
भारत में सौर मॉड्यूल और फोटावोल्टिक (PV) सेल के आयात पर निर्भरता को कम करने की दिशा में हाल के वर्षों में अहम प्रगति हुई है। सौर ऊर्जा-Solar Energy क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की यह पहल घरेलू निर्माण क्षमताओं के विस्तार का परिणाम है। हालांकि चीन अब भी इस क्षेत्र का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, लेकिन भारत में चीनी सौर उपकरणों का आयात बीते कुछ वर्षों में लगातार घटा है। FY2022 में जहां PV सेल के आयात में चीन की हिस्सेदारी 90% से अधिक थी, वहीं FY2024 में यह घटकर 56% और सौर मॉड्यूल के मामले में 65% रह गई।
घटते आयात, बढ़ती घरेलू निर्माण क्षमता
Rubix की एक रिपोर्ट के अनुसार, FY2025 के पहले आठ महीनों (अप्रैल से नवंबर 2024) में PV सेल और मॉड्यूल के आयात में क्रमशः 20% और 57% की गिरावट दर्ज की गई। इस ट्रेंड की बड़ी वजह सरकार द्वारा दी गई वित्तीय सहायता और योजनाएं रही हैं, जैसे प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम, पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना और सोलर पार्क योजना। इसके अतिरिक्त, ALMM लिस्ट II की शुरुआत, प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग लोन की डबलिंग और चीन एवं दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ अमेरिका का टैरिफ युद्ध भी भारत के लिए एक अवसर के रूप में उभरा है।
सौर क्षेत्र में FDI का बहाव और विस्तार
रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy क्षेत्र में भारत का सौर क्षेत्र विदेशी निवेश प्राप्त करने वाले सबसे बड़े उप-सेगमेंट के रूप में उभरा है। इसके चलते घरेलू उद्योगों ने अपनी उत्पादन क्षमता में न सिर्फ वृद्धि की है, बल्कि अब ये कंपनियां वैश्विक बाजारों की ओर भी रुख कर रही हैं।
चीनी निर्भरता में गिरावट, लेकिन सफर अभी लंबा है
हालांकि भारत ने चीनी आयात पर निर्भरता घटाई है, लेकिन यह सफर अभी अधूरा है। FY2024 में सौर मॉड्यूल का आयात, PV सेल की तुलना में मूल्य के हिसाब से 2.3 गुना अधिक था। मॉड्यूल का आयात $4.35 बिलियन तक पहुंच गया, जो FY2023 की तुलना में 360% अधिक है, जबकि PV सेल का आयात $1.85 बिलियन रहा, जो 41% की वृद्धि दर्शाता है।
आज भी, विश्व स्तर पर सौर आपूर्ति श्रृंखला पर चीन का वर्चस्व कायम है—80% सौर सेल और 70–80% मॉड्यूल उत्पादन चीन द्वारा नियंत्रित होता है। शीर्ष छह वैश्विक सौर उपकरण निर्माताओं में से पांच चीनी कंपनियां हैं, जैसे टोंगवेई सोलर, लॉन्गी ग्रीन एनर्जी, जेए सोलर, ट्रिना सोलर और जिन्को सोलर। भारत के लिए यह स्पष्ट करता है कि चीन अब भी भारत का सबसे बड़ा सौर आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।
घरेलू निर्माण कंपनियों की वैश्विक उड़ान
भारत की प्रमुख PV निर्माण कंपनियां जैसे वारी एनर्जी, अदाणी सोलर और विक्रम सोलर FY2024 में 50% से अधिक उत्पादन का निर्यात कर रही हैं। इनके साथ-साथ ग्रेव एनर्जी, रिन्यू पावर, नाविटास, सोलक्स एनर्जी और सात्विक एनर्जी भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान बना रही हैं। कई कंपनियां अमेरिका में भी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की योजना बना रही हैं। अमेरिका द्वारा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों पर लगाए गए उच्च टैरिफ ने भारत के लिए निर्यात का एक नया अवसर खोल दिया है।
भारत के सामने मौजूद चुनौतियां
इसके बावजूद, भारत आज भी PV सेल और मॉड्यूल निर्माण में आवश्यक कच्चे माल जैसे पोलिसिलिकॉन और वेफर के लिए चीन पर निर्भर है। यदि चीन अमेरिका से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भारत में सस्ते दामों पर आपूर्ति शुरू करता है, तो इससे घरेलू उत्पादकों पर मूल्य और मुनाफे को लेकर दबाव बढ़ सकता है।
प्रमुख सरकारी नीतियां और योजनाएं
भारत सरकार की अनेक योजनाएं सौर ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नींव रख रही हैं। पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना का लक्ष्य 10 मिलियन घरों में रूफटॉप सोलर प्लांट लगाना है, जिसके लिए FY2026 के लिए बजट को बढ़ाकर ₹200 अरब कर दिया गया है। इसके अलावा, पीएम-कुसुम योजना ग्रामीण क्षेत्रों में सौर पंप और ग्रिड से जुड़े सौर संयंत्र स्थापित कर रही है।
PLI स्कीम द्वारा 2030 तक गीगावाट स्तर की सौर PV मॉड्यूल निर्माण क्षमता विकसित करने की योजना है। सोलर पार्क योजना के तहत 13 राज्यों में 58 पार्कों की स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 56 पहले ही चालू हो चुके हैं। वहीं, सरकार के उपक्रमों द्वारा घरेलू उपकरणों से सौर प्रोजेक्ट्स लगाने के लिए CPSU स्कीम भी चालू है। इसके अलावा, PVTG जनजातियों के 100,000 घरों में बिजली पहुंचाने के लिए एक नई योजना जनवरी 2024 में शुरू की गई है।