
बैटरियाँ हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी हैं। चाहे बात स्मार्टफोन की हो या इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicle) की, हर जगह बैटरियों का प्रयोग होता है। ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में बैटरियों की भूमिका इतनी अहम है कि यह रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) सिस्टम्स के लिए भी रीढ़ की हड्डी बन चुकी हैं। बाजार में आज कई प्रकार की बैटरियाँ उपलब्ध हैं, जिनका चयन उनके उपयोग, लागत, ऊर्जा घनत्व और पर्यावरणीय प्रभाव के आधार पर किया जाता है। आइए जानते हैं बैटरियाँ कितने प्रकार की होती हैं और कौन-सी बैटरी आपके लिए सबसे उपयुक्त हो सकती है।
प्राथमिक बैटरियाँ: एक बार उपयोग की शक्ति
प्राथमिक बैटरियाँ (Primary Batteries) उन बैटरियों की श्रेणी में आती हैं जिन्हें केवल एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इन्हें रिचार्ज नहीं किया जा सकता। ये आमतौर पर कम ऊर्जा खपत वाले उपकरणों जैसे कि रिमोट कंट्रोल, दीवार घड़ियाँ और टॉर्च में उपयोग की जाती हैं।
इनमें सबसे प्रमुख हैं एल्कलाइन बैटरियाँ (Alkaline Batteries) और जिंक-कार्बन बैटरियाँ (Zinc-Carbon Batteries)। एल्कलाइन बैटरियाँ लंबी शेल्फ लाइफ और बेहतर परफॉर्मेंस के लिए जानी जाती हैं, वहीं जिंक-कार्बन बैटरियाँ कम लागत की वजह से सस्ती विकल्प होती हैं लेकिन इनका ऊर्जा घनत्व कम होता है।
द्वितीयक बैटरियाँ: बार-बार चार्ज होने वाली ऊर्जा
द्वितीयक बैटरियाँ (Secondary Batteries) रिचार्जेबल होती हैं और इन्हें कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है। ये बैटरियाँ स्मार्टफोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर सिस्टम्स और कई अन्य आधुनिक उपकरणों में प्रयोग की जाती हैं।
लिथियम-आयन बैटरियाँ (Lithium-Ion Batteries) आज के समय में सबसे लोकप्रिय रिचार्जेबल बैटरियों में से एक हैं। ये हल्की होती हैं, इनका ऊर्जा घनत्व उच्च होता है और ये कम समय में चार्ज हो जाती हैं। स्मार्टफोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वाहनों में इनका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
निकेल-कैडमियम बैटरियाँ (Nickel-Cadmium – NiCd) भी एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरियाँ हैं, जिनका उपयोग मुख्य रूप से पावर टूल्स और मेडिकल उपकरणों में होता है। हालांकि कैडमियम की विषाक्तता के कारण इनका उपयोग अब सीमित हो गया है।
निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरियाँ (Nickel-Metal Hydride – NiMH) डिजिटल कैमरा और हाइब्रिड वाहनों में उपयोग की जाती हैं। ये अधिक क्षमता प्रदान करती हैं और पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित मानी जाती हैं।
भारी लेकिन भरोसेमंद: लीड-एसिड और सोडियम-आयन बैटरियाँ
लीड-एसिड बैटरियाँ (Lead-Acid Batteries) का उपयोग पुराने समय से ऑटोमोबाइल स्टार्टिंग सिस्टम, UPS और सोलर एनर्जी स्टोरेज के लिए किया जा रहा है। ये बैटरियाँ कम कीमत में आती हैं और अधिक करंट देने की क्षमता रखती हैं, लेकिन भारी होती हैं और इनका ऊर्जा घनत्व कम होता है।
वहीं सोडियम-आयन बैटरियाँ (Sodium-Ion Batteries) एक उभरती हुई तकनीक है, जो विशेष रूप से ग्रिड ऊर्जा भंडारण और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयुक्त मानी जा रही है। ये सस्ती हैं, ठंडे मौसम में बेहतर प्रदर्शन करती हैं और लिथियम पर निर्भरता को कम कर सकती हैं।
भविष्य की बैटरियाँ: सॉलिड-स्टेट और हाइड्रोजेल-आधारित
सॉलिड-स्टेट बैटरियाँ (Solid-State Batteries) को भविष्य की बैटरी कहा जा रहा है। इनमें लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट की जगह सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट होता है जिससे ये अधिक सुरक्षित होती हैं और तेज चार्जिंग के साथ अधिक ऊर्जा घनत्व भी देती हैं। ये बैटरियाँ विशेष रूप से भविष्य के इलेक्ट्रिक वाहनों और पोर्टेबल डिवाइसेस के लिए आदर्श मानी जाती हैं।
हाइड्रोजेल-आधारित बैटरियाँ (Hydrogel-Based Batteries) एक नई और अनोखी तकनीक हैं जो लचीली होती हैं, स्व-उपचार क्षमता रखती हैं और पहनने योग्य स्मार्ट डिवाइस तथा बायोसेंसर में इस्तेमाल की जाती हैं। ये पर्यावरण के अनुकूल भी होती हैं और हेल्थ सेक्टर में विशेष महत्व रखती हैं।
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आपकी जरूरत के अनुसार बैटरी का चयन
यदि आप केवल रिमोट कंट्रोल, घड़ी या टॉर्च जैसे उपकरणों के लिए बैटरी खोज रहे हैं, तो प्राथमिक बैटरियाँ जैसे कि एल्कलाइन या जिंक-कार्बन उपयुक्त रहेंगी। वहीं यदि आप स्मार्टफोन, लैपटॉप या EV जैसे हाई एनर्जी कंजम्पशन डिवाइस के लिए बैटरी ले रहे हैं, तो लिथियम-आयन या निकेल-मेटल हाइड्राइड बेहतर विकल्प होंगी।
सोलर एनर्जी स्टोरेज या UPS के लिए लीड-एसिड बैटरियाँ अब भी एक भरोसेमंद विकल्प मानी जाती हैं, जबकि बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण की जरूरत के लिए सोडियम-आयन और सॉलिड-स्टेट तकनीक भविष्य में बड़ा बदलाव ला सकती हैं।