
भारत में रूफटॉप सोलर-Rooftop Solar सेक्टर एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां यह देश की रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy रणनीति का एक अहम हिस्सा बनता जा रहा है। वित्त वर्ष 2025 (FY25) से लेकर 2027 (FY27) तक के बीच यह बाजार 33% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) के साथ तेज़ी से बढ़ने की राह पर है। इस अवधि में भारत की कुल रूफटॉप सोलर क्षमता 17 गीगावाट (GW) से बढ़कर लगभग 30 GW तक पहुंचने का अनुमान है। इस तेज़ वृद्धि को बिजली दरों में वृद्धि, केंद्र और राज्य सरकारों की नीति समर्थन, और स्थिरता के प्रति बढ़ती जागरूकता जैसे कारक प्रेरित कर रहे हैं।
कमर्शियल और इंडस्ट्रियल सेगमेंट बना अग्रणी, 66% हिस्सेदारी के साथ
भारत की रूफटॉप सोलर यात्रा का एक प्रमुख पहलू कमर्शियल और इंडस्ट्रियल (C&I) सेक्टर की बढ़ती भागीदारी है। इस सेगमेंट की वर्तमान हिस्सेदारी लगभग 66% है, और इसमें टेक्सटाइल, फार्मास्युटिकल, रिटेल और डेटा सेंटर जैसे उद्योग अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इन कंपनियों के लिए रूफटॉप सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल न केवल लागत को कम करता है, बल्कि यह उन्हें अपने ईएसजी-ESG (Environmental, Social, Governance) लक्ष्यों को भी हासिल करने में मदद करता है।
3 से 5 साल के भीतर शॉर्ट पेबैक पीरियड, सोलर मॉड्यूल्स की घटती कीमतें और फाइनेंसिंग के इनोवेटिव विकल्पों ने रूफटॉप सोलर को इन क्षेत्रों के लिए बेहद आकर्षक बना दिया है।
आवासीय क्षेत्र में भी पकड़ बना रही है रूफटॉप सोलर
जहां एक ओर औद्योगिक क्षेत्र में तेज़ी देखी जा रही है, वहीं रेजिडेंशियल सेगमेंट भी अब गति पकड़ रहा है। इसका बड़ा श्रेय केंद्र सरकार की “पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना – PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana” को जाता है। इस योजना का लक्ष्य एक करोड़ परिवारों तक रूफटॉप सोलर पहुंचाना है। इसके तहत ₹78,000 तक की सब्सिडी दी जा रही है, खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए।
मार्च 10, 2025 तक, इस योजना के तहत 10 लाख घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए जा चुके हैं। इससे न केवल बिजली बिलों में कटौती हो रही है, बल्कि करीब 17 लाख नई नौकरियों के सृजन की भी संभावना है, जो इस सेक्टर की व्यापक सामाजिक और आर्थिक भूमिका को रेखांकित करता है।
गुजरात और महाराष्ट्र बने अग्रणी राज्य
भारत के राज्य स्तर पर गुजरात और महाराष्ट्र रूफटॉप सोलर स्थापना में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। गुजरात की 41% हिस्सेदारी इसकी “सूर्य गुजरात” योजना और राज्य की DISCOMs के सहयोग की वजह से है। वहीं महाराष्ट्र में यह हिस्सा 23% है, जहां शहरी क्षेत्रों में छोटे और मध्यम उद्यमों की बढ़ती ऊर्जा मांग एक प्रमुख कारण है।
इसके अलावा राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य भी इस दौड़ में तेजी से उभर रहे हैं। इन राज्यों में सौर ऊर्जा की भरपूर संभावनाएं, नीति समर्थन और जन जागरूकता की भूमिका अहम रही है।
भारत की ऊर्जा रणनीति में रूफटॉप सोलर की अहमियत
हालांकि यूटिलिटी-स्केल सोलर अब भी भारत के कुल सोलर उत्पादन में सबसे बड़ा योगदान देता है, लेकिन रूफटॉप सोलर अब लगभग 20% हिस्सेदारी के साथ एक मजबूत स्थान बना चुका है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसका वितरित स्वरूप है, जिससे उपभोक्ताओं को सीधे लाभ होता है। यही इसे भारत की ऊर्जा संक्रमण यात्रा में एक निर्णायक कारक बनाता है।
नीति, तकनीक और जनभागीदारी की संयुक्त शक्ति
CareEdge Advisory के अनुसार, भारत में रूफटॉप सोलर अब केवल औद्योगिक सेटअप तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह घरों और छोटे व्यापारिक संस्थानों तक भी पहुंच रहा है। गिरती सोलर तकनीक की लागत, सरकारी प्रोत्साहन, और पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर की बढ़ती भागीदारी इस सेक्टर की मजबूत और समावेशी वृद्धि की नींव रख रही है।
CareEdge Advisory & Research की डायरेक्टर तन्वी शाह के अनुसार, रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन में तेज़ी आई है और C&I सेक्टर से मिल रही मजबूत डिमांड और नीति समर्थन के चलते बाजार FY27 तक 25-30 GW की सीमा को छू सकता है।