
NISE Launches Advanced Solar Test Lab to Power India’s Clean Energy Future – भारत में Renewable Energy क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। हाल ही में केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने हरियाणा के ग्वाल पहाड़ी स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी (NISE) में एक अत्याधुनिक पीवी मॉड्यूल टेस्टिंग और कैलिब्रेशन लैब (PV Module Testing and Calibration Lab) का उद्घाटन किया। यह नई प्रयोगशाला भारत की Solar Energy क्षमताओं को न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।
भारत को सौर अनुसंधान में ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने की ओर एक कदम
इस अवसर पर श्री जोशी ने कहा कि यह लेबोरेटरी विश्व स्तरीय परीक्षण, अनुसंधान एवं विकास (R&D), प्रशिक्षण, और नीति समर्थन में नए बेंचमार्क स्थापित करेगी। उन्होंने बताया कि यह नई सुविधा भारत को Renewable Energy के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और नवाचार को बढ़ावा देने में सहायक होगी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस लैब को खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है जहां अभी तक कोई तय मानक नहीं हैं। यह प्रयोगशाला पूरी तरह से BIS मानकों के अनुरूप है और बड़े सौर मॉड्यूल के उत्पादन को समर्थन देने के साथ ही उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी। इसके माध्यम से केंद्र सरकार की Production Linked Incentive (PLI) स्कीम को भी नई गति मिलेगी।
सौर प्रशिक्षण और तकनीकी नवाचार में NISE की बड़ी भूमिका
श्री जोशी ने NISE की अब तक की उपलब्धियों की सराहना करते हुए बताया कि संस्थान ने 55,000 से अधिक सूर्य मित्र (Suryamitra) तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया है। साथ ही, लद्दाख के लेह क्षेत्र में 300 से अधिक सोलर एयर ड्रायर-कम-स्पेस हीटिंग सिस्टम स्थापित किए हैं, जिससे किसानों को खुबानी (Apricot) सुखाने में मदद मिली है। यह प्रयास सरकार की तकनीकी क्षमता बढ़ाने और उद्योग, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी निकायों के बीच सहयोग को मजबूत करने की नीति का हिस्सा हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि इस नई लैब से NISE की शोध गुणवत्ता और दक्षता में जबरदस्त सुधार होगा, जो इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएगा।
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भारत की Renewable Energy क्रांति और प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई
श्री जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का Renewable Energy सेक्टर अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ा है। उन्होंने बताया कि 2014 में जहां भारत की स्थापित सौर क्षमता केवल 2.82 गीगावॉट (GW) थी, वहीं आज यह बढ़कर 106 GW से अधिक हो चुकी है। सौर निर्माण (Solar Manufacturing) की क्षमता भी 2 GW से बढ़कर अब 80 GW तक पहुंच गई है, और 2030 तक इसे 150 GW करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने आगे बताया कि भारत ने पवन ऊर्जा (Wind Energy) के क्षेत्र में भी 50 GW की सीमा पार कर ली है। यह सब भारत के 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा (Non-Fossil Fuel Energy) लक्ष्य, जिसमें से 292 GW केवल सौर ऊर्जा से आएंगे, की दिशा में मजबूती से बढ़ने का संकेत है।
अगली पीढ़ी की सौर तकनीक और नवाचार की ओर बढ़ते कदम
मंत्री ने NISE से आग्रह किया कि वह पिछले 11 वर्षों में हुई प्रगति को देखकर और अधिक नवाचार और शोध पर ध्यान केंद्रित करे। उन्होंने उन्नत सौर तकनीकों जैसे Perovskite Solar Cells और Bifacial Panels पर फोकस बढ़ाने की सिफारिश की। साथ ही, उन्होंने AI आधारित Solar Power Forecasting, Building-Integrated Photovoltaics (BIPV), और Solar EV Charging Stations जैसे नए क्षेत्रों में अनुसंधान की आवश्यकता पर भी बल दिया।
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अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और हरियाली की दिशा में प्रयास
इस अवसर पर श्री जोशी ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस (International Solar Alliance) के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की और वैश्विक सौर ऊर्जा प्रगति पर चर्चा की। उसी दिन उन्होंने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग लिया। यह अभियान प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को व्यक्तिगत श्रद्धांजलि से जोड़ना है।
वर्ल्ड अर्थ डे (World Earth Day) के मौके पर मंत्री ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे अधिक स्थायी और हरित भविष्य के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं।