
विश्व भर में Renewable Energy स्रोतों में बढ़ता निवेश अब केवल पर्यावरण संरक्षण का विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करने का जरिया बन गया है। हाल के वर्षों में, खासकर सन् 2022 और उसके बाद, दुनियाभर के देशों ने सौर, पवन, जल, महासागर, भू-तापीय, बायोमास और हाइड्रोजन जैसे रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy स्रोतों में रिकॉर्ड स्तर पर निवेश किया है। भारत जैसे विकासशील और ऊर्जा-गहन देश के लिए यह बदलाव और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, जहाँ बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के साथ-साथ ऊर्जा की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
सौर ऊर्जा से ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर भारत
सौर ऊर्जा-Solar Energy के क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। सूर्य की किरणों से प्राप्त ऊर्जा को सोलर पैनलों के माध्यम से बिजली में बदला जाता है, और भारत जैसे देश, जहाँ पूरे साल भर प्रचुर मात्रा में धूप मिलती है, इस तकनीक का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं। हाल ही में एक महत्वपूर्ण वैश्विक परिवर्तन देखा गया है जहाँ सौर ऊर्जा का उत्पादन परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) से भी आगे निकल गया है। Reuters की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह परिवर्तन विश्व की ऊर्जा प्रणाली में हो रहे स्थायी बदलाव का स्पष्ट संकेत है।
पवन ऊर्जा में गुजरात और तमिलनाडु की नई पहचान
पवन ऊर्जा-Wind Energy हवा की गति को उपयोग में लाकर बिजली उत्पन्न करने की एक अत्याधुनिक तकनीक है। भारत में इसके लिए गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य अग्रणी बनकर उभरे हैं। खासतौर पर समुद्र तटीय क्षेत्रों में यह तकनीक अत्यधिक प्रभावशाली साबित हो रही है। The Times of India की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात अब देश में सबसे अधिक स्थापित Renewable Energy क्षमता वाला राज्य बन चुका है, जिसमें पवन ऊर्जा का महत्वपूर्ण योगदान है।
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जल विद्युत: भारत की पारंपरिक शक्ति का नया रूप
जल विद्युत-Hydropower एक पारंपरिक लेकिन आज भी प्रासंगिक Renewable Energy स्रोत है जो जल प्रवाह की ताकत से बिजली उत्पन्न करता है। यह प्रणाली खासतौर पर बड़े बाँधों और जलाशयों पर आधारित होती है। भारत के हिमालयी राज्यों में इसकी संभावनाएँ अत्यधिक हैं। विश्व स्तर पर चीन, ब्राज़ील और नॉर्वे जैसे देश जल विद्युत में अग्रणी हैं। भारत में यह तकनीक पहले से ही मौजूद है लेकिन नई परियोजनाओं और तकनीकी उन्नयन के साथ इसमें और तेजी लाई जा सकती है।
महासागरीय ऊर्जा: समुद्र से ऊर्जा का नया अध्याय
महासागरीय ऊर्जा-Ocean Energy एक अपेक्षाकृत नया Renewable Energy स्रोत है, जिसमें समुद्र की लहरों, ज्वार-भाटा और समुद्री तापीय ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। भारत जैसे विशाल समुद्री सीमा वाले देश के लिए यह तकनीक ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। हालाँकि यह तकनीक अभी प्रारंभिक विकास स्तर पर है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसमें भारी निवेश और विकास की संभावना है।
भू-तापीय ऊर्जा: पृथ्वी के गर्भ से निकलती अक्षय ऊर्जा
भू-तापीय ऊर्जा-Geothermal Energy पृथ्वी की भीतरी परतों में छिपी ऊष्मा को बिजली में बदलने की तकनीक है। यह ऊर्जा स्रोत अत्यंत स्थायी और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सुरक्षित माना जाता है। भारत में यह तकनीक अभी सीमित स्तर पर ही उपयोग में लाई जा रही है, लेकिन हिमालयी क्षेत्र और ज्वालामुखीय सक्रिय इलाकों में इसकी प्रचुर संभावनाएँ मौजूद हैं। भविष्य में यह ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के लिए एक मजबूत विकल्प बन सकता है।
बायोमास ऊर्जा: अपशिष्ट से ऊर्जा का प्रभावी समाधान
बायोमास ऊर्जा-Biomass Energy जैविक अपशिष्ट जैसे लकड़ी, कृषि अपशिष्ट, गोबर और खाद्य अपशिष्ट से प्राप्त होती है। यदि इसका वैज्ञानिक और संतुलित उपयोग किया जाए, तो यह कार्बन न्यूट्रल बनने की क्षमता रखती है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए यह तकनीक ग्रामीण विकास, रोजगार सृजन और स्थानीय स्तर पर ऊर्जा उपलब्धता में अहम भूमिका निभा सकती है।
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हाइड्रोजन ऊर्जा: हरित भविष्य की नींव
हाइड्रोजन ऊर्जा-Hydrogen Energy को दुनिया भर में भविष्य की सबसे स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा के रूप में देखा जा रहा है। इस ऊर्जा को प्राप्त करने की प्रक्रिया में पानी को विद्युत अपघटन (Electrolysis) द्वारा हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जाता है। यदि इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक बिजली भी Renewable स्रोतों से ली जाए, तो यह ऊर्जा पूर्ण रूप से ग्रीन हाइड्रोजन कहलाती है। भारत सरकार की “ग्रीन हाइड्रोजन मिशन” जैसी योजनाएँ इस दिशा में उल्लेखनीय पहल हैं और यह तकनीक विशेष रूप से परिवहन और भारी उद्योगों में क्रांति ला सकती है।
ऊर्जा संकट का स्थायी समाधान है Renewable Energy
बढ़ती ऊर्जा मांग, जलवायु परिवर्तन और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के सीमित भंडार को देखते हुए Renewable Energy स्रोतों की ओर रुझान समय की आवश्यकता बन चुका है। भारत जैसे देश, जहाँ विकास की गति तीव्र है, के लिए यह अवसर है कि वह इन स्रोतों का अधिकतम उपयोग कर ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्राप्त करे। सरकार की पहलें जैसे “नेशनल सोलर मिशन”, “ग्रीन हाइड्रोजन मिशन” और राज्य स्तरीय Renewable Energy योजनाएँ इस दिशा में मजबूत संकेत देती हैं। यदि इन नीतियों को सही तरीके से क्रियान्वित किया जाए, तो भारत न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है, बल्कि एक वैश्विक ऊर्जा महाशक्ति के रूप में उभर सकता है।