Reliance Power बनाने जा रहे यहाँ सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट – भारत को भी मिलेगा बड़ा फायदा

₹2,000 करोड़ की डील, 500MW की क्षमता और भारत को स्वच्छ ऊर्जा में जबरदस्त बढ़त! जानिए कैसे अनिल अंबानी की ये बड़ी चाल बदल सकती है भारत-भूटान के ऊर्जा संबंध और रिलायंस की किस्मत।

Photo of author

Written by Rohit Kumar

Published on

Reliance Power बनाने जा रहे यहाँ सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट – भारत को भी मिलेगा बड़ा फायदा
Reliance Power बनाने जा रहे यहाँ सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट – भारत को भी मिलेगा बड़ा फायदा

अनिल अंबानी की कंपनी Reliance Power ने Renewable Energy सेक्टर में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कंपनी को भूटान में देश का सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट विकसित करने की जिम्मेदारी मिली है। इस परियोजना की कुल क्षमता 500 मेगावाट (MW) होगी और इसे ₹2,000 करोड़ के निवेश से विकसित किया जाएगा। यह परियोजना Build-Own-Operate (BOO) मॉडल के तहत कार्यान्वित की जाएगी और इसमें भूटान सरकार की निवेश शाखा Druk Holding and Investments (DHI) के साथ Reliance Power का 50:50 का संयुक्त उद्यम (Joint Venture) होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत Green Digital Private Limited के साथ एक दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौता (Power Purchase Agreement – PPA) भी किया गया है।

भारत और भूटान के बीच ऊर्जा सहयोग का नया अध्याय

यह परियोजना भारत और भूटान के बीच ऊर्जा सहयोग को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी। भारत लंबे समय से भूटान के साथ जल विद्युत क्षेत्र में भागीदारी करता रहा है, लेकिन अब Renewable Energy विशेषकर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यह पहला बड़ा कदम है। Reliance Power और DHI के इस संयुक्त उपक्रम के माध्यम से दोनों देशों के बीच स्वच्छ ऊर्जा के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। इस सहयोग से क्षेत्रीय स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा में उल्लेखनीय योगदान की उम्मीद की जा रही है।

परियोजना की प्रमुख विशेषताएं और विकास रणनीति

इस 500 मेगावाट की परियोजना का विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा और इसे आगामी 24 महीनों में पूरा किया जाना है। परियोजना का संचालन पूरी तरह BOO मॉडल पर आधारित होगा, जिसका अर्थ है कि Reliance Power और DHI इस परियोजना को बनाकर उसका संचालन और स्वामित्व भी साझा रूप से करेंगे। इससे दोनों कंपनियों को दीर्घकालिक राजस्व सृजन में सहायता मिलेगी।

साथ ही, Green Digital Private Limited के साथ किए गए PPA से यह स्पष्ट होता है कि परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली का एक सुनिश्चित खरीदार पहले से मौजूद है, जो इस परियोजना की वित्तीय स्थिरता और व्यावसायिक सफलता सुनिश्चित करेगा।

भारत की Renewable Energy रणनीति को मिलेगा बल

भारत ने Renewable Energy के क्षेत्र में 2030 तक 500 गीगावाट की क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। Reliance Power द्वारा भूटान में यह सौर परियोजना भारत की इस रणनीति का हिस्सा बनकर वैश्विक स्तर पर इसकी भूमिका को मजबूत करेगी। कंपनी की मौजूदा 2.5 गीगावाट सौर और 2.5 गीगावाट-घंटा बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage System – BESS) के साथ यह नई परियोजना इसे भारत की सबसे बड़ी स्वच्छ ऊर्जा कंपनियों में से एक के रूप में स्थापित करती है।

इस निवेश से न केवल कंपनी की Renewable Energy पोर्टफोलियो में वृद्धि होगी, बल्कि यह भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Independence) की दिशा में भी एक ठोस कदम साबित होगा।

तकनीकी नवाचार और क्षेत्रीय विकास की दिशा में अग्रसर

इस परियोजना के माध्यम से नवीनतम सौर प्रौद्योगिकियों और डिजिटल ऊर्जा समाधानों को अपनाया जाएगा, जिससे भूटान में तकनीकी उन्नयन को बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना स्थानीय रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगी और भूटान के ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास में सहायक होगी।

Also Readहर महीने बिजली का बिल जीरो! इस सोलर ट्रिक को जान लो आज ही

हर महीने बिजली का बिल जीरो! इस सोलर ट्रिक को जान लो आज ही

साथ ही, यह भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के अनुरूप क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक एकीकरण को भी प्रोत्साहित करेगी। इससे भारत और भूटान के बीच व्यापारिक, राजनीतिक और सामाजिक संबंधों को और अधिक मजबूती मिलेगी।

यह भी पढ़े-Solar Industries Q4 रिजल्ट: FY26 में ₹10,000 करोड़ का टारगेट, डिफेंस सेगमेंट की कमाई दोगुनी होने की उम्मीद

ऊर्जा बाजार में Reliance Power की वापसी का संकेत

बीते वर्षों में आर्थिक दबावों और ऋण संकटों से जूझती Reliance Power के लिए यह परियोजना एक नई शुरुआत का संकेत देती है। ₹2,000 करोड़ की इस साझेदारी से कंपनी न केवल अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकती है, बल्कि Renewable Energy के वैश्विक बाजार में अपनी मौजूदगी को फिर से मजबूत कर सकती है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की अंतरराष्ट्रीय परियोजनाएं निवेशकों का भरोसा पुनः प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं, जिससे कंपनी के शेयर बाजार में प्रदर्शन में सुधार संभव है। हाल ही में कंपनी के शेयरों में भी इस खबर के बाद उछाल देखा गया है, जिससे निवेशकों में नई उम्मीदें जगी हैं।

नीतिगत समर्थन और भविष्य की संभावनाएं

भारत सरकार और भूटान सरकार दोनों इस परियोजना को रणनीतिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं। नीतिगत समर्थन और स्थिर प्रशासनिक ढांचे के चलते इस परियोजना को तेजी से लागू किया जा सकेगा। साथ ही, अगर यह मॉडल सफल रहता है, तो भविष्य में ऐसे और भी संयुक्त उपक्रम संभव हो सकते हैं, जिससे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया युग शुरू हो सकता है।

भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Renewable Energy में नेतृत्व की भूमिका निभाने का एक सुनहरा अवसर है। साथ ही, यह परियोजना वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में भी योगदान देगी।

Also Readसोलर vs इलेक्ट्रिक पावर – आपके लिए कौन है बेहतर विकल्प? जानें फायदे और फर्क

सोलर vs इलेक्ट्रिक पावर – आपके लिए कौन है बेहतर विकल्प? जानें फायदे और फर्क

Author
Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें