रात में भी बिजली देगा ये नया सोलर सिस्टम – जानिए इसकी टेक्नोलॉजी

अब सोलर एनर्जी सिर्फ दिन तक सीमित नहीं रही! Stanford जैसे संस्थानों की नई खोजों से सोलर पैनल अब रात में भी बिजली बना सकते हैं। जानिए कैसे थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर, रेडिएटिव कूलिंग और हाइड्रोजन पैनल बदल रहे हैं भारत का Renewable Energy फ्यूचर – पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

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Written by Rohit Kumar

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रात में भी बिजली देगा ये नया सोलर सिस्टम – जानिए इसकी टेक्नोलॉजी
रात में भी बिजली देगा ये नया सोलर सिस्टम – जानिए इसकी टेक्नोलॉजी

सोलर पैनल अब केवल दिन की रोशनी में ही नहीं बल्कि रात के अंधेरे में भी बिजली उत्पन्न कर सकते हैं। यह संभव हो पाया है कुछ नई तकनीकों की मदद से, जो पारंपरिक सोलर एनर्जी सिस्टम को और अधिक स्मार्ट और उपयोगी बना रही हैं। Renewable Energy के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है, खासकर उन इलाकों के लिए जहां बिजली की सप्लाई अस्थिर है या बिल्कुल भी नहीं है।

Stanford University सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीकों पर काम किया है जो अब धीरे-धीरे व्यावसायिक स्तर पर भी उपयोग की जा रही हैं। थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर, रेडिएटिव कूलिंग और हाइड्रोजन सोलर पैनल जैसी तकनीकों के सहारे अब सोलर एनर्जी सिस्टम 24 घंटे बिजली देने की क्षमता रखता है।

थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर: तापमान के अंतर से बिजली

Stanford University के इंजीनियरों द्वारा विकसित थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर आधारित सोलर पैनल एक क्रांतिकारी खोज मानी जा रही है। यह तकनीक वातावरण और सोलर सेल के तापमान के बीच के अंतर को ऊर्जा में बदलने का कार्य करती है। दिन में सौर पैनल सूरज की रोशनी से ऊर्जा लेते हैं, जबकि रात में जब तापमान गिरता है और हवा ठंडी होती है, तब यह तापमान का अंतर बिजली उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

यह तकनीक खासकर उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है जहां बिजली की नियमित आपूर्ति नहीं है, जैसे कि पहाड़ी इलाके, जंगलों के किनारे बसे गाँव या ऑफ-ग्रिड एरिया। इसका एक बड़ा फायदा यह है कि यह बैटरियों पर निर्भरता को कम करता है, जिससे ऊर्जा की खपत में भी बचत होती है।

रेडिएटिव कूलिंग: अंतरिक्ष से जुड़ती तकनीक

Radiative Cooling एक ऐसी उभरती हुई तकनीक है जिसमें पृथ्वी की सतह से अंतरिक्ष में निकलने वाली अवरक्त किरणों (Infrared Radiation) को कैप्चर कर ऊर्जा में बदला जाता है। Stanford University के शोधकर्ताओं ने यह प्रदर्शित किया है कि इस तकनीक से रात के समय में भी सोलर पैनल बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।

रेडिएटिव कूलिंग तकनीक सीधे तौर पर उन इलाकों में अधिक प्रभावी हो सकती है जहाँ रातें ठंडी होती हैं और आकाश साफ होता है। इस तकनीक को पूरी तरह से विकसित किया जा रहा है ताकि यह बड़े पैमाने पर बिजली उत्पन्न कर सके और रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में नया विकल्प बन सके।

हाइड्रोजन सोलर पैनल: दिन में संग्रह, रात में उपयोग

हाइड्रोजन आधारित सोलर पैनल भी एक नया और दिलचस्प विकल्प बन कर उभरे हैं। ये पैनल दिन में सूर्य की रोशनी से न केवल बिजली उत्पन्न करते हैं बल्कि उसी समय हाइड्रोजन गैस का भी निर्माण और संग्रह करते हैं। यह हाइड्रोजन गैस बाद में, विशेषकर रात में, ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रयोग की जाती है।

इस प्रकार की प्रणाली 24×7 बिजली सप्लाई सुनिश्चित करने में सक्षम होती है और इसे ऑफ-ग्रिड सोल्यूशन के तौर पर देखा जा रहा है। हाइड्रोजन एनर्जी को ग्रीन एनर्जी के रूप में प्रमोट किया जा रहा है और भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह एक सशक्त समाधान बन सकता है।

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ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के लिए वरदान

भारत जैसे देश में जहाँ बड़ी आबादी अब भी ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहती है, वहाँ यह तकनीकें बेहद कारगर हो सकती हैं। इन तकनीकों की मदद से उन क्षेत्रों तक बिजली पहुंचाई जा सकती है जहाँ ग्रिड लाइन पहुंचाना बेहद कठिन या महंगा है।

इसके अलावा, ऑफ-ग्रिड सिस्टम को भी इन नवाचारों से मजबूती मिलेगी। बैटरी की कम उपयोगिता से न केवल लागत घटेगी बल्कि मेंटेनेंस की जरूरत भी कम होगी, जिससे Sustainable Energy Infrastructure बनाना आसान होगा।

ऊर्जा की बचत और पर्यावरणीय प्रभाव

रात में बिजली उत्पन्न करने की यह क्षमता बैटरियों की निर्भरता को कम करती है, जिससे बैटरी प्रोडक्शन और डिस्पोजल की समस्या भी कम होती है। साथ ही, यह तकनीकें पर्यावरण के लिए भी अधिक अनुकूल हैं क्योंकि इनसे कार्बन उत्सर्जन न के बराबर होता है।

परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों की तुलना में ये समाधान बहुत अधिक टिकाऊ और दीर्घकालिक हैं। Renewable Energy के क्षेत्र में यह ट्रेंड आने वाले समय में विकासशील और विकसित दोनों देशों के लिए समान रूप से लाभकारी सिद्ध होगा।

भविष्य की दिशा में बड़ा कदम

रात में बिजली उत्पन्न करने वाली सोलर तकनीकें आने वाले समय में ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं। जैसे-जैसे इन तकनीकों का व्यावसायिक विस्तार होगा, वैसे-वैसे दुनिया के अधिक हिस्से बिना किसी बाधा के स्वच्छ और निरंतर बिजली का लाभ उठा सकेंगे।

यह न केवल ऊर्जा की उपलब्धता को बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम करेगा। सरकारें और निजी कंपनियाँ इस दिशा में निवेश कर रही हैं और भविष्य में यह मुख्यधारा की ऊर्जा प्रणाली का हिस्सा बन सकती हैं।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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