
नेट मीटरिंग सोलर स्कीम उत्तर प्रदेश में Renewable Energy को बढ़ावा देने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रही है। राज्य में अब तक 2000 से अधिक उपभोक्ता इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। सोलर एनर्जी को अपनाकर न केवल ये उपभोक्ता अपने बिजली बिल में भारी कटौती कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। यह योजना खासकर शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के उपभोक्ताओं के लिए वरदान साबित हो रही है, जहां ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है।
बिजली बिल में मिल रही जबरदस्त राहत
नेट मीटरिंग सोलर स्कीम के तहत उपभोक्ता अपनी छतों पर सोलर पैनल स्थापित करते हैं और उनसे उत्पन्न बिजली का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया में जो अतिरिक्त बिजली बचती है, उसे बिजली ग्रिड में भेज दिया जाता है। इसके बदले में उपभोक्ताओं को बिजली वितरण कंपनी से क्रेडिट मिलता है। यही क्रेडिट उनके मासिक बिजली बिल में समायोजित कर दिया जाता है। कई मामलों में उपभोक्ताओं के बिल शून्य तक पहुंच चुके हैं, जिससे उन्हें हर महीने बड़ी राहत मिल रही है।
सरकार दे रही है मोटी सब्सिडी
इस योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जा रही है। 3 किलोवॉट तक की सोलर पैनल क्षमता पर 40% तक की सब्सिडी और 3 किलोवॉट से लेकर 10 किलोवॉट तक की क्षमता पर 20% तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इसका सीधा असर सोलर पैनल की स्थापना लागत पर पड़ता है, जिससे आम नागरिक भी इस योजना को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
अतिरिक्त बिजली बेचकर हो रही कमाई
यदि उपभोक्ता द्वारा उत्पन्न की गई बिजली उनकी खपत से अधिक होती है, तो उस अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी अर्जित की जा सकती है। यह विकल्प खासकर उन उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी है, जिनके यहां दिन के समय में बिजली की खपत कम होती है और सौर पैनल अधिक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
पर्यावरण संरक्षण में योगदान
सौर ऊर्जा एक स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोत है। इस योजना के जरिए कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी लाई जा रही है, जिससे पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिल रही है। यह भारत सरकार के ‘नेट ज़ीरो एमिशन’ लक्ष्य के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह पहल पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक हो रही है।
आवेदन प्रक्रिया है बेहद सरल
नेट मीटरिंग सोलर स्कीम के लिए आवेदन करना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। उपभोक्ता को सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन पंजीकरण करना होता है। इस प्रक्रिया में आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली बिल, बैंक पासबुक और पासपोर्ट साइज फोटो जैसे आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होते हैं।
पंजीकरण के बाद बिजली वितरण कंपनी यानी डिस्कॉम एक फीजिबिलिटी स्टडी करती है, जिसमें छत की दिशा, आकार और सूरज की किरणों की उपलब्धता जैसे तकनीकी पहलुओं का मूल्यांकन किया जाता है। जांच के सफल होने पर डिस्कॉम की ओर से अनुमोदन जारी कर दिया जाता है। इसके बाद उपभोक्ता सरकार से मान्यता प्राप्त विक्रेताओं के माध्यम से सोलर पैनल की स्थापना करवा सकता है।
स्थापना के पश्चात नेट मीटरिंग के लिए अलग से आवेदन करना होता है, जिससे उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजने की अनुमति मिल जाती है। यह मीटर दोनों ओर की बिजली का रिकॉर्ड रखता है और इसी के आधार पर बिलिंग की जाती है।
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किन दस्तावेजों की होती है आवश्यकता
इस योजना के तहत आवेदन करने के लिए उपभोक्ताओं को कुछ जरूरी दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। इनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली बिल की प्रति, बैंक पासबुक की प्रति, पासपोर्ट साइज फोटो और संपत्ति का स्वामित्व प्रमाण (जैसे रजिस्ट्री पेपर या संपत्ति कर की रसीद) शामिल हैं। बिना इन दस्तावेजों के आवेदन अधूरा माना जाएगा।
कहां से लें जानकारी और सहायता
इस योजना से जुड़ी अधिक जानकारी, आवेदन प्रक्रिया या तकनीकी सहायता के लिए उपभोक्ता उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की आधिकारिक वेबसाइट uppcl.org.in पर जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय डिस्कॉम कार्यालयों में भी हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं, जहां से आवेदनकर्ता मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
वीडियो से भी लें मार्गदर्शन
यदि आप इस योजना को और अच्छे से समझना चाहते हैं तो UPPCL और MNRE जैसे संस्थानों द्वारा जारी यूट्यूब वीडियो भी देख सकते हैं। इन वीडियोज़ में नेट मीटरिंग कैसे काम करता है, इसकी वित्तीय गणना और तकनीकी सेटअप को विस्तार से समझाया गया है।