
सोलर एसी (Solar Air Conditioner) के उपयोग को लेकर उपभोक्ताओं के मन में सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि क्या इसके लिए बैटरी लगाना अनिवार्य है? इस मुद्दे पर विशेषज्ञों का मानना है कि बैटरी लगाना पूरी तरह से उपभोक्ता की जरूरतों और उपयोग के समय पर निर्भर करता है। यदि सोलर एसी का इस्तेमाल केवल दिन के समय किया जा रहा है, जब सूर्य की रोशनी भरपूर होती है, तो बैटरी की कोई आवश्यकता नहीं होती। लेकिन यदि उपभोक्ता रात में भी एसी चलाना चाहता है, या फिर ऐसे क्षेत्रों में रहता है जहां बिजली की आपूर्ति अस्थिर रहती है, तो बैटरी का उपयोग जरूरी हो जाता है।
कब जरूरी होती है बैटरी? जानें सही तकनीकी गणना
यदि आप सोलर एसी को रात के समय चलाने की योजना बना रहे हैं, तो बैटरी आवश्यक हो जाती है। उदाहरण के तौर पर, एक 1.5 टन की क्षमता वाला एसी हर घंटे लगभग 2.009 किलोवॉट-ऑवर (kWh) ऊर्जा की खपत करता है। यदि इसे लगातार 8 घंटे तक रात में चलाना हो, तो लगभग 23.1 kWh क्षमता वाली बैटरी की आवश्यकता पड़ेगी। इसमें 80% तक की बैटरी डिस्चार्ज रेट को ध्यान में रखते हुए और 15% अतिरिक्त बफर जोड़ा गया है। ये आंकड़े रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy से जुड़ी प्रमुख वेबसाइट Shielden Solar द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं, जो यह भी स्पष्ट करते हैं कि बैटरी का चयन केवल उसकी क्षमता पर निर्भर नहीं करता, बल्कि पूरे सिस्टम के डिज़ाइन और ऊर्जा दक्षता पर भी निर्भर करता है।
बिना बैटरी के भी चल सकता है सोलर एसी
बैटरी की जरूरत सिर्फ उन उपभोक्ताओं को होती है जो दिन-रात सोलर एसी का उपयोग करना चाहते हैं, या फिर जिन क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता सीमित है। लेकिन यदि एसी का उपयोग केवल दिन में किया जाता है, तो बैटरी की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। आज बाजार में ऐसे कई हाइब्रिड सोलर एसी उपलब्ध हैं जो दिन के समय 90% तक डीसी सोलर पावर का उपयोग करते हैं। इन एसी को सीधा सोलर पैनल से जोड़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए, HotSpot Energy का ACDC12 मॉडल, जो दिन में सोलर से और रात में ग्रिड से ऊर्जा प्राप्त करता है। यह तकनीक न केवल उपभोक्ताओं को बिजली बिल से राहत देती है, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी उपयोगी साबित होती है।
सोलर एसी के प्रकार और उनकी बैटरी पर निर्भरता
- सोलर एसी को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में बांटा गया है—DC सोलर एसी, हाइब्रिड सोलर एसी और ग्रिड-टाईड सोलर एसी।
- DC सोलर एसी पूरी तरह से ऑफ-ग्रिड सिस्टम होते हैं, और इनका संचालन 48V बैटरी सिस्टम पर आधारित होता है। ये उन इलाकों में अधिक लोकप्रिय हैं जहां बिजली की आपूर्ति बहुत अस्थिर है या पूरी तरह से अनुपलब्ध है।
- वहीं, हाइब्रिड सोलर एसी दिन में सोलर ऊर्जा का उपयोग करते हैं और रात में ग्रिड से बिजली लेते हैं। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यदि उपयोग केवल दिन में हो, तो बैटरी की कोई आवश्यकता नहीं होती।
- ग्रिड-टाईड सोलर एसी सीधे सोलर पैनल और ग्रिड से जुड़कर काम करते हैं। इन यूनिट्स को बैटरी की आवश्यकता नहीं होती और यह एक किफायती विकल्प साबित होते हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में जहां ग्रिड की उपलब्धता स्थिर रहती है।
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कौन सा विकल्प है आपके लिए बेहतर?
यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां दिन में सूर्य की रोशनी भरपूर होती है और आप एसी का उपयोग केवल दिन के समय करते हैं, तो आपके लिए सोलर एसी बिना बैटरी के ही पर्याप्त रहेगा। यह न केवल लागत में कमी लाता है, बल्कि सिस्टम को बनाए रखना भी सरल होता है।
हालांकि, यदि आपका निवास ऐसा क्षेत्र है जहां बिजली कटौती आम बात है या आप रात में भी एसी का उपयोग करना चाहते हैं, तो बैटरी इन्वेस्टमेंट आपके लिए जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में आपको एसी की टन क्षमता, उपयोग के घंटे और कुल बजट के अनुसार सोलर सिस्टम और बैटरी की योजना बनानी चाहिए।
हाइब्रिड सोलर एसी इस दिशा में सबसे व्यावहारिक विकल्प के रूप में सामने आता है। यह न केवल बिजली की बचत करता है बल्कि रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy के उपयोग को भी बढ़ावा देता है। इस प्रकार के सिस्टम विशेष रूप से उन उपभोक्ताओं के लिए उपयुक्त हैं जो पर्यावरण के प्रति सजग हैं और अपने बिजली खर्च को कम करना चाहते हैं।
इसलिए, किसी भी सोलर एसी सिस्टम में निवेश करने से पहले यह जरूरी है कि आप अपने क्षेत्र की ऊर्जा संभावनाओं, अपनी व्यक्तिगत जरूरतों और बजट को ध्यान में रखकर विशेषज्ञों की सलाह लें। इससे न केवल आपकी ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी बल्कि आप दीर्घकालिक रूप से एक स्मार्ट और पर्यावरण अनुकूल विकल्प भी चुनेंगे।