
भारत में Renewable Energy को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने नागरिकों को सोलर एनर्जी बेचने की सुविधा दी है। अब आम नागरिक भी अपने घर या व्यवसाय की छत पर सोलर पैनल लगाकर सरकार को बिजली बेच सकते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को आसान और लाभदायक बनाने के लिए ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana)’ की शुरुआत की गई है। इसके माध्यम से लोग न केवल अपने बिजली बिलों में भारी कटौती कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली बेचकर हर महीने निश्चित आय भी प्राप्त कर सकते हैं।
नेट मीटरिंग सिस्टम से घर बैठे कमाएं पैसा
नेट मीटरिंग (Net Metering) प्रणाली भारत में सबसे लोकप्रिय तरीका है जिससे आम उपभोक्ता बिजली बेच सकते हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत जब आपकी सोलर यूनिट्स जरूरत से ज्यादा बिजली बनाती हैं, तो वह अतिरिक्त बिजली सीधे राज्य के पावर ग्रिड में चली जाती है। DISCOM यानी बिजली वितरण कंपनी एक द्विदिश मीटर (bidirectional meter) लगाती है, जो आपके घर में आयात और निर्यात दोनों बिजली की मात्रा को रिकॉर्ड करता है। यदि आपने जितनी बिजली उपयोग की है, उससे अधिक उत्पादन किया है, तो अतिरिक्त यूनिट्स के लिए सरकार आपको भुगतान करती है।
ग्रॉस मीटरिंग से सीधे बेचें पूरी बिजली
ग्रॉस मीटरिंग (Gross Metering) मॉडल उन उपभोक्ताओं के लिए उपयुक्त है जो केवल बिजली उत्पादन में रुचि रखते हैं और अपनी जरूरत की बिजली ग्रिड से खरीदते हैं। इस सिस्टम में सोलर पैनल द्वारा उत्पादित पूरी बिजली ग्रिड को भेज दी जाती है और आपको दो बिल मिलते हैं—एक खुद की खपत के लिए और दूसरा बिजली बिक्री के लिए। हालांकि इसमें भुगतान दर नेट मीटरिंग की तुलना में थोड़ी कम होती है, लेकिन बड़े संस्थानों और व्यवसायों के लिए यह एक स्थिर कमाई का जरिया बन सकता है।
नेट बिलिंग का संकर मॉडल
नेट बिलिंग (Net Billing) प्रणाली नेट और ग्रॉस मीटरिंग दोनों का संयोजन है। इसमें उत्पादन और खपत को अलग-अलग ट्रैक किया जाता है। अंत में जो अंतर निकलता है उसी आधार पर आपका भुगतान या शुल्क तय होता है। यह मॉडल उन उपभोक्ताओं के लिए बेहतर है जो स्मार्ट मैनेजमेंट चाहते हैं और जिनके घरों या संस्थानों में बिजली की मांग और उत्पादन में अंतर होता है।
पीएम सूर्य घर योजना में आवेदन कैसे करें
सोलर पैनल स्थापित कर सरकार को बिजली बेचने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरकार ने PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल पर जाकर आप अपने राज्य, जिला और DISCOM का चयन कर आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद आपको उपभोक्ता खाता नंबर और अन्य विवरण भरने होते हैं। आवेदन स्वीकार होने पर DISCOM की ओर से तकनीकी जांच की जाती है। स्वीकृति मिलने के बाद सरकार द्वारा अनुमोदित विक्रेता से सोलर पैनल की इंस्टॉलेशन करवाई जाती है।
मीटरिंग और ग्रिड से कनेक्शन की प्रक्रिया
सोलर पैनल लगाने के बाद अगला कदम मीटरिंग और ग्रिड कनेक्शन का होता है। DISCOM की ओर से द्विदिश मीटर लगाया जाता है और ग्रिड कनेक्शन की सभी तकनीकी जांच की जाती है। इसके बाद सिस्टम को ग्रिड से जोड़ दिया जाता है और परीक्षण के बाद बिजली उत्पादन और बिक्री शुरू की जा सकती है।
यह भी पढें-Can Cooler Run on Solar Panel: क्या सोलर पैनल से कूलर चल सकता है? कितने पैनल लगेंगे जानें
सब्सिडी और रिटर्न की जानकारी
भारत सरकार सोलर सिस्टम पर भारी सब्सिडी भी देती है। लगभग ₹40,000 प्रति किलोवाट की लागत पर आधारित सोलर पैनल लगाने पर उपभोक्ताओं को ₹30,000 से लेकर ₹78,000 तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह राशि सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में जमा की जाती है। इसके अतिरिक्त, जो भी अतिरिक्त बिजली आप ग्रिड को भेजते हैं, उसके लिए औसतन ₹3 प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में सोलर ऊर्जा योजनाएं
उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यान्वयन की जिम्मेदारी UPNEDA (Uttar Pradesh New and Renewable Energy Development Agency) की है। यह एजेंसी सौर पैनल इंस्टॉलेशन, तकनीकी मार्गदर्शन और योजना से संबंधित सभी प्रक्रियाओं का संचालन करती है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सोलर पैनल लगाने के लिए विशेष छूट और सहायता भी दी जाती है, जिससे राज्य में Renewable Energy का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
लागत, सब्सिडी और लाभ का अनुमान
यदि आप 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाते हैं, तो इसकी लागत लगभग ₹1,20,000 होगी। सरकार की तरफ से लगभग ₹60,000 तक की सब्सिडी मिलने के बाद आपकी कुल लागत लगभग ₹60,000 ही रह जाती है। यदि आप सालाना 4000 यूनिट अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजते हैं, तो ₹3 प्रति यूनिट के हिसाब से ₹12,000 की सालाना अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। यानी करीब 5 साल में आपकी पूरी लागत वसूल हो जाती है और आगे चलकर केवल लाभ ही लाभ।