
रिलायंस इंडस्ट्रीज-Reliance Industries ने Renewable Energy के क्षेत्र में एक जबरदस्त पहल करते हुए चीन को सीधी टक्कर देने की तैयारी कर ली है। कंपनी ने गुजरात के जामनगर में अपने ‘धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स’ में 10 गीगावॉट (GW) क्षमता वाली सौर पैनल निर्माण लाइन का शुभारंभ किया है। इस प्रोजेक्ट के जरिए रिलायंस न केवल भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है, बल्कि वैश्विक सौर बाजार में भी अपना वर्चस्व स्थापित करने की योजना बना रही है।
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अत्याधुनिक तकनीक से लैस रिलायंस का गीगा कॉम्प्लेक्स
रिलायंस का यह संयंत्र अत्याधुनिक हेटेरोजंक्शन टेक्नोलॉजी-HJT का उपयोग करते हुए 720 वॉट पीक (Wp) क्षमता वाले सौर मॉड्यूल का निर्माण कर रहा है। HJT तकनीक की बदौलत सौर पैनलों की दक्षता और टिकाऊपन काफी बढ़ जाता है। यह उच्च प्रदर्शन देने वाले मॉड्यूल आने वाले वर्षों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
सम्पूर्ण एकीकृत उत्पादन प्रणाली का निर्माण
धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स की सबसे बड़ी खासियत इसकी वर्टिकल इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग चेन है। यहाँ पॉलीसिलिकॉन से लेकर इनगट, वेफर, सौर सेल, मॉड्यूल, ग्लास और पॉलीओलेफिन इलास्टोमर जैसी सभी आवश्यक सामग्रियों का उत्पादन एक ही स्थान पर किया जाएगा। इससे सप्लाई चेन पर निर्भरता घटेगी और लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी।
10 से 20 GW की ओर बढ़ते कदम
रिलायंस फिलहाल 10 GW क्षमता के साथ शुरुआत कर रही है, लेकिन इसका लक्ष्य 20 GW उत्पादन क्षमता हासिल करना है। कंपनी ने अपनी Renewable Energy रणनीति को लेकर पहले ही संकेत दिया है कि यह परियोजना अगले कुछ वर्षों में भारत की सबसे बड़ी सौर उत्पादन सुविधाओं में से एक बन जाएगी।
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सरकारी समर्थन और PLI योजना का लाभ
रिलायंस इंडस्ट्रीज को केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना-PLI के तहत सहयोग प्राप्त हो रहा है। इस योजना के तहत कंपनी को सौर पीवी मॉड्यूल निर्माण और उन्नत रसायन कोशिकाओं (Advanced Chemistry Cells-ACC) के क्षेत्र में उल्लेखनीय वित्तीय सहायता मिल रही है। इससे भारतीय सौर उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिलेगी।
हरित हाइड्रोजन और बैटरी निर्माण में भी तेज़ी
रिलायंस न केवल सौर पैनलों के क्षेत्र में बल्कि हरित हाइड्रोजन-Green Hydrogen और बैटरी निर्माण में भी बड़े कदम उठा रही है। कंपनी महाराष्ट्र सरकार के साथ 100 किलो टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए समझौता कर चुकी है, जिसमें लगभग ₹15,000 करोड़ का निवेश होगा। इसके अलावा, 30 GW क्षमता वाली बैटरी निर्माण सुविधा भी विकसित की जा रही है जो ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में भारत को वैश्विक लीडर बनाने में सहायक होगी।
भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
भारत सरकार ने जून 2026 से सभी स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए स्थानीय रूप से निर्मित सौर मॉड्यूल और सेल का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। रिलायंस का यह निवेश इस रणनीति को बल देने वाला साबित होगा। इस पहल से चीन पर भारत की निर्भरता घटेगी और स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। भारत न केवल अपनी घरेलू मांग पूरी कर सकेगा, बल्कि सौर मॉड्यूल के वैश्विक निर्यात में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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