
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की ओर रुझान तेज़ी से बढ़ रहा है, खासकर ऐसे समय में जब बिजली की दरें लगातार बढ़ रही हैं और पर्यावरण संरक्षण को लेकर सजगता बढ़ रही है। ऐसे में अगर आपकी मासिक बिजली खपत 500 यूनिट (kWh) के आसपास है, तो आपके लिए 4kW का सोलर सिस्टम एक बेहद उपयुक्त और स्थायी समाधान हो सकता है। यह न सिर्फ आपकी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगा बल्कि लंबे समय में आपके बिजली बिल को भी काफी हद तक कम कर सकता है।
4kW सोलर सिस्टम कैसे करेगा 500 यूनिट की पूर्ति?
500 यूनिट प्रति माह यानी करीब 16.7 यूनिट प्रतिदिन की खपत को ध्यान में रखते हुए, 4kW का सोलर सिस्टम इस खपत को पूरा करने की क्षमता रखता है। खासकर यदि आपके क्षेत्र, जैसे आगरा (Agra) में औसतन 4 से 5 घंटे की धूप प्रतिदिन मिलती है, तो यह सिस्टम आपकी जरूरत के अनुसार बिजली उत्पन्न कर सकता है।
4kW सिस्टम सामान्यतः प्रतिदिन लगभग 16–20 kWh बिजली पैदा करता है, जो 500 यूनिट मासिक की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
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बैटरी की भूमिका: कब और क्यों जरूरी है?
अगर आप ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम का चयन करते हैं या फिर बिजली कटौती की स्थिति में बैकअप की जरूरत महसूस करते हैं, तो आपको एक उच्च क्षमता की बैटरी सिस्टम में शामिल करनी होगी। लगभग 20 से 25 kWh क्षमता की बैटरी इस जरूरत को पूरा करने में सक्षम होगी। यह बैटरी दिन में सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न बिजली को स्टोर करेगी और रात या खराब मौसम के दौरान उपयोग की जा सकेगी।
सोलर सिस्टम के प्रमुख प्रकार और उनका महत्व
भारत में मुख्यतः तीन प्रकार के सोलर सिस्टम इस्तेमाल में लाए जाते हैं – ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड सोलर सिस्टम। हर एक का उपयोग विशेष परिस्थितियों में किया जाता है।
ऑन-ग्रिड सिस्टम बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है और अतिरिक्त उत्पन्न बिजली को ग्रिड में वापस भेज देता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बैटरी की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन अगर बिजली कटौती हो, तो यह सिस्टम काम नहीं करता क्योंकि इन्वर्टर को ग्रिड की सहायता चाहिए होती है।
ऑफ-ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से स्वतंत्र होता है और बैटरी पर आधारित होता है। यह उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होता है जहाँ बिजली ग्रिड उपलब्ध नहीं है या बार-बार बिजली कटती है। इसमें बैटरी स्टोरेज अनिवार्य होता है।
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हाइब्रिड सिस्टम दोनों का संयोजन है – यह ग्रिड से भी जुड़ा होता है और बैटरी भी शामिल करता है। यह सिस्टम बिजली कटौती की स्थिति में बैकअप भी देता है और अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजने की क्षमता भी रखता है।
लागत का विश्लेषण: क्या यह निवेश फायदे का सौदा है?
सोलर सिस्टम की लागत उसकी क्षमता और तकनीकी विन्यास पर निर्भर करती है। एक अनुमान के अनुसार:
ऑन-ग्रिड 4kW सिस्टम की लागत लगभग ₹2.4 लाख आती है, जो सरकारी सब्सिडी के बाद और भी किफायती हो सकती है।
ऑफ-ग्रिड 4kW सिस्टम की कीमत लगभग ₹4.5 लाख तक हो सकती है, जिसमें बैटरी की लागत भी शामिल होती है।
हाइब्रिड सिस्टम, जो बैटरी और ग्रिड दोनों से जुड़ा होता है, उसकी लागत लगभग ₹5 लाख तक जा सकती है।
इनमें से ऑन-ग्रिड सिस्टम लागत में सबसे सस्ता होता है, लेकिन बैकअप नहीं देता। वहीं, हाइब्रिड सिस्टम थोड़ा महंगा है लेकिन सबसे ज़्यादा सुविधा देता है।
सरकारी सब्सिडी और योजनाएं: PM सूर्य घर योजना का लाभ
भारत सरकार की PM सूर्य घर योजना के तहत, घरेलू उपभोक्ताओं को सोलर सिस्टम पर सब्सिडी मिलती है। आप इस योजना की अधिक जानकारी और आवेदन प्रक्रिया के लिए PM सूर्य घर योजना वेबसाइट पर जा सकते हैं। इस योजना के तहत सब्सिडी मिलने पर सोलर सिस्टम की कुल लागत में काफी कमी आ सकती है, जिससे यह आम आदमी की पहुँच में आ जाता है।
आगरा में इंस्टॉलेशन और सेवाएं
आगरा, उत्तर प्रदेश जैसे शहरों में सोलर इंस्टॉलेशन की संभावनाएं प्रबल हैं। यहाँ कई प्रमाणित सोलर कंपनियाँ हैं जो आपके लिए सर्वे, इंस्टॉलेशन, मेंटेनेंस और सब्सिडी प्रक्रिया में सहायता करती हैं। स्थानीय विक्रेताओं से संपर्क करके आप इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया, समय और लागत के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आगरा जैसे शहर, जहाँ पर्याप्त धूप मिलती है और बिजली की मांग भी अधिक है, वहाँ 4kW का सोलर सिस्टम एक व्यवहारिक और लाभकारी विकल्प हो सकता है।