
भारत में लिथियम-आयन बैटरी (Li-ion) का बाजार 2025 तक महत्वपूर्ण वृद्धि की दिशा में अग्रसर है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) भंडारण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती मांग से प्रेरित है। वर्तमान में, भारत में लिथियम-आयन बैटरी बाजार का आकार लगभग 3.20 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2024 तक देखा जा सकता है। इसके बाद, 2033 तक इस बाजार के 9.56 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की संभावना है, जो 12.27% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्शाता है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में बाजार का आकार 5.97 अरब अमेरिकी डॉलर था, और यह 2035 तक बढ़कर 22.43 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिससे 12.79% की CAGR का आकलन किया गया है।
लिथियम-आयन बैटरी का महत्व
भारत में लिथियम-आयन बैटरी का बाजार केवल तकनीकी दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक रणनीतियों के दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण घटक बन चुका है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में निरंतर वृद्धि और रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में हो रहे निवेश के कारण, बैटरियों की मांग में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही, स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य पोर्टेबल उपकरणों जैसी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती खपत ने इस क्षेत्र को और भी अधिक प्रासंगिक बना दिया है।
प्रमुख विकास चालक
लिथियम-आयन बैटरी के बाजार में वृद्धि के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। सबसे पहला और प्रमुख कारण है इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बढ़ती मांग। भारत सरकार ने FAME योजना (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। इसके अलावा, सरकार ने 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहनों के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं, जिससे बैटरियों की मांग में तेजी आई है।
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रिन्यूएबल एनर्जी भंडारण भी इस क्षेत्र में वृद्धि का एक अहम कारक है। भारत सरकार ने 2030 तक 450 GW रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता का लक्ष्य रखा है, जिसके परिणामस्वरूप बैटरियों की आवश्यकता बढ़ रही है, ताकि सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा को संचयित किया जा सके और इसका उपयोग बाद में किया जा सके।
सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं, जैसे PLI (Production Linked Incentive) योजना, बैटरी निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे घरेलू उत्पादन में वृद्धि हो रही है और लागत में कमी आ रही है। इससे भारतीय उद्योग को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी लाभ प्राप्त हो रहा है, और भारत घरेलू स्तर पर बैटरी निर्माण में अग्रणी बनता जा रहा है।
प्रमुख बैटरी प्रकार
लिथियम-आयन बैटरी के विभिन्न प्रकारों का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जा रहा है। इनमें लिथियम कोबाल्ट ऑक्साइड (LCO), लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP), और लिथियम निकल मैंगनीज कोबाल्ट (NMC) बैटरियां प्रमुख हैं। लिथियम कोबाल्ट ऑक्साइड (LCO) का उपयोग मुख्य रूप से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे स्मार्टफोन और लैपटॉप में किया जाता है। वहीं, लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) बैटरियां ऊर्जा भंडारण और इलेक्ट्रिक वाहनों में लोकप्रिय हो रही हैं, क्योंकि ये अधिक स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करती हैं। लिथियम निकल मैंगनीज कोबाल्ट (NMC) बैटरियां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उच्च ऊर्जा घनत्व प्रदान करती हैं, जिससे इनकी रेंज और प्रदर्शन में सुधार होता है।
भौगोलिक वितरण और बाजार की प्रवृत्तियाँ
भारत में लिथियम-आयन बैटरी के प्रमुख निर्माण स्थल उत्तर भारत में स्थित हैं, जहां कच्चे माल की प्रचुरता और मजबूत उत्पादन आधार के कारण यह बाजार में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इन क्षेत्रों में बैटरी निर्माण की लागत कम होती है और गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है, जिससे भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। इसके अलावा, दक्षिण भारत में भी बैटरी की मांग बढ़ रही है, क्योंकि वहां प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता और बैटरी निर्माता स्थित हैं।
भविष्य की दिशा
भारत में लिथियम-आयन बैटरी का भविष्य कई महत्वपूर्ण बदलावों से प्रभावित होगा। इनमें से सबसे प्रमुख है बैटरियों की स्थिरता और रीसाइक्लिंग में सुधार। बैटरियों के जीवनकाल को बढ़ाने और उनका पुनर्चक्रण करने की तकनीक में सुधार से लिथियम-आयन बैटरी उद्योग को अधिक स्थिरता मिलेगी। इसके अलावा, बैटरियों के तेज़ चार्जिंग तकनीकों में लगातार सुधार हो रहा है, जिससे ये इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य उपकरणों के लिए और अधिक आकर्षक बनेंगी।
स्थानीय निर्माण क्षमता में वृद्धि से आयात पर निर्भरता कम होगी और लागत में कमी आएगी, जिससे भारत अपनी घरेलू उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाकर वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति को मजबूत करेगा।