
अब सोलर पैनल सिर्फ धूप में ही नहीं, बल्कि छाया में भी बिजली बना सकेंगे। Renewable Energy सेक्टर में यह क्रांतिकारी बदलाव उत्तर प्रदेश की कंपनियों की नई तकनीक से संभव हुआ है। यह तकनीक उन जगहों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई है जहां सीधी धूप कम मिलती है।
सौर ऊर्जा या Solar Energy लंबे समय से वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में सामने रही है। लेकिन इसकी एक बड़ी सीमा थी – सीधी धूप। अब इस सीमा को यूपी की कंपनियों ने हटाने की ठान ली है। लखनऊ समेत राज्य के कई हिस्सों में अब ऐसी Solar Panel Technology विकसित की जा रही है जो कम रोशनी, छाया और यहां तक कि रात में भी बिजली बना सकेगी। यह तकनीक खासतौर पर उत्तर भारत के उन शहरी और ग्रामीण इलाकों के लिए फायदेमंद होगी जहां दिन का बड़ा हिस्सा छांव या कोहरे में बीतता है।
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छाया में बिजली बनाने की तकनीक कैसे काम करती है
इस तकनीक का मूल आधार है – उन्नत फोटोवोल्टिक-Photovoltaic और थर्मोइलेक्ट्रिक-Thermoelectric संयोजन। पारंपरिक सोलर पैनल केवल सूर्य की तेज किरणों से विद्युत ऊर्जा बनाते थे, लेकिन ये नए मॉडल कम रोशनी या परावर्तित प्रकाश को भी कैप्चर कर ऊर्जा में बदलने में सक्षम हैं।
इसके अलावा, कुछ कंपनियां सोलर पैनल में ऐसे तत्व जोड़ रही हैं जो वातावरण और पैनल की सतह के बीच के तापमान के अंतर से ऊर्जा पैदा कर सकें। इसका मतलब ये हुआ कि जैसे-जैसे दिन और रात के तापमान में बदलाव आता है, ऊर्जा उत्पन्न होती रहती है।
यूपी में Renewable Energy की दिशा में नया अध्याय
राज्य सरकार की ऊर्जा नीति 2022 के तहत, यूपी को रिन्यूएबल एनर्जी हब बनाने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। अयोध्या जैसे शहरों को सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां कुल ऊर्जा खपत का 10% हिस्सा अब सौर स्रोतों से आ रहा है।
इसके अलावा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और मेरठ जैसे 16 नगर निगम क्षेत्रों में भी सोलर प्रोजेक्ट्स पर कार्य चल रहा है। इससे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में राज्य की बिजली जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा से पूरा किया जा सकेगा।
नई तकनीक अपनाने में उपभोक्ताओं को क्या मिलेगा
यूपी की कंपनियां सिर्फ तकनीक ही नहीं, बल्कि इससे जुड़ी सेवाओं को भी बेहतर बना रही हैं। अब उपभोक्ता घर बैठे ही सोलर पैनल की इंस्टॉलेशन, मेंटेनेंस और स्मार्ट ग्रिड कनेक्शन जैसी सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।
इसके लिए मोबाइल ऐप्स और डिजिटल पोर्टल्स लॉन्च किए गए हैं जिससे उपभोक्ता सिर्फ कुछ क्लिक में अपनी छत पर सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं। साथ ही, राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी और टैक्स छूट की जानकारी भी इन पोर्टल्स पर मिल रही है।
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रात और छांव में बिजली
नई तकनीक से बना यह छाया-सक्षम सोलर पैनल दोहरे लाभ वाला है – एक तो यह पर्यावरण के लिए हितकारी है क्योंकि यह Fossil Fuel पर निर्भरता घटाता है, और दूसरा उपभोक्ताओं के बिजली बिल में भारी कटौती करता है।
अगर किसी घर में यह नया पैनल इंस्टॉल किया जाए, तो वहां दिन के हर घंटे बिजली का उत्पादन जारी रह सकता है – चाहे वह छत पर सीधी धूप हो या पेड़ की छांव। खासकर गर्मियों में जब बिजली की डिमांड सबसे ज्यादा होती है, यह टेक्नोलॉजी लोड शेडिंग को काफी हद तक कम कर सकती है।
उद्योगों और MSMEs के लिए भी गेम-चेंजर
यह तकनीक केवल घरेलू उपयोग के लिए नहीं, बल्कि छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। उत्तर प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली कटौती एक आम समस्या रही है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
अब छाया में भी बिजली बनाने की क्षमता के कारण, कई फैक्ट्रियां ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम को अपनाने की तैयारी में हैं। इससे उनकी निर्भरता Conventional Grid पर घटेगी और Sustainability Goals को हासिल करने में मदद मिलेगी।
अनुसंधान और नवाचार को मिला समर्थन
इस पूरे नवाचार को आगे बढ़ाने में यूपी की कुछ प्रमुख टेक स्टार्टअप्स और सरकारी संस्थानों की भूमिका रही है। IIT-Kanpur, Amity University और CSIR जैसी संस्थाओं ने मिलकर इस नई पीढ़ी के सोलर पैनलों पर रिसर्च किया है।
इन शोधों के अनुसार, यदि यह टेक्नोलॉजी व्यापक स्तर पर अपनाई जाए, तो यूपी जैसे बड़े राज्य की ऊर्जा आवश्यकता का 25-30% हिस्सा रिन्यूएबल स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है – और वह भी 2030 से पहले।
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