
बारिश और सोलर पैनल को लेकर लंबे समय से एक आम धारणा रही है कि बारिश में सोलर पैनल (Solar Panel) खराब हो जाते हैं या उनका प्रदर्शन काफी हद तक घट जाता है। लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है। Renewable Energy के इस दौर में जब भारत और दुनिया भर में लोग सोलर एनर्जी की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, यह जरूरी हो जाता है कि ऐसे मिथकों को तोड़ा जाए और सही जानकारी दी जाए।
सोलर पैनल होते हैं वाटरप्रूफ, बारिश से नहीं होता नुकसान
आज के आधुनिक सोलर पैनल उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री से बनाए जाते हैं और उन्हें पूरी तरह से वाटरप्रूफ डिजाइन किया जाता है। इन पैनलों की सीलिंग इस तरह से की जाती है कि पानी अंदर प्रवेश न कर सके। यही कारण है कि सामान्य बारिश से सोलर पैनल को कोई भौतिक नुकसान नहीं होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोलर पैनल IP (Ingress Protection) रेटिंग के तहत तैयार किए जाते हैं, जो उन्हें पानी और धूल से सुरक्षित रखते हैं।
भारत जैसे देश में, जहाँ मॉनसून का मौसम लंबा और तीव्र होता है, वहाँ भी लाखों घरों और औद्योगिक इकाइयों में सोलर पैनल बिना किसी परेशानी के कार्य करते हैं। इसलिए यह कहना कि बारिश से सोलर पैनल खराब हो सकते हैं, पूरी तरह से एक अफवाह है।
बारिश में भी बिजली उत्पादन जारी रहता है
एक और भ्रम यह है कि बारिश के समय सोलर पैनल बिजली बनाना बंद कर देते हैं। हकीकत यह है कि सोलर पैनल केवल सीधी धूप (Direct Sunlight) से ही नहीं, बल्कि बिखरी हुई रोशनी (Diffused Light) से भी बिजली उत्पन्न करते हैं। हाँ, यह जरूर है कि बारिश के दौरान सूरज की रोशनी कम होती है, जिससे बिजली उत्पादन की क्षमता थोड़ी घट सकती है, लेकिन यह पूरी तरह बंद नहीं होती।
जर्मनी, जापान और ब्रिटेन जैसे देशों में जहाँ साल भर में कई दिन बादल और बारिश रहती है, वहाँ भी सोलर पैनल बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन कर रहे हैं। इसका साफ मतलब है कि केवल तेज धूप ही सोलर एनर्जी का स्रोत नहीं है।
प्राकृतिक सफाई का फायदा देती है बारिश
बारिश का एक और अप्रत्यक्ष लाभ यह है कि वह सोलर पैनल की सतह पर जमी हुई धूल, मिट्टी और अन्य कणों को धो देती है। आमतौर पर पैनल पर गंदगी जमा हो जाने से उनकी कार्यक्षमता घट जाती है, लेकिन नियमित बारिश इस गंदगी को हटा देती है जिससे पैनल की सतह साफ रहती है और उनका प्रदर्शन बना रहता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर लंबे समय तक पैनल की सफाई न की जाए तो उत्पादन क्षमता 10-15% तक घट सकती है। ऐसे में बारिश एक तरह से सोलर पैनल की “प्राकृतिक सफाई” का काम करती है, जिससे उनकी कार्यक्षमता में सुधार आता है।
कब होनी चाहिए सावधानी?
हालांकि बारिश से सामान्य रूप से कोई खतरा नहीं होता, लेकिन जब बात आती है भारी तूफान, ओले गिरने या अत्यधिक नमी की, तो सतर्क रहना जरूरी हो जाता है।
ओलों से सोलर पैनल को शारीरिक क्षति हो सकती है, खासकर यदि वे बड़े आकार के हों या उच्च गति से गिरें। हालांकि, अधिकतर ब्रांडेड सोलर पैनल को इस तरह से टेस्ट किया जाता है कि वे 25 मिमी तक के ओलों का भी सामना कर सकें। फिर भी, मौसम विभाग की चेतावनी के समय पैनल की निगरानी जरूरी हो जाती है।
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इसके अलावा, यदि सोलर पैनल की सीलिंग समय के साथ खराब हो जाए या नमी उसके भीतर प्रवेश कर जाए, तो यह उसकी कार्यक्षमता पर असर डाल सकता है। इसलिए नियमित रूप से निरीक्षण और रखरखाव करना आवश्यक है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हर 6 महीने में पैनल की जांच एक प्रमाणित तकनीशियन से करानी चाहिए।
बारिश के मौसम में सोलर पैनल की देखभाल कैसे करें?
बारिश के समय सोलर पैनल को सुरक्षित और प्रभावी बनाए रखने के लिए कुछ सामान्य सुझाव अपनाना उपयोगी हो सकता है।
सबसे पहले, सुनिश्चित करें कि पैनल के आसपास जल जमाव न हो, क्योंकि इससे इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट का खतरा बढ़ सकता है। दूसरा, पैनल की सतह पर पत्तियां या अन्य मलबा जमा न होने दें। बारिश के दौरान यदि तेज़ हवा चलती है तो ऐसी चीजें पैनल की सतह को ढक सकती हैं और उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
इसके अलावा, सोलर इनवर्टर और वायरिंग की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण होती है। बारिश के मौसम में अधिक नमी के कारण शॉर्ट सर्किट की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए इनवर्टर को हमेशा सूखे और सुरक्षित स्थान पर रखा जाना चाहिए।
बारिश में सोलर पैनल सुरक्षित, लेकिन रखरखाव जरूरी
कुल मिलाकर कहा जाए तो यह कहना गलत होगा कि बारिश सोलर पैनल के लिए हानिकारक है। वास्तव में, बारिश पैनल की सफाई में मदद करती है और थोड़ी-बहुत रोशनी में भी बिजली उत्पादन संभव होता है। बस आवश्यकता है तो थोड़ी सतर्कता और नियमित निरीक्षण की।
यदि आप सोलर पैनल का उपयोग कर रहे हैं या इसे लगाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको बारिश से डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि, यह आपके पैनलों के लिए एक सहायक मौसम साबित हो सकता है — बशर्ते आप उसका सही ढंग से रखरखाव करें।