Run-of-the-River vs Dam-based Hydro Projects: कौन बेहतर है?

जलविद्युत परियोजनाएं आज के रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy दौर में अहम भूमिका निभा रही हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि Run-of-the-River और Dam-based Hydro Projects में कौन ज्यादा असरदार है? जानें इसकी गहराई से तुलना, फायदे, चुनौतियां और भविष्य के नजरिए से कौन सी तकनीक आपके शहर, राज्य और पर्यावरण के लिए बेहतर है।

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Written by Rohit Kumar

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Hydropower या जलविद्युत परियोजनाएं आज की रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनमें मुख्यतः दो प्रकार की परियोजनाएं सामने आती हैं – Run-of-the-River और Dam-based Hydro Projects। दोनों की तकनीक अलग है, उद्देश्य अलग है, और इनका पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी भिन्न होता है। सवाल यह है कि आखिरकार कौन-सी तकनीक बेहतर है? इस लेख में हम इस तुलना को विस्तार से समझेंगे ताकि आप खुद तय कर सकें कि किस विकल्प में ज्यादा दम है।

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Run-of-the-River परियोजनाएं

Run-of-the-River परियोजनाएं बिना किसी बड़े जलाशय के नदी के प्राकृतिक प्रवाह से ही बिजली उत्पन्न करती हैं। इन परियोजनाओं में पानी को नदी से निकाला जाता है, एक पनबिजली टरबाइन से गुज़ारा जाता है और फिर वापस नदी में छोड़ दिया जाता है। इनके लिए किसी बड़े बांध या जलाशय की आवश्यकता नहीं होती, जिससे निर्माण लागत कम होती है और पर्यावरणीय प्रभाव सीमित रहता है। ये परियोजनाएं खासकर पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों के लिए उपयुक्त होती हैं जहां स्थायी जल प्रवाह उपलब्ध हो।

Dam-based Hydropower Projects

Dam-based Hydropower Projects में एक बड़ा जलाशय बनाया जाता है जो नदी के पानी को इकट्ठा करता है और आवश्यकता के अनुसार बिजली उत्पादन के लिए उसे नियंत्रित तरीके से छोड़ता है। इस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में भूमि, संसाधन और समय की जरूरत होती है, लेकिन इसके लाभ भी उतने ही व्यापक हैं। ये परियोजनाएं बड़े स्तर पर बिजली उत्पन्न कर सकती हैं, साथ ही सिंचाई, जलापूर्ति और बाढ़ नियंत्रण जैसे बहुउद्देश्यीय कार्यों में भी सहायक होती हैं।

पर्यावरणीय प्रभाव की दृष्टि से कौन आगे?

जहां Run-of-the-River परियोजनाएं पर्यावरण के लिहाज से अधिक अनुकूल मानी जाती हैं, वहीं Dam-based परियोजनाओं को लेकर अक्सर जैव विविधता, वन्यजीवन विस्थापन और पारिस्थितिकीय संतुलन को लेकर चिंताएं उठती रही हैं। बड़ी बांध परियोजनाएं कई बार स्थानीय समुदायों को विस्थापित करती हैं, जबकि RoR परियोजनाएं प्राकृतिक प्रवाह को बिना ज्यादा छेड़े ही ऊर्जा उत्पादन करती हैं। हालांकि, RoR परियोजनाएं भी पूरी तरह ‘प्रभाव रहित’ नहीं होतीं; प्रवाह में परिवर्तन स्थानीय पारिस्थितिकी को प्रभावित कर सकता है।

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आर्थिक लागत और निर्माण समय की तुलना

RoR परियोजनाएं लागत और निर्माण समय की दृष्टि से कहीं अधिक प्रभावी हैं। छोटे पैमाने पर होने के कारण इनका निर्माण जल्दी और अपेक्षाकृत सस्ते में हो जाता है। दूसरी ओर, Dam-based परियोजनाएं अत्यधिक पूंजी निवेश, भूमि अधिग्रहण और दीर्घकालिक निर्माण अवधि की मांग करती हैं। लेकिन दीर्घकालिक रिटर्न और अधिक बिजली उत्पादन क्षमता उन्हें आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाते हैं – खासकर जब बात औद्योगिक या शहरी आवश्यकताओं की हो।

ऊर्जा उत्पादन क्षमता और निर्भरता

Run-of-the-River परियोजनाएं मौसम और प्रवाह पर अत्यधिक निर्भर होती हैं। सूखे या गर्मी के मौसम में प्रवाह कम होने से उत्पादन घट सकता है। वहीं Dam-based परियोजनाएं जल संग्रहण के कारण मौसम की अनिश्चितता से अपेक्षाकृत सुरक्षित रहती हैं और आवश्यकतानुसार उत्पादन कर सकती हैं। यही वजह है कि बड़े औद्योगिक और शहरी केंद्रों के लिए Reservoir-based Projects अधिक उपयुक्त मानी जाती हैं।

सामाजिक प्रभाव और समुदाय आधारित दृष्टिकोण

Dam-based परियोजनाओं के कारण अक्सर बड़े पैमाने पर विस्थापन और सामाजिक असंतुलन देखने को मिलता है। दूसरी ओर RoR परियोजनाएं सीमित भूमि उपयोग करती हैं और समुदाय आधारित विकास को बढ़ावा देती हैं। यदि उद्देश्य छोटे शहरों या दूर-दराज़ के गांवों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना है, तो RoR एक व्यवहारिक विकल्प बनता है।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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