
ग्रीन एनर्जी-Renewable Energy आज वैश्विक ऊर्जा चर्चा का केंद्र बन चुकी है। यह न केवल पर्यावरणीय संकटों से लड़ने का एक प्रभावशाली उपाय है, बल्कि आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी नवाचार का मजबूत आधार भी बनती जा रही है। जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को देखते हुए, पूरी दुनिया तेजी से ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है। भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है और अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है।
पर्यावरणीय संकट से निपटने का प्रभावी समाधान
ग्रीन एनर्जी जैसे कि सोलर-पावर (सौर ऊर्जा), विंड-पावर (पवन ऊर्जा), और हाइड्रो-पावर (जल विद्युत) में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बेहद कम या शून्य होता है। यह ऊर्जा स्रोत परंपरागत जीवाश्म ईंधनों की तुलना में कहीं अधिक स्वच्छ होते हैं, जिससे वायु प्रदूषण, अम्लीय वर्षा और जलवायु परिवर्तन के खतरों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। REN21 की एक रिपोर्ट के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से वैश्विक तापमान में वृद्धि को सीमित करना संभव हो सकता है।
लागत में भारी गिरावट, बन चुकी है सस्ती ऊर्जा का विकल्प
एक दशक पहले तक ग्रीन एनर्जी को एक महंगा विकल्प माना जाता था, लेकिन अब सोलर और विंड एनर्जी की लागत में अभूतपूर्व गिरावट आई है। यह अब जीवाश्म ईंधनों की तुलना में सस्ता और अधिक सुलभ विकल्प बन चुका है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल रही है, बल्कि यह विकासशील देशों के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता का नया रास्ता खोल रहा है। कई देश अब ऊर्जा आयात पर निर्भर न रहकर स्थानीय स्रोतों से अपनी मांग पूरी कर पा रहे हैं।
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भारत में रोजगार और आर्थिक विकास का नया केंद्र
ग्रीन एनर्जी सेक्टर में तेजी से हो रहे निवेश से भारत जैसे विकासशील देशों को न केवल पर्यावरणीय लाभ मिल रहा है, बल्कि यह क्षेत्र रोजगार सृजन का बड़ा जरिया भी बन रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर 2030 तक 2.4 करोड़ (24 मिलियन) नए रोजगार उत्पन्न कर सकता है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसरों के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे रहा है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक ठोस कदम
ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में ग्रीन एनर्जी भारत को एक नई दिशा दे रही है। सोलर और विंड जैसे ऊर्जा स्रोत भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, जिससे देश को ऊर्जा आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इससे न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होती है, बल्कि आर्थिक घाटा भी कम होता है। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
तकनीकी नवाचारों की अगली क्रांति
ग्रीन एनर्जी का क्षेत्र केवल ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें तकनीकी प्रगति का भी बड़ा योगदान है। एडवांस्ड बैटरी स्टोरेज सिस्टम, स्मार्ट ग्रिड टेक्नोलॉजी और एआई आधारित ऊर्जा प्रबंधन प्रणालियाँ इस सेक्टर को अधिक कुशल और विश्वसनीय बना रही हैं। इससे ऊर्जा दक्षता बढ़ रही है और ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित हो रही है, जिससे उपभोक्ताओं को निरंतर और गुणवत्तापूर्ण ऊर्जा मिल रही है।
भारत में Renewable Energy की वर्तमान स्थिति और भविष्य
भारत ने अक्टूबर 2024 तक ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। देश की कुल स्थापित बिजली क्षमता का लगभग 46.3% अब नवीकरणीय स्रोतों से आता है। इसमें सोलर एनर्जी का योगदान सबसे अधिक है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बिजली की सुलभता को बेहतर बना रहा है। भारत सरकार ने 2030 तक 500 GW Renewable Energy क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिसके लिए नीतिगत सुधार और निजी क्षेत्र की भागीदारी में भी तेजी देखी जा रही है।
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वैश्विक परिदृश्य और भारत की भूमिका
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, 2030 तक वैश्विक Renewable Energy क्षमता में 90% की वृद्धि की संभावना है। यह वृद्धि चीन और अमेरिका की संयुक्त बिजली मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। भारत भी इस वैश्विक दौड़ में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और जलवायु परिवर्तन से निपटने की वैश्विक रणनीति में एक मुख्य स्तंभ बनकर उभर रहा है। वैश्विक निवेशकों की नज़र भी भारत के ग्रीन एनर्जी बाजार पर है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रमुख केंद्र बना रही है।
हरित भविष्य की ओर निर्णायक कदम
ग्रीन एनर्जी अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं रहा, यह आर्थिक विकास, ऊर्जा आत्मनिर्भरता, तकनीकी नवाचार और रोजगार सृजन का एक व्यापक समाधान बन चुका है। भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह अवसरों से भरी राह है, जो न केवल सतत विकास की दिशा में बल्कि एक स्वच्छ, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाती है। यह कहना अब अतिशयोक्ति नहीं होगा कि ग्रीन एनर्जी ही भविष्य की शक्ति है, और इसकी ओर बढ़ते हर कदम के साथ हम एक बेहतर कल की ओर अग्रसर हो रहे हैं।