
REC लिमिटेड, जो भारत सरकार की अधीन एक प्रमुख वित्तीय संस्थान है, यह मुख्य रूप से विद्युत क्षेत्र में वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसकी स्थापना 25 जुलाई 1969 को हुई थी, और इसका मुख्यालय गुरुग्राम, हरियाणा में स्थित है। यह संस्थान अब तेजी से रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के क्षेत्र में बड़ा निवेश करने जा रहा है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2030 तक ₹2.5 लाख करोड़ की राशि ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंस करेगी। यह निर्णय भारत के 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-फॉसिल फ्यूल क्षमता हासिल करने के लक्ष्य को मजबूत आधार देगा।
वर्तमान पोर्टफोलियो और भावी लक्ष्य
31 मार्च 2025 तक REC की कुल लोन बुक ₹5.67 लाख करोड़ तक पहुंच चुकी है, जिसमें से लगभग ₹53,000 करोड़ पहले से ही रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स में निवेश किए गए हैं। कंपनी अब इस पोर्टफोलियो को 2030 तक ₹10 लाख करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस राशि में से ₹3 लाख करोड़ विशेष रूप से रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए निर्धारित किए जाएंगे, जिसमें ₹2.5 लाख करोड़ की फाइनेंसिंग सीधे अगले 5 वर्षों में की जाएगी।
REC का रणनीतिक विज़न और लीडरशिप बयान
REC के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर जितेंद्र श्रीवास्तव ने यह स्पष्ट किया कि कंपनी Renewable Energy सेक्टर को एक प्राथमिकता के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि इस रणनीति के ज़रिए न केवल ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और पर्यावरणीय सुरक्षा को भी बल मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह फाइनेंसिंग मुख्यतः ग्रिड-सोलर, विंड, हाइब्रिड और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे सेक्टरों में की जाएगी।
भारत का 2030 का ग्रीन एनर्जी लक्ष्य
भारत ने COP26 सम्मेलन में यह प्रतिज्ञा की थी कि वह 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल एनर्जी कैपेसिटी विकसित करेगा। इस लक्ष्य के तहत अनेक प्राइवेट और सरकारी संस्थाएं जैसे अडानी ग्रीन, NTPC और SECI पहले से ही बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं। गुजरात में अडानी ग्रुप का 30 GW का हाइब्रिड Renewable Energy पार्क इसका एक उदाहरण है, जिससे 1.6 करोड़ घरों को बिजली मिल सकेगी।
फाइनेंसिंग की भूमिका और सेक्टर की संभावनाएं
भारत का Renewable Energy सेक्टर वित्तीय संसाधनों के अभाव में कई बार धीमा पड़ जाता है। REC जैसी संस्था का यह दीर्घकालिक निवेश आने वाले वर्षों में इस सेक्टर में विश्वास और स्थायित्व ला सकता है। यह निवेश केवल फंडिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्य बैंकों और NBFCs को भी ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंसिंग करने के लिए प्रेरित करेगा।
REC के रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में प्रमुख कार्य
1. सौर ऊर्जा परियोजनाएं: REC सौर ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण में सक्रिय रूप से शामिल है, जिसमें ग्रिड-सोलर और रूफटॉप सोलर योजनाएं शामिल हैं। कंपनी ‘पीएम सूर्य घर योजना’ की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है, जिसका लक्ष्य 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित करना है। अब तक, इस योजना के तहत 51 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं, और 12 लाख इंस्टॉलेशन पूरे हो चुके हैं।
2. पवन ऊर्जा और हाइब्रिड परियोजनाएं: REC पवन ऊर्जा और सौर-पवन हाइब्रिड परियोजनाओं के वित्तपोषण में भी योगदान दे रही है, जिससे ऊर्जा उत्पादन में विविधता और स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
3. ग्रीन हाइड्रोजन और उभरती तकनीकें: कंपनी ग्रीन हाइड्रोजन और अन्य उभरती रिन्यूएबल एनर्जी तकनीकों में निवेश करने की योजना बना रही है, जिससे भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
4. जलविद्युत परियोजनाएं: REC ने जम्मू-कश्मीर में 1,000 मेगावाट की पाकल डुल जलविद्युत परियोजना के लिए ₹2,147 करोड़ का टर्म लोन प्रदान किया है, जो भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को बढ़ाने में सहायक होगा।
मुख्य चुनौतियाँ और समाधान की राह
रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में भूमि अधिग्रहण, ग्रिड कनेक्टिविटी और नीतिगत बाधाएं प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं। लेकिन सरकार द्वारा जारी की गई नई नीतियों और डिजिटल फास्ट-ट्रैक अनुमोदन प्रक्रियाओं से इन अड़चनों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। REC का सहयोग इस प्रक्रिया को और अधिक गति देगा।
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