
ग्रीन एनर्जी-Renewable Energy आज न केवल जलवायु परिवर्तन से निपटने का सशक्त माध्यम बन चुकी है, बल्कि यह आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और सतत भविष्य का आधार भी बन रही है। भारत सहित विश्वभर में हरित ऊर्जा स्रोतों की मांग लगातार बढ़ रही है, और इसका प्रमाण हाल ही में अदानी ग्रीन एनर्जी द्वारा गुजरात के खावड़ा में बनाए गए दुनिया के सबसे बड़े Renewable Energy पार्क से मिलता है। यह पार्क भारत के ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो देश को स्वच्छ और आत्मनिर्भर ऊर्जा की ओर अग्रसर कर रहा है।
सौर ऊर्जा-Solar Energy: सूर्य की किरणों से ऊर्जा क्रांति
सौर ऊर्जा, सूर्य की रोशनी को सीधे बिजली में बदलने की प्रक्रिया है, जिसमें मुख्य रूप से फोटोवोल्टिक (PV) पैनल्स और सोलर थर्मल सिस्टम का उपयोग होता है। 2024 के आंकड़ों के अनुसार, सौर ऊर्जा ने वैश्विक बिजली उत्पादन में 6.9% का योगदान दिया है। इसकी मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां सूर्य की उपलब्धता अधिक है।
तकनीकी प्रगति और बड़े पैमाने पर उत्पादन ने सौर पैनलों की लागत में उल्लेखनीय गिरावट लाई है, जिससे अब यह अधिक सुलभ हो गई है। भारत सरकार की “पीएम सूर्य घर योजना” के तहत 2026 तक 50 लाख रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे घरेलू स्तर पर भी बिजली उत्पादन संभव हो सकेगा। यह योजना ऊर्जा आत्मनिर्भरता के साथ-साथ आम नागरिकों के बिजली खर्च को भी कम करने का कार्य करेगी।
पवन ऊर्जा-Wind Energy: हवा की शक्ति से रात-दिन बिजली
पवन ऊर्जा हवा की गति से टर्बाइनों को घुमाकर बिजली उत्पन्न करती है। यह ऊर्जा स्रोत उन क्षेत्रों में विशेष रूप से कारगर होता है, जहां पूरे साल हवा की गति स्थिर रहती है। 2024 में वैश्विक बिजली उत्पादन में पवन ऊर्जा का योगदान 8.1% रहा है, जो इसे सौर ऊर्जा से भी अधिक प्रभावी बनाता है।
नई ऑनशोर पवन परियोजनाएं अब कई क्षेत्रों में पारंपरिक कोयला या गैस आधारित संयंत्रों की तुलना में अधिक सस्ती साबित हो रही हैं। इसका एक अन्य लाभ यह है कि पवन टर्बाइन रात में भी बिजली उत्पन्न कर सकती हैं, जो सौर ऊर्जा की सीमा को संतुलित करता है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी यह ऊर्जा स्रोत अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नगण्य होता है।
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जलविद्युत ऊर्जा-Hydropower: नदियों की शक्ति से सतत ऊर्जा
जलविद्युत ऊर्जा बहते हुए पानी की शक्ति से बिजली उत्पन्न करती है और यह भारत जैसे नदीप्रधान देश के लिए एक प्रमुख Renewable Energy स्रोत है। 2023 में जलविद्युत ऊर्जा का वैश्विक बिजली उत्पादन में लगभग 15% योगदान रहा है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी स्थिरता और विश्वसनीयता है।
जलविद्युत संयंत्र 24 घंटे लगातार बिजली प्रदान कर सकते हैं और पंप-स्टोरेज सिस्टम के माध्यम से अतिरिक्त ऊर्जा को संग्रहित भी किया जा सकता है। हालांकि, बड़े बांधों के निर्माण से पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय जनजीवन पर प्रभाव पड़ सकता है, जिसके चलते इसके विकास में पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखना आवश्यक है।
भू-तापीय ऊर्जा-Geothermal Energy: धरती की गहराई से ऊर्जा
भू-तापीय ऊर्जा पृथ्वी के आंतरिक ताप का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करने का स्रोत है। यह ऊर्जा न तो मौसम पर निर्भर है और न ही दिन-रात के अंतर पर, जिससे यह लगातार और स्थायी बिजली आपूर्ति का विकल्प बन जाती है। इस प्रकार, भू-तापीय ऊर्जा उच्च क्षमता और विश्वसनीयता के कारण वैश्विक स्तर पर तेजी से उभर रहा है।
भू-तापीय संयंत्र लगभग 90% क्षमता कारक पर काम करते हैं, जो इसे अन्य किसी भी Renewable Energy स्रोत से अधिक कुशल बनाता है। हालांकि इसकी स्थापना और उपयोग विशिष्ट स्थानों तक ही सीमित है, लेकिन नई तकनीकों और ड्रिलिंग क्षमताओं के माध्यम से इसकी पहुंच और उत्पादन क्षमता में वृद्धि की जा रही है।
कौन सी ग्रीन एनर्जी सबसे उपयुक्त?
हर Renewable Energy स्रोत की अपनी विशिष्टताएं और उपयोग की परिस्थितियाँ होती हैं। सौर ऊर्जा तेजी से बढ़ रही है और इसकी लागत भी अपेक्षाकृत कम है। पवन ऊर्जा का लाभ यह है कि यह रात में भी काम करती है और इसकी लागत भी लगातार घट रही है। जलविद्युत संयंत्र स्थायित्व प्रदान करते हैं, लेकिन पर्यावरणीय प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भू-तापीय ऊर्जा निरंतर आपूर्ति और उच्च क्षमता के कारण उत्कृष्ट विकल्प है, हालांकि यह सीमित स्थानों पर ही उपलब्ध है।
अतः यह तय करना कि कौन सी ऊर्जा सबसे बेहतर है, आपके भौगोलिक स्थान, आवश्यकताओं और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करता है। भारत जैसे विविध जलवायु वाले देश के लिए, एक मिश्रित रणनीति जिसमें सौर, पवन, जल और भू-तापीय ऊर्जा का समावेश हो, सबसे उपयुक्त साबित हो सकती है।