
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy का भविष्य उज्ज्वल होता जा रहा है, खासतौर पर जब बात रूफटॉप सोलर प्लांट-Rooftop Solar Plant की हो। देश में सूरज की रोशनी भरपूर है और अब केंद्र सरकार इसे बिजली में बदलने के लिए लगातार पहल कर रही है। हाल ही में सरकार ने रूफटॉप सोलर मिशन के तहत एक नया अभियान शुरू किया है, जिससे आम नागरिकों को अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगवाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
यह पहल तब और महत्वपूर्ण हो जाती है जब हम इसे इलेक्ट्रिक वाहन-Electric Vehicle (EV) की नीति से जोड़कर देखते हैं। सरकार चाहती है कि लोग पेट्रोल-डीजल की जगह ईवी का इस्तेमाल करें और ये तभी पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल होगा, जब इन वाहनों को चार्ज करने के लिए उपयोग में लाई जा रही बिजली भी साफ और हरित स्रोत से आए।
सरकार का रूफटॉप सोलर मिशन और उसका विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में सरकार ने ‘प्रधानमंत्री सोलर रूफटॉप योजना’ को प्राथमिकता दी है। इस योजना के तहत साल 2026 तक 1 करोड़ से अधिक घरों पर रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसका मकसद है देश की कुल सोलर क्षमता में बड़ा इजाफा करना और बिजली पर निर्भरता को कम करना।
सरकार ने इसके लिए सब्सिडी और तकनीकी सहायता दोनों की व्यवस्था की है। हर राज्य में अलग-अलग दर पर सब्सिडी दी जा रही है और अब यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है। लोग अब पोर्टल के ज़रिए आवेदन कर सकते हैं और इंस्टॉलेशन की निगरानी भी कर सकते हैं।
ईवी चार्जिंग को लेकर बढ़ती ज़रूरतें
भारत में ईवी की मांग तेजी से बढ़ रही है। दोपहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में पिछले तीन वर्षों में ज़बरदस्त बढ़त देखी गई है। इसके चलते देशभर में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। लेकिन इसमें एक चुनौती यह है कि यदि ये चार्जिंग पॉइंट कोयले या डीजल से बनी बिजली से संचालित होते हैं, तो ईवी की पूरी पर्यावरणीय अवधारणा पर सवाल उठ सकता है।
यहीं पर रूफटॉप सोलर प्लांट अहम भूमिका निभाते हैं। यदि घर, कार्यालय या अपार्टमेंट परिसर में रूफटॉप सोलर से बिजली उत्पन्न कर ईवी चार्जिंग की व्यवस्था की जाए, तो यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को बिजली के खर्च से भी राहत मिलेगी।
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सोलर-ईवी इंटीग्रेशन की चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि यह योजना जितनी शानदार है, उतनी ही चुनौतियां भी इसमें शामिल हैं। सबसे बड़ी चुनौती है सोलर सिस्टम और ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का सही ढंग से एकीकृत (इंटीग्रेट) करना। तकनीकी रूप से इन दोनों को जोड़ने के लिए एडवांस्ड स्मार्ट ग्रिड, बैटरी स्टोरेज और लोड मैनेजमेंट सिस्टम की ज़रूरत होती है।
फिर भी कुछ स्टार्टअप और निजी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं और आने वाले वर्षों में भारत में ऐसे कई पायलट प्रोजेक्ट देखे जा सकते हैं, जहां सोलर ऊर्जा से चलने वाले ईवी चार्जिंग स्टेशन आम बात होंगे।
भारत का भविष्य: हर घर सोलर, हर वाहन इलेक्ट्रिक
सरकार की मंशा है कि हर घर ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बने और हर वाहन जीवाश्म ईंधन से मुक्त हो। ये दोनों लक्ष्य तभी संभव हैं जब नीति, तकनीक और जनभागीदारी का सही तालमेल हो। इसके लिए लोगों को जागरूक करना, सब्सिडी को पारदर्शी बनाना और स्थानीय निकायों को ज़िम्मेदार बनाना ज़रूरी है।
साथ ही, अगर सोलर सिस्टम से अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजने की सुविधा (नेट मीटरिंग) को और सरल बनाया जाए, तो लोग खुद ही आगे बढ़कर सोलर अपनाएंगे।