
भारत में बढ़ती गर्मी और रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की ओर झुकाव के चलते अब अधिकतर उपभोक्ता अपने घर या ऑफिस में एयर कंडीशनर (AC) को सोलर पावर से चलाने की योजना बना रहे हैं। लेकिन इस दिशा में पहला और सबसे जरूरी सवाल यही होता है कि 1.5 टन का AC सोलर पैनल से चलाने के लिए कितने kVA का इन्वर्टर चाहिए? यही सवाल सिस्टम की पूरी डिज़ाइन और लागत को भी प्रभावित करता है।
1.5 टन AC की पावर खपत और इन्वर्टर की न्यूनतम आवश्यकता
1.5 टन के AC की पावर खपत सामान्यतः 1.5 किलोवॉट (kW) से लेकर 2 किलोवॉट तक होती है। यह खपत AC के प्रकार (इन्वर्टर या नॉन-इन्वर्टर), उपयोग की अवधि, तापमान सेटिंग और कमरे के आकार पर भी निर्भर करती है। हालांकि, इसके स्टार्टअप के दौरान एक अतिरिक्त Surge Power की आवश्यकता होती है जो कि सामान्य संचालन के मुकाबले अधिक होती है।
इसीलिए, सोलर सिस्टम डिज़ाइन करते समय केवल नॉर्मल पावर कंजम्प्शन नहीं बल्कि स्टार्टिंग पावर को भी ध्यान में रखा जाता है। यही कारण है कि 1.5 टन के AC को चलाने के लिए कम से कम 3 किलोवोल्ट-एम्पियर (kVA) क्षमता का इन्वर्टर आवश्यक माना जाता है। यह इन्वर्टर AC की स्टार्टिंग और निरंतर संचालन दोनों को संभाल सकता है।
बैटरी की आवश्यकता: कितने Ah की जरूरत?
यदि उपभोक्ता यह चाहते हैं कि AC को केवल सोलर पैनल से न चलाकर बैटरी बैकअप से भी चलाया जाए, तो बैटरी चयन का गणित भी समझना जरूरी हो जाता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि प्रति टन प्रति घंटे के लिए लगभग 100Ah की बैटरी की आवश्यकता होती है।
इस आधार पर, यदि कोई 1.5 टन का AC दिन में 4 घंटे तक चलाना चाहता है, तो उसे लगभग 600Ah की बैटरी की जरूरत होगी। यह बैटरी क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि उपयोगकर्ता कितना बैकअप समय चाहते हैं और कौन सी बैटरी टेक्नोलॉजी (लिथियम-आयन या लेड-एसिड) का उपयोग कर रहे हैं।
सोलर पैनल की जरूरत: कितनी वाट क्षमता चाहिए?
AC जैसे भारी उपकरणों के लिए सोलर पैनल की उचित संख्या और वाट क्षमता का निर्धारण भी अत्यंत आवश्यक है। thumb rule के अनुसार, प्रत्येक टन के लिए 1,200 वाट के सोलर पैनल की आवश्यकता होती है।
इसका अर्थ है कि 1.5 टन के AC के लिए लगभग 1,800 वाट के सोलर पैनल की जरूरत होगी। हालांकि, यह संख्या आपके इलाके में मिलने वाली धूप की मात्रा (solar insolation), मौसम और सोलर पैनल की दक्षता पर भी निर्भर कर सकती है।
यदि किसी क्षेत्र में पर्याप्त धूप उपलब्ध है, तो पैनलों की संख्या थोड़ी कम की जा सकती है, लेकिन बादल या ठंडे क्षेत्रों में अधिक पैनल लगाने की सलाह दी जाती है।
इन्वर्टर के प्रकार और ब्रांड चयन में सावधानी
सिर्फ क्षमता ही नहीं, इन्वर्टर का प्रकार और उसकी ब्रांड गुणवत्ता भी सोलर सिस्टम की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप सोलर पैनल के साथ बैटरी का भी उपयोग कर रहे हैं, तो हाइब्रिड इन्वर्टर का चयन करें। हाइब्रिड इन्वर्टर वह प्रणाली है जो सोलर पैनल, ग्रिड और बैटरी – तीनों से पावर ले सकता है और आवश्यकता अनुसार उसे वितरित करता है।
इसके साथ ही किसी भी प्रतिष्ठित ब्रांड जैसे Luminous, Microtek, Su-Kam या Growatt जैसे विकल्पों को चुनना बेहतर होता है जो कि लंबी आयु, उच्च दक्षता और अच्छा सर्विस नेटवर्क प्रदान करते हैं। खराब क्वालिटी के इन्वर्टर से न केवल बिजली की बर्बादी होती है बल्कि सिस्टम फेलियर का खतरा भी बढ़ जाता है।
सिस्टम डिज़ाइन का असर लागत और संचालन पर
यदि सिस्टम डिज़ाइन सही तरीके से नहीं किया गया तो या तो आपका AC चालू नहीं होगा या पैनल/बैटरी पर अत्यधिक लोड आ जाएगा जिससे पूरे सोलर सिस्टम की लाइफ कम हो जाएगी।
इसलिए एक दक्ष सोलर विशेषज्ञ से सलाह लेकर पूरे सिस्टम की डिजाइन कराना जरूरी है, जो आपके लोड, उपयोग के समय, बजट और स्थान की धूप की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए बैलेंस्ड समाधान दे सके।