थिंक टैंक Ember की लेटेस्ट रिपोर्ट “Global Electricity Review 2024” में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 में भारत ने जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए विंड और सोलर एनर्जी से बिजली उत्पादन के मामले में तीसरा स्थान हासिल किया।
ग्लोबल लेवल पर रिन्यूएबल एनर्जी का ग्रोथ रिकॉर्ड स्तर पर
Ember की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में पूरी दुनिया की कुल बिजली का 15 प्रतिशत हिस्सा केवल विंड और सोलर एनर्जी से आया, जिसमें भारत का योगदान 10 प्रतिशत रहा। वहीं, सभी लो-कार्बन स्रोतों—जैसे रिन्यूएबल एनर्जी और न्यूक्लियर पावर—से मिलाकर कुल 40.9 प्रतिशत बिजली उत्पन्न हुई। यह पहली बार है जब ग्लोबली यह आंकड़ा 40 प्रतिशत के पार पहुंचा है, और यह 1940 के दशक के बाद का पहला मौका है।
भारत में क्लीन एनर्जी का योगदान और स्थिति
भारत में क्लीन सोर्सेज से कुल बिजली उत्पादन का 22 प्रतिशत हिस्सा आया। इसमें हाइड्रोपावर का योगदान सबसे ज्यादा 8 प्रतिशत रहा, जबकि विंड और सोलर मिलाकर 10 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। खास बात यह रही कि सोलर एनर्जी में भारत की ग्रोथ काफी तेज़ रही, और साल 2024 में यह कुल बिजली उत्पादन का 7 प्रतिशत हिस्सा बन गई। यह 2021 के मुकाबले दोगुनी ग्रोथ है।
सोलर एनर्जी बनी दुनिया भर में बिजली का नया इंजन
दुनियाभर में साल 2024 में सोलर एनर्जी ने रिकॉर्ड 474 टेरावॉट आवर (TWh) नई बिजली जोड़ी। यह तीसरा साल रहा जब सोलर सबसे बड़ा नया पावर सोर्स बना और लगातार 20वें साल यह सबसे तेजी से बढ़ने वाला ऊर्जा स्रोत रहा। कुल मिलाकर, पिछले तीन सालों में सोलर एनर्जी का ग्लोबल शेयर दोगुना होकर 6.9 प्रतिशत हो गया है।
भारत में सोलर एनर्जी का उभार और वैश्विक रैंकिंग
भारत ने 2024 में 24 गीगावॉट (GW) नई सोलर कैपेसिटी जोड़ी, जो 2023 के मुकाबले दोगुनी है। इसके साथ ही भारत अब चीन और अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा सोलर मार्केट बन गया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत ने साल भर में 20 TWh सोलर एनर्जी जोड़ी, जो कि ग्लोबली चौथी सबसे बड़ी ग्रोथ है।
Ember के मैनेजिंग डायरेक्टर फिल मैकडॉनल्ड ने कहा कि “सोलर एनर्जी अब ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन का इंजन बन चुकी है। बैटरी स्टोरेज के साथ मिलकर यह एक अजेय शक्ति बन गई है।”
एशिया में क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन की रफ्तार
Ember के एशिया प्रोग्राम डायरेक्टर आदित्य लोला के अनुसार, एशिया में क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन तेज़ी से हो रहा है, जिसकी अगुवाई सोलर और अन्य रिन्यूएबल स्रोत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “रिजनल बिजली मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए क्लीन एनर्जी मार्केट का मजबूत होना बेहद जरूरी है। इससे न केवल एनर्जी सिक्योरिटी बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक स्थिरता और विकास को भी बल मिलेगा।”
भारत के सामने चुनौती: मांग के अनुरूप क्लीन एनर्जी बढ़ाना
Ember के सीनियर एनर्जी एनालिस्ट नेशविन रोड्रिग्स ने कहा कि भारत ने रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर सराहनीय प्रगति की है, लेकिन अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बढ़ती बिजली मांग के साथ क्लीन एनर्जी उत्पादन को भी उसी रफ्तार से बढ़ाना होगा।
संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट चेंज चीफ साइमन स्टियल ने फरवरी में भारत को “Solar Superpower” बताते हुए कहा था कि अगर भारत क्लीन एनर्जी बूम को पूरी तरह अपनाता है, तो यह उसकी इकोनॉमिक ग्रोथ को कई गुना तेज कर सकता है।
भारत के क्लाइमेट कमिटमेंट और भविष्य की योजनाएं
भारत ने अपनी Nationally Determined Contributions (NDCs) के तहत 2030 तक अपनी कुल इंस्टॉल्ड इलेक्ट्रिक पावर कैपेसिटी का 50 प्रतिशत हिस्सा नॉन-फॉसिल फ्यूल स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा 2021 में भारत ने 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल फ्यूल कैपेसिटी हासिल करने का भी ऐलान किया था। हालांकि यह लक्ष्य अपडेटेड NDCs में शामिल नहीं किया गया, लेकिन यह 14वें National Electricity Plan सहित कई नीति दस्तावेजों में एक गाइडिंग लक्ष्य बना हुआ है।
Ember की फरवरी में आई रिपोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर रिन्यूएबल एनर्जी के फंडिंग लेवल को हर साल 20 प्रतिशत तक नहीं बढ़ाया गया, तो भारत 2030 तक 500 GW का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगा।