
सॉलिड-स्टेट बैटरियाँ (Solid-State Batteries) इलेक्ट्रिक वाहन (EV) उद्योग में एक नई क्रांति का संकेत दे रही हैं। यह नई बैटरी तकनीक पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में कई महत्वपूर्ण सुधार पेश करती है, जो न केवल EVs के प्रदर्शन को बेहतर बनाती है, बल्कि इनकी सुरक्षा और जीवनकाल को भी सुधारती है। अगर इन बैटरियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है, तो ये इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकती हैं। इसके अलावा, सॉलिड-स्टेट बैटरियों का उपयोग केवल इलेक्ट्रिक वाहनों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह ऊर्जा संग्रहण प्रणालियों और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के क्षेत्रों में भी अपनी जगह बना सकती हैं।
सॉलिड-स्टेट बैटरियों का प्रमुख लाभ
सॉलिड-स्टेट बैटरियों का सबसे बड़ा लाभ उनकी उच्च ऊर्जा घनत्व है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज को काफी बढ़ाने में मदद करता है। उदाहरण के तौर पर, Nio का ET7 मॉडल एक सॉलिड-स्टेट बैटरी के साथ 650 मील (1046 किमी) की रेंज प्रदान करता है, जो इसकी तकनीकी क्षमता को साबित करता है। इन बैटरियों का चार्जिंग समय भी अत्यधिक कम है। Stellantis की FEST बैटरी केवल 18 मिनट में 15% से 90% तक चार्ज हो सकती है, जो इसे अन्य बैटरियों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी बनाता है।
सुरक्षा और लंबी उम्र
सॉलिड-स्टेट बैटरियाँ अपने सुरक्षा पहलुओं के लिए भी जानी जाती हैं। इन बैटरियों में ठोस इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो लिथियम-आयन बैटरियों के मुकाबले अधिक सुरक्षित होते हैं। इससे बैटरी के तापीय रनअवे और आग लगने के जोखिम में काफी कमी आती है। यह इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में एक महत्वपूर्ण विकास है, क्योंकि बैटरी के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के मामलों में कमी आएगी।
सॉलिड-स्टेट बैटरियों का जीवनकाल भी बहुत लंबा होता है। ये बैटरियाँ 8,000 से 10,000 चार्ज साइकिल्स तक चल सकती हैं, जबकि पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरियाँ केवल 1,500 से 2,000 साइकिल्स तक ही काम करती हैं। इससे बैटरी की दीर्घायु में वृद्धि होती है और वाहन की कुल लागत भी घटती है, क्योंकि बार-बार बैटरी बदलने की आवश्यकता नहीं होती।
प्रमुख कंपनियों की पहल
सॉलिड-स्टेट बैटरियों के विकास में कई प्रमुख कंपनियाँ जुटी हुई हैं। Toyota ने 2027-2028 तक 750 मील (1207 किमी) रेंज और 10 मिनट में चार्ज होने वाली बैटरी पेश करने की योजना बनाई है। Mercedes-Benz भी Factorial के साथ मिलकर “Solstice” बैटरी विकसित कर रहा है, जो 450 Wh/kg ऊर्जा घनत्व और 80% रेंज वृद्धि का दावा करती है। Stellantis ने 2026 में Dodge Charger EVs में FEST बैटरी का प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। Nissan ने 2029 तक सॉलिड-स्टेट बैटरियों वाले EVs का उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा है।
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QuantumScape, जो Volkswagen के साथ मिलकर काम कर रहा है, 2024 में अपनी QSE-5 बैटरी का प्रोटोटाइप पेश करने जा रहा है, जिसमें 301 Wh/kg ऊर्जा घनत्व और 1,000 चार्ज साइकिल्स की क्षमता है। ये सभी कंपनियाँ सॉलिड-स्टेट बैटरियों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं, जो EV उद्योग को और अधिक प्रभावी बना सकती हैं।
भारत में सॉलिड-स्टेट बैटरियों की संभावनाएँ
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और इस विकास में सॉलिड-स्टेट बैटरियाँ एक अहम भूमिका निभा सकती हैं। हालांकि, भारत में सॉलिड-स्टेट बैटरियों के उत्पादन के लिए उन्नत विनिर्माण सुविधाओं की आवश्यकता होगी, जो वर्तमान में सीमित हैं। फिर भी, वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी और निवेश से भारत में इन बैटरियों का उत्पादन संभव हो सकता है। इसके साथ ही, सरकार की नीतियाँ और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के क्षेत्र में बढ़ते निवेश भी इस तकनीक के विकास को तेज कर सकते हैं।