
बारिश से सोलर पैनल पूरी तरह से साफ नहीं होते, यह दावा अब विशेषज्ञों द्वारा भी प्रमाणित किया गया है। Renewable Energy सेक्टर में तेजी से बढ़ती रुचि के बीच यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि केवल प्राकृतिक वर्षा Solar Panels को पूर्णतः स्वच्छ नहीं कर सकती। हालांकि बारिश से कुछ सतही धूल और कण हट सकते हैं, लेकिन यह पैनलों की गहराई से सफाई के लिए पर्याप्त नहीं है।
बारिश की सफाई सीमित, पराग और जैविक गंदगी बनी रहती है
Renewable Energy के क्षेत्र में अग्रणी अमेरिकी संस्था National Renewable Energy Laboratory (NREL) के अनुसार, बारिश सोलर पैनलों की सतह पर जमा होने वाली कुछ गंदगी को भले ही कम कर दे, लेकिन यह पराग, पक्षियों की बीट और अन्य जैविक अवशेषों को हटाने में पूरी तरह असफल रहती है। उनके 2023 के एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि वसंत ऋतु में पराग के कारण Solar Panels की दक्षता में औसतन 15% तक की गिरावट आई, और लगातार बारिश के बाद भी यह पराग हट नहीं सका।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे देशों में, जहां धूल, पराग और प्रदूषण का स्तर अधिक होता है, वहाँ केवल बारिश के भरोसे Panels की कार्यक्षमता बनाए रखना व्यावहारिक नहीं है। इससे न सिर्फ उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है, बल्कि लंबे समय में Panel की संरचना और जीवनकाल पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
ऊर्जा उत्पादन में होती है उल्लेखनीय गिरावट
सोलर पैनल की सतह पर जमा गंदगी सूर्य की किरणों को अवरुद्ध करती है, जिससे ऊर्जा उत्पादन में सीधा असर पड़ता है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, यदि पैनलों की नियमित सफाई की जाए, तो उनकी कार्यक्षमता में लगभग 3.5% तक की वृद्धि हो सकती है। वहीं यदि केवल बारिश पर निर्भर रहा जाए, तो यह वृद्धि 1.9% तक ही सीमित रहती है। यह अंतर भले ही प्रतिशत में छोटा लगे, लेकिन बड़े स्तर पर ऊर्जा उत्पादन में यह काफी महत्वपूर्ण होता है।
Rangy जैसी अग्रणी सोलर कंपनियों का भी मानना है कि नियमित सफाई न करने से लंबे समय में सोलर निवेश पर मिलने वाला लाभ घट जाता है। सौर ऊर्जा की व्यावसायिक परियोजनाओं में यह अंतर लाखों रुपये के नुकसान का कारण बन सकता है।
सफाई है जरूरी, लेकिन सही तरीके से
सोलर पैनल की सफाई का कार्य केवल एक सामान्य झाड़-पोंछ का काम नहीं है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि यदि आप स्वयं सफाई करना चाहते हैं, तो इसके लिए विशेष उपकरणों का प्रयोग करें। एक लंबा हैंडल वाला नरम ब्रश, हल्का डिटर्जेंट और कम दबाव वाला पानी उपयुक्त विकल्प होते हैं। कठोर ब्रश या तेज दबाव वाले पानी से Panel को स्थायी नुकसान हो सकता है।
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यदि Panels छत पर लगे हैं या आप स्वयं उन्हें साफ करने में असमर्थ हैं, तो पेशेवर सोलर क्लीनिंग सेवाओं का सहारा लेना ही बेहतर होता है। वे न सिर्फ सही तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि पैनलों की संरचना को नुकसान पहुंचाए बिना प्रभावी सफाई सुनिश्चित करते हैं।
व्यावसायिक और घरेलू दोनों के लिए समान नियम
यह धारणा गलत है कि केवल बड़े सोलर प्लांट्स को ही सफाई की आवश्यकता होती है। घरेलू उपयोग के लिए लगाए गए Panels भी समय के साथ गंदगी का शिकार होते हैं। खासकर शहरी इलाकों में प्रदूषण, धूल और पक्षियों की बीट Panel की सतह को ढक लेती हैं, जिससे उनकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए चाहे यह 3 किलोवाट का घरेलू सिस्टम हो या 100 मेगावाट का सौर प्लांट — नियमित सफाई की आवश्यकता सभी को होती है।
पर्यावरण के अनुकूल सफाई तकनीकों की ओर बढ़ते कदम
हाल के वर्षों में जल संरक्षण के महत्व को देखते हुए सोलर पैनलों की सफाई के लिए भी पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों को प्राथमिकता दी जा रही है। जैसे जल पुनर्चक्रण (Water Recycling), ड्राई-क्लीनिंग तकनीक, और रोबोटिक सफाई प्रणाली अब बाजार में उपलब्ध हैं। इन तकनीकों से न सिर्फ पानी की बचत होती है, बल्कि सफाई प्रक्रिया अधिक कुशल और समय-संवेदी बनती है।
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भारत जैसे देशों में, जहां पानी की उपलब्धता सीमित है, वहां इन तकनीकों को अपनाना न सिर्फ आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी आवश्यक है।
बारिश भरोसे नहीं, सफाई जरूरी
वर्तमान परिस्थितियों में यह स्पष्ट हो चुका है कि बारिश से सोलर पैनल की संपूर्ण सफाई संभव नहीं है। Renewable Energy के इस युग में, जब हर प्रतिशत की ऊर्जा बचत मायने रखती है, सोलर पैनलों की नियमित और पेशेवर सफाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चाहे घरेलू हो या औद्योगिक सौर संयंत्र — सभी को एक प्रभावी सफाई रणनीति अपनानी चाहिए। यदि आप अपने Solar Panels से अधिकतम ऊर्जा उत्पादन चाहते हैं और उन्हें वर्षों तक कार्यशील रखना चाहते हैं, तो बारिश का इंतजार न करें, सफाई को अपनी ऊर्जा रणनीति का हिस्सा बनाएं।