MERC का बड़ा फैसला! महाराष्ट्र के 500 MW सोलर विवाद में मध्यस्थता का रास्ता साफ – जानें आगे क्या होगा

महाराष्ट्र में Braithwaite और MSEDCL के बीच सौर ऊर्जा परियोजना पर हुआ विवाद अब पहुंचेगा आर्बिट्रेशन तक। MERC ने बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए लिया बड़ा फैसला, पढ़ें कैसे Renewable Energy सेक्टर में कानूनी चुनौतियां बन रही हैं बड़ी परीक्षा।

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Written by Rohit Kumar

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MERC का बड़ा फैसला! महाराष्ट्र के 500 MW सोलर विवाद में मध्यस्थता का रास्ता साफ – जानें आगे क्या होगा
MERC का बड़ा फैसला! महाराष्ट्र के 500 MW सोलर विवाद में मध्यस्थता का रास्ता साफ – जानें आगे क्या होगा

महाराष्ट्र में Renewable Energy से जुड़े एक अहम विवाद पर 22 अप्रैल 2025 को महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (MERC) ने अंतिम आदेश जारी किया। यह फैसला केस नंबर 52 ऑफ 2025 के तहत लिया गया, जिसमें महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) और ब्रेथवेट नाकोफ सोलर प्रोजेक्ट लिमिटेड के बीच एक 500 मेगावाट सोलर पावर प्रोजेक्ट से जुड़ा करार विवाद का विषय था।

विवाद की शुरुआत और मुख्य मुद्दा

यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब Braithwaite Nacof Solar Project Ltd. निर्धारित समयसीमा के भीतर 500 मेगावाट की सौर परियोजना को चालू करने में विफल रही। मूल रूप से 30 मार्च 2023 को इस प्रोजेक्ट के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसके तहत 17 अगस्त 2023 तक प्रोजेक्ट चालू होना था। बाद में यह डेडलाइन बढ़ाकर 31 मार्च 2024 कर दी गई, लेकिन Braithwaite समय पर प्रोजेक्ट कमीशन नहीं कर पाई।

इस पर MSEDCL ने 2 जुलाई 2024 को Braithwaite को डिफॉल्ट-कम-टर्मिनेशन नोटिस जारी किया और बैंक गारंटी इनकैश करने की प्रक्रिया शुरू की। जवाब में Braithwaite ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और टर्मिनेशन व बैंक गारंटी की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की।

कोर्ट के निर्देश और MERC की भूमिका

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को MERC के समक्ष जाकर विवाद सुलझाने या आर्बिट्रेटर नियुक्त करने का निर्देश दिया। PPA में आर्बिट्रेशन का प्रावधान था, लेकिन Braithwaite का कहना था कि चूंकि उसने प्रोजेक्ट कमीशन नहीं किया, इसलिए अब वह ‘जनरेटिंग कंपनी’ नहीं रही और मामला MERC के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

हालांकि MERC ने सुप्रीम कोर्ट और अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) के कई निर्णयों का हवाला देते हुए Braithwaite की दलील को खारिज कर दिया। आयोग ने स्पष्ट किया कि प्रोजेक्ट की स्थिति कुछ भी हो, जब तक PPA प्रभाव में है, Braithwaite एक “deemed generator” के रूप में दायित्वों से बंधी हुई है और विवाद MERC के अधिकार क्षेत्र में ही आता है।

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आर्बिट्रेशन की सहमति और उच्च न्यायालय की भूमिका

कार्यवाही के दौरान, दोनों पक्षों ने स्वेच्छा से अपने-अपने आर्बिट्रेटर नामित कर दिए। इस आपसी सहमति को देखते हुए MERC ने विवाद को आर्बिट्रेशन के माध्यम से सुलझाने की सलाह दी। हाईकोर्ट ने भी 3 अप्रैल 2025 के अपने आदेश में MERC की इस भूमिका को स्वीकार किया और 17 अप्रैल को आदेश सार्वजनिक करते हुए आयोग को एक सप्ताह के भीतर अंतिम आदेश देने को कहा, जिससे आर्बिट्रेशन प्रक्रिया आगे बढ़ सके।

MERC ने अपनी अंतिम आदेश में इस विवाद पर अधिकार क्षेत्र की पुष्टि करते हुए, PPA की शर्तों के अनुसार आर्बिट्रेशन प्रक्रिया को आगे बढ़ने की अनुमति दे दी। आयोग ने मामले के गुण-दोष पर आगे कोई निर्णय नहीं लिया, ताकि बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन हो सके।

रिन्यूएबल एनर्जी विवादों में न्यायिक प्रक्रिया की अहमियत

यह मामला Renewable Energy क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के अनुबंधों से जुड़े जटिल कानूनी पहलुओं को रेखांकित करता है। यह स्पष्ट करता है कि जब तक किसी अनुबंध के तहत निर्धारित जिम्मेदारियां स्पष्ट न हों, तब तक विवादों से बचना मुश्किल है। PPA की संरचना, अनुबंध प्रावधानों और नियामक संस्थाओं की भूमिका इस प्रकार के मामलों में अत्यंत निर्णायक होती है।

इस फैसले से यह भी स्पष्ट होता है कि MERC जैसे नियामक निकाय न केवल विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत कानूनी जिम्मेदारियों का पालन करते हैं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता और दक्षता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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