
सोलर पैनल से कूलर चलाना अब कोई कल्पना नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक और किफायती समाधान बन चुका है, खासकर उन इलाकों में जहां बिजली की आपूर्ति अनियमित रहती है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है और बिजली दरें आसमान छू रही हैं, वैसे-वैसे लोग Renewable Energy की ओर रुख कर रहे हैं। कूलर जैसे घरेलू उपकरण को सोलर पैनल से चलाना एक आसान, सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प बन सकता है।
कूलर कितनी बिजली खपत करता है?
कूलर की बिजली खपत उसके आकार और डिजाइन पर निर्भर करती है। पर्सनल या टावर कूलर आमतौर पर 50 से 150 वॉट तक बिजली लेते हैं, वहीं डेजर्ट कूलर की खपत 200 से 250 वॉट तक हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि आप 150 वॉट के कूलर को प्रतिदिन 10 घंटे चलाते हैं, तो वह करीब 1.5 यूनिट (kWh) बिजली खर्च करेगा। यह जानकारी BajajFinserv की रिपोर्ट पर आधारित है।
सोलर पैनल से कितनी बिजली उत्पन्न होती है?
सोलर पैनल की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि आपके क्षेत्र में प्रतिदिन कितनी धूप मिलती है। मान लीजिए कि आपको प्रतिदिन औसतन 5 घंटे की सोलर रेडिएशन मिलती है, तो एक 200 वॉट का सोलर पैनल प्रतिदिन लगभग 1 यूनिट (kWh) बिजली उत्पन्न कर सकता है।
इसका अर्थ यह हुआ कि यदि आपका कूलर 100 वॉट का है और आप उसे प्रतिदिन 8 घंटे चलाना चाहते हैं, तो उसकी कुल खपत 0.8 यूनिट होगी। ऐसे में एक 200 वॉट का सोलर पैनल पर्याप्त होगा।
सोलर पैनल के साथ किन उपकरणों की जरूरत होगी?
केवल सोलर पैनल लगाना काफी नहीं होता। कूलर को सोलर पैनल से चलाने के लिए आपको एक कम्पलीट सेटअप की आवश्यकता होगी जिसमें मुख्यतः तीन अतिरिक्त चीजें शामिल होती हैं:
पहला, सोलर इन्वर्टर, जो DC पावर को AC पावर में बदलता है ताकि आपका कूलर सामान्य पावर सप्लाई की तरह काम कर सके।
दूसरा, बैटरी, जिससे आप रात में या बादल वाले दिनों में भी कूलर चला सकें।
तीसरा, चार्ज कंट्रोलर, जो बैटरी को ओवरचार्जिंग से बचाता है और सिस्टम की सुरक्षा करता है।
यह सेटअप खासतौर पर उन लोगों के लिए जरूरी है जो ऑफ-ग्रिड सिस्टम का उपयोग करना चाहते हैं या जिनके इलाके में बिजली की सप्लाई अस्थिर रहती है।
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कितनी होगी कुल लागत?
अब बात करते हैं सबसे जरूरी पहलू की—लागत। एक बेसिक सोलर सिस्टम, जो सिर्फ कूलर चलाने के लिए डिजाइन किया गया हो, उसकी कुल लागत ₹18,000 से ₹28,000 के बीच हो सकती है।
इसमें 200 वॉट के सोलर पैनल की कीमत ₹6,000 से ₹8,000 के बीच होगी। इसके साथ एक बेसिक इन्वर्टर और बैटरी की लागत ₹10,000 से ₹15,000 तक आ सकती है। इंस्टॉलेशन और अन्य सहायक खर्चे मिलाकर कुल लागत ₹2,000 से ₹5,000 तक जा सकती है।
यह एक बार का निवेश है, लेकिन इसकी उम्र लगभग 20-25 साल होती है और लंबे समय में यह बिजली बिल में बड़ी बचत कर सकता है।
कूलर चलाने के लिए सोलर विकल्प क्यों है बेहतर?
जब बात गर्मी से राहत की हो और साथ ही बिजली की बचत की, तो सोलर पैनल से कूलर चलाना दोहरी जीत है। यह न केवल आपके बिजली बिल को घटाता है, बल्कि यह Renewable Energy के जरिए पर्यावरण को भी नुकसान से बचाता है। साथ ही, यह खासकर उन ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए आदर्श है जहां बिजली की कटौती आम बात है।
यदि आप लंबे समय तक कूलर का उपयोग करते हैं, और बिजली बिल या बिजली कटौती की समस्या से जूझ रहे हैं, तो सोलर पैनल एक लॉन्ग-टर्म और स्मार्ट इन्वेस्टमेंट बन सकता है।
सटीक सिस्टम प्लान के लिए क्या जानना जरूरी है?
यदि आप अपने घर के कूलर को सोलर पैनल से चलाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि:
- आपके कूलर की वॉटेज कितनी है?
- आप उसे प्रतिदिन कितने घंटे चलाते हैं?
- आपके क्षेत्र में औसतन कितने घंटे धूप रहती है?
इन आंकड़ों के आधार पर ही एक उपयुक्त सोलर सेटअप डिजाइन किया जा सकता है जो आपकी जरूरत को पूरी तरह से पूरा करेगा।